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पुस्तक समीक्षा

डॉ राकेश कुमार आर्य के साहित्य का संक्षिप्त परिचय

26 – भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , भाग – 4
‘शिवा बैरागी का प्रताप बना मुगलों का संताप’

इससे ग्रंथ माला के चौथे खंड में विद्वान लेखक ने राजा चंपत राय , रानी सारंधा , अमर सिंह राठौड़, राजा हरदौल सिंह, राणा भीम सिंह, अमर सिंह राठौड़ का शव और बल्लू जी चंपावत, भारत का भाल शत्रुसाल अर्थात छत्रसाल, महाराजा जसवंत सिंह, हाडी रानी का बलिदान, महाराणा राज सिंह, दुर्गादास राठौड़ और जय सिंह की वीरता, वीर दुर्गादास और महाराजा अजीत सिंह, चरित्रवान दुर्गादास राठौड़ और मल्लिका गुलनार, छत्रपति शिवाजी, बालक त्यागमल अर्थात गुरु तेग बहादुर , भाई सती दास, भाई मती दास, भाई दयाला जी का बलिदान, गुरु गोविंद सिंह की वीरता , जोरावर सिंह और फतेह सिंह का बलिदान, बंदा बैरागी की वीरता और उनका अप्रतिम बलिदान जैसे अन्य अनेक महावीर – वीरांगनाओं, योद्धाओं को स्थान देकर सम्मानित किया गया है जिन्हें इतिहास से जानबूझकर मिटा दिया गया या उनके बलिदान और वीरता को उचित स्थान नहीं दिया गया। लेखक की दृष्टि में वास्तव में यह सभी वीर वीरांगना भारत की स्वाधीनता के सेनानी हैं ।जिन्होंने स्वतंत्रता के दीपक को कभी बुझने नहीं दिया । जिसने भी उस दीपक को बुझाने का प्रयास किया इन वीर वीरांगनाओं ने उसको ही बुझा दिया। इस ग्रंथ में 1528 से लेकर 1707 ईसवी तक के कालखंड को लिया गया है।

( मूल्य : 395 , पृष्ठ : 456 )
प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स, दिल्ली
संपर्क सूत्र: 98 1000 8004

27 – भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , भाग -5
‘अंग्रेजों का दमन चक्र और हमारा सुदर्शन चक्र’

इस ग्रंथ माला के पांचवें खंड में विद्वान लेखक ने धर्म वीर हकीकत राय का बलिदान, राजा नंद कुमार की फांसी, ब्रज मंडल के जाटों के आंदोलन , राजा सूरजमल की देशभक्ति, बनारस के 3 लाख बलिदानी और लॉर्ड हेस्टिंग्स, राघोबा और माधवराव के विरुद्ध हेस्टिंग्स का कपटजाल, नाना फडणवीस की वीरता, अलीगढ़, बुंदेलखंड और उड़ीसा के वीरों की वीरता , यशवंतराव होलकर की वीरता , राजा रणजीत सिंह और अंग्रेज शासक , देहरादून के वीर बलभद्र सिंह की वीरता, हिंदू वीर अमर सिंह थापा और जाट राजा दयाराम की देशभक्ति, बाबा औघड़नाथ अर्थात स्वामी दयानंद जी महाराज के द्वारा 1857 की क्रांति का आवाहन, क्रांतिवीर धन सिंह कोतवाल, बुलंदशहर, दादरी ,सिकंदराबाद सहित देश के अनेक स्थानों पर हुए क्रांतिकारी आंदोलन की रोमांचकारी घटनाओं का वर्णन कर अपने निष्पक्ष और देशभक्ति पूर्ण लेखन धर्म का निर्वाह किया है।
इस ग्रंथ में लेखक ने 1707 से लेकर 1857 ई0 तक के कालखंड को लिया है।
( मूल्य : 495 , पृष्ठ : 424 )
प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स, दिल्ली
संपर्क सूत्र: 9810008004

28 – भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , भाग – 6
‘अंधकार बीत गया और भारत जीत गया ‘

इस ग्रंथमाला के छठे और अंतिम भाग में लेखक ने 1857 ईसवी से लेकर 1947 ई0 तक के कालखंड में भारत के वीर वीरांगनाओं के देशभक्ति पूर्ण कृत्यों का बहुत ही रोमांचकारी ढंग से वर्णन किया है। इसके अतिरिक्त लेखक ने प्रचलित इतिहास पर गांधीवाद की उस छाया को हटाने का भी सफलतापूर्ण प्रयास किया है जिसके चलते इतिहास की क्रांतिधारा को छुपाया गया और अहिंसावाद को हावी करके दिखाते हुए देश के मनोबल को तोड़ने का अनुचित ,अनैतिक और देशविरोधी कार्य किया गया।
इस ग्रंथ माला को लेखक का एक शोध प्रबंध कहा जा सकता है। जिसमें भारत की शस्त्र और शास्त्र की विधि सम्मत और न्यायसंगत व्यवस्था को स्थापित किया गया है। एकपक्षीय ढंग से दूसरे के अत्याचारों को सहन करते हुए अपने अधिकारों के लिए लड़ने की बेतुकी बात को पूर्णतया निरस्त किया गया है।
( मूल्य : 495 , पृष्ठ : 440 )
प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स, दिल्ली
संपर्क सूत्र: 98 1000 8004

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