यह संक्षिप्त सा लेख उन लोगों को सादर समर्पित किया जा रहा है ,जो सिर से पैर तक कीचड में डूब कर दूसरों के कपड़ों में दाग खोजते हैं
भंडाफोड़ू ग्रुप के पाठक जानते हैं कि जब भी इस्लाम संबंधी कोई नया लेख तैयार करते हैं , तो सबसे पहले मुस्लिम पाठको को जरूर भेजते हैं ,ताकि उनके विचारों का पता चल सके , और लेख पढ़ कर अधिकांश मूस्लिम सत्य को स्वीकार करके कोई आपत्ति नहीं करते ,लेकिन कुछ ऐसे भी मुस्लिम पाठक होते हैं , लेखों का सप्रमाण खंडन करने की जगह हमारे ऊपर ही आरोप लगाने लगते है , ऐसे ही दिनांक 12 /09 /2016 को 21 23 बजे आसिफ सैफ नामके मुस्लिम ने मेरे लेख ” इस्लामी गंद विश्वास ” के ऊपर जो टिपण्णी की है , उसके मुख्य अंश इस प्रकार हैं ,
“musalmano ke khilaf bolne ke kitne repay mile dalle tujhe,agar to quran padleta aj tu musalman hota or paththro ki Puja n.a. karta ,.Gaye ka mut n.a. peeta
हिंदी में- “मुसलमानों के खिलाफ बोलने के कितने रूपये मिले , दल्ले तुझे ,अगर कुरान पढ़ लेता तो मुस्लमान होता ,पत्थरों की पूजा न करता ,”गाय का मूत न पीता ”
इस्लाम की असलियत से अनभिज्ञ इन जनाब का नाम ” आसिफ सैफ ( Asif Saif ) है , अरबी के इन दो शब्दों का अर्थ इस प्रकार है ,”आसिफ – آسف “(An able minister). और दूसरा शब्द ” सैफ – سيف ” है ,यानी (Sword ),इस व्यक्ति के नाम से ही पता चलता है कि जिहादी मानसिकता से ग्रस्त है , नहीं को लेख का सप्रमाण खंडन करने की जगह हमें गाय का मूत पीने वाला नहीं कहता ,
आसिफ सैफ के इस आरोप के उत्तर मैं हम उनको बताना चाहते हैं कि उनके रसूल मुसलमानों को ऊंट की पेशाब पिलाया करते थे ,सबूत में हम अपने पुराने लेख से कुछ अंश दे रहे हैं , हिम्मत हो तो गलत साबित करें ,
मुसलमानों को यह पता नहीं होगा कि मुहम्मद ऊंट का पेशाब पीता था .और उससे बीमार मुसलमानों का इलाज भी करता था.यहांतक जो भी बद्दू मुसलमान बनाता था उसे भी पाहिले ऊंट की पेशाब पिलाता था .
मुहमद के समय अरब के बद्दू गरीब और बेकार थे .उन्हें मुहम्मद जिहाद के लिए बुला लेता था वह भी लूट के हिस्से की लालच में मक्का पहुच जाते थे .बद्दू मूर्तिपूजक थे .और अनपढ़ थे . मुहम्मद ने उन्हें जिहाद के लिए उपयुक्त समझा .
इसी तरह अरब के “उकल और उरैना “के कबीले के लोग जब मुहमद से मिलने मक्का गए तो उनकी तबीयत ख़राब हो गयी .क्योंकि मक्का का मौसम (climate )उनको माफिक नहीं आरहा था .जब मुहम्मद को यह पता चला तो उसने उन बद्दुओं को ऊंट की पेशाब पीने का आदेश दिया .और कहा यह एक कारगर दवा है .जिसे मैंने भी आजमाया है .बाद में कुछ महीनों में बद्दू उस इलाज से स्वस्थ हो गए और जिहाद पर जाने लगे .
यह सारा लेख हम प्रमाणिक हदीसों से दे रहे है .पाहिले हम हिन्दी में इसका प्रमाण देंगे ताकि सब समझ सकें ,फिर अंगरेजी और अरबी की मूल हदीसें देंगे ,ताकी मुसलमान यह आरोप न लगाएं की हम तोड़ मरोड़ कर बात करते है .
1 -मुहम्मद ने मुसलमानों को ऊंट की पेशाब पिलायी
“अनस ने कहा की “उक्ल और उरैना “के लोगों की शिकायत है कि,उन लोगों को मक्का का मौसम माफिक नहीं अ रहा है ,और वे बीमार हो रहे है .रसूलल्लाह ने आदेश दिया कि उनको ऊँटों के ल्हुन्द के पास ले चलो .फिर रसूल ने उन लोगों से कहा तुम ऊंट की पेशाब पीया करो .यह एक कारगर और आजमाई हुई दवा है ,लोगों ने ऐसा ही किया .कुछ समय में वे स्वस्थ हो गए ”
Narrated Anas bin Malik:
A group of people from Ukl (or
Uraina) tribe —-but I think he said that they were from `Ukl came to Medina and (they became ill, so) the Prophet (ﷺ) ordered them to go to the herd of (Milch) she-camels and told them to go out and drink the camels’ urine and milk (as a medicine). So they went and drank it, and when they became healthy,
” حَدَّثَنَا أَنَسُ بْنُ مَالِكٍ، قَالَ قَدِمَ عَلَى رَسُولِ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم قَوْمٌ مِنْ عُكْلٍ أَوْ عُرَيْنَةَ فَاجْتَوَوُا الْمَدِينَةَ فَأَمَرَ لَهُمْ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم بِلِقَاحٍ وَأَمَرَهُمْ أَنْ يَشْرَبُوا مِنْ أَبْوَالِهَا وَأَلْبَانِهَ ”
https://sunnah.com/bukhari:233
Reference : Sahih al-Bukhari 233
In-book reference : Book 4, Hadith 99
USC-MSA web (English) reference : Vol. 1, Book 4, Hadith 234
2 -नए मुसलमान ऊंट की पेशाब पीते थे
“फिर इसके बाद जो भी व्यक्ति मुसलमान बनने के लिए रसूल के पास आता था वे उसे ऊंट की पेशाब जरूर पिलाते थे .रसूल फरमाते थे कि ऊंटों की पेशाब मुफीद होती है और कारगर दवा होने के कारन मैं भी इसका इस्तेमाल करता हूँ .
Narrated Abu Qilaba:
Anas said, “Some people of ‘Ukl or ‘Uraina tribe came to Medina and its climate did not suit them. So the Prophet ordered them to go to the herd of (Milch) camels and to drink their milk and urine (as a medicine). So they went as directed and after they became healthy
https://sunnah.com/bukhari:5686
Reference : Sahih al-Bukhari 5686
In-book reference : Book 76, Hadith 9
USC-MSA web (English) reference : Vol. 7, Book 71, Hadith 590
सही बुखारी में ऐसी ग्यारह हदीसें मौजूद हैं , जिनमे कहा गया है कि मुसलमानों के रसूल मुसलमानों और सहॉबियों को ऊंट की पेशाब पिलाया करते थे , हदीसों के नंबर इस प्रकार हैं ,
Sahih Bukhari Arabic Serial Numbers -1501, 3018, 4192, 4610, 5686, 5727, 6802, 6804, 6805, 6899.
अब आसिफ सैफ बताएं कि गाय और ऊंट दौनों शाकाहारी पशु है , हिन्दू गाय पेशाब को दवा मानते हैं , और रसूल ने ऊंट की पेशाब को दवा माना है , भले आप गाय की पेशाब को नापाक कहते रहो , लेकिन रसूल के आदेश को मानकर ऊंट की पेशाब पिया करो , आपका दिमाग ठीक हो जायेगा , रसूल कभी झूठ नहीं बोलते ,ऐसे आरोप लगाने वाले जो खुद अपनी गन्दगी नहीं देखते और दूसरों में गन्दगी देखते हैं ,उनके बारे में यही कहना पड़ता है ,अगर आसिफ सैफ जी ने कुरान ठीक से पढ़ी हो तो इस आयत का मतलब समझ जायेंगे , यह मेरा यकीन है .
“فِي قُلُوبِهِمْ مَرَضٌ فَزَادَهُمُ اللَّهُ مَرَضًا وَلَهُمْ عَذَابٌ أَلِيمٌ بِمَا كَانُوا يَكْذِبُونَ ”
Sura Bakar 2:10
InHindi- “फी कुलूबिहम मर्ज़ फजाद हुम् अल्लाह मर्जा व् लहुम अजाबुन अलीम बिमा कानू यकजिबून ”
उनके दिलों में बीमारी है और अल्लाह बीमारी को बढ़ा देता है ,सच को झठलाने वालों को सख्त सजा मिलेगी
अब इतने प्रमाण देने के बाद मुसलमान क्या कहेगे .क्या वे ऊंट की पेशाब पियेंगें ?
(आसिफ सैफ की लिंक है )
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