बांग्लादेशी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर राजार्य सभा ने निकाला शांति मार्च : भारत में रह रहे बांग्लादेशियों को निकालने की की गई मांग
ग्रेटर नोएडा : यहां स्थित ग्राम बंबावड़ के मोहन देव मंदिर से अखिलभारतीय राजार्य सभा ने बांग्लादेशी सनातनी हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों को लेकर एक शांति मार्च का आयोजन किया। इस शांति मार्च में उपस्थित रहे हजारों लोगों ने कई किलोमीटर का शांति मार्च निकालकर थाना बादलपुर में जाकर उसको संपन्न किया। इस अवसर पर अखिल भारतीय राजार्य सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्र सिंह आर्य ने अपने संबोधन में कहा कि आर्य समाज ने
वैदिक संस्कृति की रक्षा के लिए हमेशा बढ़-चढ़कर बलिदान दिए हैं। उसकी बलिदानी गाथा पर प्रकाश डालते उन्होंने कहा कि हम आज भी बांग्लादेशी सनातनी हिंदुओं के साथ अपनी पूर्ण संवेदना व्यक्त करते हैं और संकट की इस घड़ी में उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने कहा कि सनातन की रक्षा के लिए आर्य समाज बलिदान देने के लिए आज भी तैयार है । हम बलिदानों की परंपरा को कभी शांत नहीं होने देंगे और जो लोग मजहब के आधार पर फिर देश को बांटने की तैयारी कर रहे हैं उनके मंसूबों को कभी पूर्ण नहीं होने देंगे ।
आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के जिला प्रधान डॉक्टर राकेश कुमार आर्य एडवोकेट ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि आर्य समाज के इस क्षेत्र के अनेक आर्य वीरों ने महात्मा गांधी के आंदोलन में भाग लिया था। उस समय स्वामी रामेश्वरानंद जी महाराज द्वारा इस क्षेत्र में गुरुकुल चलाया जा रहा था। जो कि ग्राम महावड़ बंबावड़ के बीच में स्थापित किया गया था। इस बलिदानी परंपरा पर काम करते हुए आज का क्रांतिकारी युवा जिस संदेश को लेकर इस शांति मार्च का आयोजन कर रहा है, वह अपने आप में ऐतिहासिक है। आज के आर्य वीरों का यह ऐतिहासिक संदेश निश्चित रूप से भारत सरकार के माध्यम से संयुक्त राष्ट्र तक पहुंचेगा और अंत में बांग्लादेशी सनातनी हिंदुओं के जख्मों पर मरहम का काम करेगा। उन्होंने कहा कि आज हमें इतिहास की घटनाओं से शिक्षा लेकर सजग रहने की आवश्यकता है अन्यथा राक्षस अपने मंसूबों में सफल हो सकते हैं। इसीलिए जागते रहकर देश निर्माण के कार्य में लगे रहना है।
देश के प्रधानमंत्री के नाम प्रस्तुत किए गए ज्ञापन में राजार्य सभा ने इन घटनाओं के संदर्भ में भारतवर्ष और बांग्लादेश सहित संपूर्ण भूमंडल पर रहने वाले करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को समझते हुए उनसे मांग की है कि :-
- भारतवर्ष को जिस प्रकार विदेशी विधर्मियों ने अपनी शरण स्थली बना लिया है और यहां पर आकर उपद्रव और अशांति फैलाने के कामों में लगे हुए हैं, उनको चुन चुनकर यहां से बाहर फेंका जाए। क्योंकि उनकी गतिविधियां राष्ट्र विरोधी हैं। सरकार को अस्थिर करने की हैं और इस देश के जनसांख्यिकीय स्वरूप को विकृत कर भारत के हिंदू सनातन स्वरूप को नष्ट कर देने की हैं । उनके इरादों को समझते हुए तत्काल कार्यवाही किया जाना अपेक्षित है। रोहिंग्या लोग इस दिशा में विशेष रूप से कार्य कर रहे हैं।
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बांग्लादेशी मुसलमान भारत में बड़ी संख्या में प्रवेश करने में सफल हो गए हैं । इतना ही नहीं, कितने ही स्थानों पर ये लोग मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने में भी सफल हो गए हैं। प्रशासन में बैठे जिन लोगों की सी कृपा ‘ अर्थात प्रशासनिक कार्यों में लापरवाही के चलते इन लोगों को मताधिकार प्राप्त हुआ है या भारत के नागरिकों की सी सुविधा लेने में सफल हुए हैं उनके खिलाफ कार्यवाही होनी चाहिए और बांग्लादेशी मुसलमानों को चिन्हित कर उन्हें स्वदेश लौट के लिए बाध्य किया जाए। ये लोग भारत के नागरिकों के लिए और उसे स्थान पर एक बड़ी समस्या बन चुके हैं जहां पर यह निवास कर रहे हैं।
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भारत सरकार बांग्लादेशी हिंदुओं के पुनर्वास के लिए ठोस और रचनात्मक पहल करे। इसके लिए भारत सरकार शांति सेना भेजकर उन लोगों को सीधे अपने लोगों के हाथों से सहायता राशि प्रदान करे और जिन लोगों को वहां पर सांप्रदायिक हिंसा का शिकार होना पड़ा है, उनको उचित मुआवजा दिलवाने के लिए तथा असामाजिक /उग्रवादी/ सांप्रदायिक हिंसक लोगों के विरुद्ध ठोस कार्यवाही करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से बांग्लादेशी सरकार पर भी दबाव बनाया जाए।
इस अवसर पर स्वामी प्राण देव जी महाराज, लीलू आर्य, चंद्रशेखर आर्य ,सत्यवीर सिंह आर्य, म0 चरण सिंह आर्य, सूबेदार जतन सिंह, विनोद कुमार नागर, मनोज नागर, अजय कुमार आर्य, अमन आर्य सहित सैकड़ो युवाओं और अन्य सैकड़ो गणमान्य लोगों ने भाग लिया। वास्तव में यह शांति मार्च भगवा यात्रा में उस समय तब्दील हो गया जब विशाल जुलूस के रूप में एक लंबा काफिला ग्राम बंबावड़ से थाना बादलपुर की ओर चला। मार्ग में ग्राम महावड़ और बादलपुर के लोगों ने भी जुलूस में सम्मिलित लोगों का जलपान आदि कराकर स्वागत सत्कार किया।