मालाबार और आर्यसमाज
1921 में केरल में मोपला के दंगे हुए। मालाबार में रहने वाले मुसलमान जिन्हें मोपला कहा जाता था मस्जिद के मौलवी के आवाहन पर जन्नत के लालच में हथियार लेकर हिन्दू बस्तियों पर आक्रमण कर देते हैं। पहले इस्लाम ग्रहण करने का प्रलोभन दिया जाता हैं और हिन्दुओं की चोटी-जनेऊ को काट कर अपनी जिहादी पिपासा को शांत किया गया और जिस हिन्दू ने धर्मान्तरण से इंकार कर दिया उसे मार दिया गया, उसकी संपत्ति लूट ली गई और उसके घर को जला दिया गया। करीब 5000 हिन्दुओं का कत्लेआम करने एवं हज़ारों हिन्दुओं को इस्लाम में दीक्षित करने के बाद मालाबार में मुसलमानों ने समानांतर सरकार चलाई और अंग्रेज सरकार वहां नामोनिशान तक नहीं था। गांव के गांव का यही हाल था। अंत में अंग्रेजों की विशाल टुकड़ी मुसलमानों का मुकाबला करने मैदान में उतरी और इस्लामिक शरिया के इलाके को मुक्त किया गया। हिन्दुओं की व्यापक हानि हुई। उनकी धन सम्पत्ति लूट ली गई, उनके खेत जला दिए गए, उनके परिवार के सदस्यों को मार डाला गया एवं बचे खुचो को मुसलमान बना दिया गया था। त्रासदी इतनी व्यापक थी कि हिन्दुओं की लाशों से कुँए भर गए। केरल में हुई इस घटना की जानकारी अनेक हफ़्तों तक उत्तर भारत नहीं पहुंची। आर्यसमाज के शीर्घ नेताओं को लाहौर में जब इस घटना के विषय में मालूम चला तो पंडित ऋषिराम जी एवं महात्मा आनंद स्वामी जी को राहत सामग्री देकर सुदूर केरल भेजा गया। वहां पर उन्होंने आर्यसमाज की और से राहत शिविर की स्थापना करी जिसमें भोजन की व्यवस्था करी गई, जिन्हें जबरन मुसलमान बनाया गया था उन्हें शुद्ध कर वापिस से हिन्दू बनाया गया। आर्यसमाज के रिकार्ड्स के अनुसार करीब 5000 हिन्दुओं को वापिस से शुद्ध किया गया। इस घटना का यह परिणाम हुआ की हिन्दू समाज में आर्यसमाज को धर्म रक्षक के रूप में पहचाना गया। जो लोग आर्यसमाज के द्वारा करी गई शुद्धि का विरोध करते थे वे भी आर्यसमाज के हितैषी एवं प्रशंसक बन गए। सुदूर दक्षिण में करीब 4000 किलोमीटर दूर जाकर हिन्दू समाज के लिए जो सेवा करी उसके लिए मदन मोहन मालवीया जी, अनेक शंकराचार्यों, धर्माचार्यों आदि ने आर्यसमाज की प्रशंसा करी। समय की विडंबना देखिये केरल में 1947 के पश्चात बनी सेक्युलर कम्युनिस्ट सरकार ने मोपला के दंगों में अंग्रेजों द्वारा मारे गए मुसलमानों को क्रांतिकारी की परिभाषा देकर उन्हें स्वतंत्रता सैनानी की सुविधा जैसे पेंशन आदि देकर हिन्दुओं के जख्मों पर नमक लगाने का कार्य किया। आज भी केरल में उन अनेक मंदिरों में उन अवशेषों को जिनमें इस्लामिक दंगाइयों ने नष्ट किया था सुरक्षित रखा गया हैं ताकि आने वाली पीढ़ियां उस अत्याचार को भूल न सके।
आर्यसमाज द्वारा एक पुस्तक मालाबार और आर्यसमाज प्रकाशित की गई जिसमें मालाबार में हिन्दुओं पर हुए अत्याचार, कत्लेआम, राहत , शुद्धि आदि पर प्रामाणिक जानकारी देकर जनसाधारण को धर्म रक्षा के लिए संगठित होने की प्रेरणा दी गई।
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