हम सभी के लिए यह बहुत अधिक प्रसन्नता का विषय है कि भारत रक्षा उपकरण निर्यात के क्षेत्र में नए-नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है । 2014 से पहले जिस भारत को दूसरे देशों से रक्षा उपकरण खरीदने की आवश्यकता पड़ती थी , आज वही इस क्षेत्र में तथाकथित बड़ी शक्तियों से प्रतिस्पर्धा कर रहा है। यह और भी अधिक प्रसन्नता का विषय है कि भारत से सबसे अधिक हथियार खरीदने वाला देश अमेरिका है । वास्तव में जिन पांच देशों को दुनिया में शक्ति संपन्न माना जाता है वे किसी न किसी प्रकार से छोटे देशों को हड़काने का काम करते रहे हैं । परंतु भारत इस प्रकार की नीति पर नहीं चलता। भारत की सोच मानवतावादी है और वह आज भी अपने मानवतावाद का संदेश देकर दुनिया में नई राजनीति और नई सोच को स्थापित करने के लिए संघर्ष कर रहा है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते कई देशों को अपनी रक्षा आवश्यकताओं में सुधार करना पड़ा है। इसी प्रकार इसराइल और हमास के युद्ध ने भी कई देशों की रक्षा चिंताओं को बढ़ाया है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि जो देश अपने आप को असुरक्षित अनुभव कर रहे हैं, उन्होंने अपने शस्त्रागार को बढ़ाने पर गंभीरता से चिंतन किया है। इसका सीधा लाभ भारत को मिला है। भारत ने अपने रक्षा निर्यात को बढ़ाने का निर्णय लिया और जो देश नए विश्व की नई परिस्थितियों में अपने आपको असुरक्षित अनुभव कर रहे थे ,उनकी रक्षा आवश्यकताओं की पूर्ति करने में पर ध्यान केंद्रित किया। जिसका परिणाम यह निकला है कि भारत से इस समय सारे संसार के कुल मिलाकर 90 देश अपनी रक्षा आवश्यकताओं की खरीदारी कर रहे हैं।
सरकार इस क्षेत्र में और भी अधिक कार्य करने की संभावनाओं को तलाशते हुए प्राइवेट कंपनियों को बड़ी सरलता से लाइसेंस प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त सरकार वैश्विक स्तर पर इन कंपनियों को अपने हथियारों के निर्यात में प्रोत्साहित कर रही है।
यद्यपि भारत आज भी विश्व शांति की संभावनाओं को तलाशने में किसी प्रकार की कोताही बरतने का समर्थन नहीं है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वयं यूक्रेन रूस संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में ठोस पहल कर रहे हैं । जिससे भारत के राजनीतिक नेतृत्व को भी दुनिया के शांति प्रिय देशों में विश्व शांति के संदर्भ में एक नई आशा के केंद्र के रूप में देखा जा रहा है। प्रधानमंत्री के रूस यूक्रेन युद्ध को रोकने के प्रयासों का वैश्विक स्तर पर स्वागत किया गया है । हर कदम पर भारत का विरोध करते रहने वाले पाकिस्तान, चीन और अमेरिका जैसे कई देशों को इस बात को लेकर गहरी ठेस भी पहुंची है कि भारत के प्रधानमंत्री को इस समय इतना बड़ा सम्मान क्यों मिल रहा है।
सचमुच यह बात हम सबके लिए बहुत ही गौरव की है कि भारत से सबसे अधिक हथियार खरीदने वाला देश अमेरिका है।अमेरिका के बारे में यदि गहराई से सोचा समझा जाए तो पता चलता है कि अमेरिका भौतिकवाद की चकाचौंध में पूर्णतया हताश हो चुका देश है । वह आध्यात्मिक शांति के लिए भी हथियार खोजता है। इसका अभिप्राय है कि आध्यात्मिक शांति नाम की कोई चीज अमेरिका जानता पहचानता नहीं है। वहां अध्यात्म का स्रोत सूख चुका है। क्योंकि लोग रोजगार और भौतिकवाद में आकंठ डूब चुके हैं।
इसके विपरीत भारत आज भी अपनी आध्यात्मिक सोच के लिए जाना जाता है। हथियारों की संस्कृति में पूर्णतया विश्वास रखने के उपरांत भी लोग एक दूसरे का गला काटने के लिए हथियारों को इकट्ठा करना अपने राष्ट्रीय चरित्र के विरुद्ध मानते हैं। भारत के संस्कारों में दूसरों की रक्षा के लिए हथियार खरीदे जाते हैं । भारत में रहकर जो लोग इसके विपरीत आचरण करते हैं ,भारत उनकी इस प्रकार की गतिविधि का प्रतिनिधित्व नहीं करता। भारत से ओम की ध्वनि का प्रचार प्रसार आज भी संपूर्ण विश्व के लिए होता है ।प्रातः काल में लोग या तो अपने ईश्वर का ध्यान करते हैं या योग आदि करते हैं । उन सब के कंठ से निकलने वाला ओम संपूर्ण संसार में शांति का संदेश लेकर जाता है । जिससे धरती के परिवेश को आध्यात्मिक बनाने में सहायता मिलती है । रोते,चीखते,चिल्लाते, दुख और कष्ट क्लेशों को झेलते लोगों को एक अजीब सी सुखद अनुभूति होती है। कहने का अभिप्राय है कि भारत के हथियारों के साथ भारत की आध्यात्मिक शांति का संदेश भी विश्व के कोने-कोने में जाता है।
रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि 2024-2025 की पहली तिमाही में निर्यात में 78 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। अप्रैल-जून में रक्षा निर्यात एक साल पहले की अवधि के 3,885 करोड़ रुपये से बढ़कर 6,915 करोड़ रुपये हो गया। 2023-2024 में यह रिकॉर्ड 21,083 करोड़ रुपये (लगभग 2.63 बिलियन डॉलर) पर पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 15,920 करोड़ रुपये से 32.5 प्रतिशत अधिक है।
. डॉ राकेश कुमार आर्य