ध्वजवाहिका धर्म की और सभ्यता की सारथी ,
संस्कृति रक्षार्थ तूने जने हैं अनेकों महारथी ।
संसार तेरा है ऋणी नहीं मुक्त हो सकता कभी,
हम धन्य होंगे तभी जब तेरी सर्वत्र होगी आरती ।।
रजकण हमारी धर्म धरा के देते यही संदेश हैं ,
सारी धरा पर एकमात्र धर्मधुरीण भारत देश है ।
इसके लिए जियो सदा और इसके लिए मरो ,
‘वयम राष्ट्रे जागृयाम ‘ यह वेद का उपदेश है ।।
स्वीकार्य हिंसा हमें अहिंसा की रक्षार्थ भी ,
पापी को मिटाना है उचित देश की सेवार्थ भी ।
दाधीच धर्म लगता हमें अपने लिए उत्तम सदा ,
अपनाया हमने त्याग भी और सदा परमार्थ भी ।।
धर्म धरा यह बोध की देती सदा उपदेश है ,
चलते रहो चलते रहो यह वेद का संदेश है ।
हर जीव के प्राण का सम्मान करना सीख लो
‘राकेश ‘ अखिल विश्व का सिरमौर भारत देश है ।।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
मुख्य संपादक, उगता भारत