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पुस्तक समीक्षा

भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , भाग – 1 ‘ वह थमे नहीं हम थके नहीं ‘

लेखक ने सन 712 ईस्वी से लेकर 1947 तक का 1235 वर्ष का भारत का स्वाधीनता संग्राम एक अनुपम और अद्वितीय ढंग से प्रस्तुत किया है। लेखक की मान्यता है कि भारतवर्ष कभी गुलाम नहीं रहा। तथाकथित गुलामी एक मतिभ्रम है। वास्तविकता यह है कि भारत अपनी स्वाधीनता की रक्षा के लिए पहले दिन से लड़ता रहा। यद्यपि इस लड़ाई में हमें पर्याप्त हानि उठानी पड़ी, पर जब लड़ा जाता है तो उस समय हानि का गुणा भाग नहीं लगाया जाता।
पहले खंड में लेखक ने 712 ईसवी से लेकर 1206 ईस्वी तक के कालखंड को समाविष्ट किया है । जिसमें उन्होंने तत्कालीन भारत वर्ष के अनेक वीर वीरांगनाओं का बहुत ही सजीव और मार्मिक चित्रण किया है। इस शोधपूर्ण ग्रंथ में अनेक ऐसे योद्धाओं को स्थान दिया गया है जिन्हें प्रचलित इतिहास में भुला दिया गया है। राजा दाहिर सेन से लेकर पृथ्वीराज चौहान तक इन वीर वीरांगनाओं के सजीव चित्रण से पाठक बड़ी तन्मयता से बंध जाता है। इस ग्रंथ माला पर लेखक को भारत सरकार द्वारा भी सम्मानित किया गया है।
( मूल्य : 600, पृष्ठ – 334 )
प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स, दिल्ली
संपर्क सूत्र: 98 1000 8004

24 – भारत के 1235 वर्षीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास , भाग – 2 ( मूल्य : 395 , पृष्ठ : 464 )
‘ वह रुके नहीं – हम झुके नहीं ‘

इस ग्रंथमाला के दूसरे भाग में लेखक ने 1206 से लेकर 1526 ई0 तक के काल का अपनी विशिष्ट शैली में विचारोत्तेजक वर्णन किया है। इस खंड में उदय सिंह, भरत पाल, वागभट्ट , क्षेत्र सिंह वीर नारायण ,हम्मीर देव चौहान, रानी पद्मिनी, गोरा – बादल, गोरा की पत्नी, राणा लक्ष्मण सिंह, कान्हड़ देव , वीर हरपाल, राजा लद्दर देव, आसाम के वीर राजा , भटनेर, सिरसा , लोनी के अनेक वीर वीरांगना, मंडोर के शासकों की वीरता ,कटेहर नरेश हरि सिंह, राजा जशरथ , महाराणा मोकल जैसे अनेक वीर वीरांगनाओं का सजीव चित्रण कर इतिहास को सही प्रस्तुति देने का लेखक ने सराहनीय प्रयास किया है।
पूर्णतया विस्मृत किए गए इतिहास को जीवंत करना लेखक की विद्वता और देशभक्ति को प्रकट करता है।

प्रकाशक : डायमंड पॉकेट बुक्स, दिल्ली
संपर्क सूत्र: 98 1000 8004

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