मुस्लिम लीग के नेता मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे आजम अर्थात महान नेता का खिताब देने वाले गांधीजी थे । वह व्यक्ति स्वयं इस बात पर आश्चर्य करता था कि उसे इतना सम्मान क्यों मिल रहा है ? क्योंकि कांग्रेस उसे ” कायदे आजम ” के नाम से पुकारने लगी थी तो अंग्रेज उसकी कीमत दिन-प्रतिदिन बढ़ाते जा रहे थे । जिससे वह अपनी देश विभाजन की मांग पर अड़ता चला गया । कांग्रेस के बड़े नेताओं की ओर से यह संकेत किया गया यदि मुस्लिम लीग नहीं मानती है और हिंसक कार्यवाही करती है तो विभाजन से अलग कोई विकल्प नहीं है ।
कांग्रेस के नेताओं के इस प्रकार के बयानों से मुस्लिम लीग को खुराक मिल गई और उसने सोच लिया कि यदि कांग्रेस के नेताओं की नाक में दम कर दिया जाए तो वह विभाजन के लिए तैयार हो जाएंगे । इसी पृष्ठभूमि में मोहम्मद अली जिन्ना ने आज के दिन अर्थात 16 अगस्त को 1946 में ” सीधी कार्यवाही दिवस ” के रूप में मनाने का निर्णय लिया । ” सीधी कार्यवाही दिवस ” का अर्थ था कि हिंदुओं को सीधे-सीधे मारने काटने लगो । एक प्रकार से उसने तुर्क और मुगल बादशाहों के समय की नरसंहार की इस्लामिक परंपरा को पुनर्जीवित कर दिया था और इसका परिणाम यह हुआ कि देश में चारों ओर दंगों की आग लग गई ।
जिसमे अकेले बंगाल में मुस्लिमों ने 20000 हिंदुओं को मार डाला था। सड़को पर बिखरी हुई हिंदुओं की लाशों को गिद्ध नोचते थे। इतिहास में ये दिन “प्रत्यक्ष कार्यवाही” दिवस के रूप में दर्ज है। पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री उस समय मुस्लिम लीग का सुहरावर्दी था । उसने अपनी निर्ममता और क्रूरता का वैसा ही प्रदर्शन किया जैसा कभी यहां पर मुगल या तुर्क बादशाहो के समय में हुआ करता था। इसके पश्चात भी कांग्रेस के बड़े नेता उसे अपना भाई मानते रहे।
इतिहास में कांग्रेस के समर्थक लेखकों ने इस घटना को बहुत हल्के से करके दिखाया है । आज अपने उन सभी हजारों बलिदानियों के बलिदान पर पुष्पांजलि अर्पित करने का समय है जिन्होंने उस समय मुस्लिम लीग के सांप्रदायिक उन्माद के चलते अपने प्राणों का उत्सर्ग कर मां भारती के श्री चरणों में सादर समर्पित कर दिया था ।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत