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पर्व – त्यौहार

💐श्री कृष्ण जन्माष्टमी कैसे मनाई जाए 💐

एक शंका है मन में ? क्या हिन्दू समाज बाल रूप का ही उत्सव मनाता रहेगा ? बाल गोपाल से बाहर निकल कर महाभारत के योगिराज धर् संस्थापक श्री कृष्ण तक पहुँचेंगे ?
भगवान श्री कृष्ण ने तो समयानुसार संगीत, कुश्ती, युद्ध कला, राजनीति, कूटनीति, अष्टांग योग, गीता रहस्य, सुदर्शन चक्र चलाने और अंत में शत्रु पर दया न दखाने की शिक्षा दी है।
तो, क्या हमें बांसुरी बजाने वाले या नटखट कान्हा का ही स्मरण करना है
दही हांडी का खेल खेलना, मन्दिरों में जाकर कृष्ण की मूर्ति को झूला झुलाना वा कृष्ण जी के नाम पर रासलीला करना यह सब बच्चों जैसी हरकतें हैं । इनसे कृष्ण जी की पूजा का कुछ भी लेना देना नहीं । कृष्ण जी की पूजा करनी है वा उनका जन्म दिन मनाना है तो आज ही संकल्प लीजिये कि कृष्ण जी की तरह प्रतिदिन प्रातः सांय एक घंटा परमात्मा का ध्यान करेगें, यज्ञ करेंगे, वेदों उपनिषदों का स्वाध्याय करेंगे, कभी झूठ नहीं बोलेंगे और मांस शराब आदि अभक्ष्य पदार्थों का सेवन कदापि नहीं करेंगे ।
” योगिराज श्री कृष्ण जी के जीवन में एक दिन भी ऐसा नहीं हुआ जिस दिन उन्होंने अग्निहोत्र ( हवन ) न किया हो , चाहे उन्होंने लंबी यात्राएं की हों या बड़े युद्ध लड़े हों । ”
आश्चर्य है कि हम आर्यों के अलावा किसी को इन बातों से कोई मतलब नहीं । विरोध भी नहीं , शर्म भी नहीं , गुस्सा भी नहीं , गलती का तीव्र अहसास भी नहीं ।
बस एक गहरा सन्नाटा क्योंकि तर्क वितर्क के लिए किसी के पल्ले कुछ भी नहीं ।
आर्य समाज न होता तो श्री कृष्ण जैसे महान वीर उच्च चरित्रवान योगिराज के बारे में लोगों को कौन सत्य बताता ?
देखो श्री कृष्ण का इतिहास महाभारत में अत्युत्तम है। उनका गुण कर्म स्वभाव चरित्र आप्त पुरूषों सदृ्श है।जिसमें कोई अधर्म का आचरण श्री कृष्ण ने जन्म से मरणपर्यन्त बुरा काम किया हो , ऐसा नही लिखा। और भागवत में दूध दहीं मक्खन की चोरी, कुब्जा दासी से समागम, पर स्त्रियों से रासमण्डल , क्रीड़ा आदि मिथ्या दोष श्री कृष्ण पर लगाये हैं। इसको पढ़ पढ़ा सुन सुना के अन्य मत वाले श्री कृष्ण की बहुत सी निंदा करते हैं। यह भागवत न होता तो श्री कृष्ण जी के सदृश महात्माओं की झूठी निन्दा क्यों होती ? —महार्षि दयानंद

चित्र की नही चरित्र की पूजा करो।
अतः हमें चाहिए कि हम महापुरुषों के शुद्ध जीवन चरित्र को पढ़ें तथा आधुनिक संचार के माध्यमों से अधिकाधिक लोगों तक पहुँचाएँ। जिससे अधिक से अधिक लोग श्री कृष्ण के महान् चरित्र से अवगत हो लाभान्वित हो सकें.

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