गांधी जी का बेटा हीरालाल जब बन गया था मुसलमान

महात्मा गांधी के पुत्र हरिलाल गाँधी ने 27 जून 1936 को नागपुर में इस्लाम कबूल किया था और 29 जून 1936 को मुंबई में उसने इसकी सार्वजनिक घोषणा की कि वो हरिलाल गाँधी से अब्दुल्लाह बन गया है।

1 जुलाई 1936 को जकारिया ने अब्दुल्लाह के घर की बैठक में बैठे हुए रोष भरे शब्दों में कहा, ‘अब्दुल्लाह, यह मैं क्या सुन रहा हूँ कि तुम्हारी यह सात साल की छोकरी आर्य समाज मंदिर में हवन करने जाती है?’

‘यह अब तक मुस्लिम क्यों नहीं बनी?’

‘इसे भी बनाइए, यदि इसे मुस्लिम नहीं बनाया गया तो इसका तुमसे कुछ भी संबंध नहीं है।’

हरिलाल पर इस्लाम का रंग चढ़ गया था और हर हाल में पूरे हिंदुस्तान को इस्लामी देश बनाना चाहता था।

वह जकारिया के सवाल का कुछ जवाब नहीं दिया।

लेकिन मनु ने जबाब दिया कि ‘मैं इस्लाम कबूल नहीं करूंगी।’

जकारिया ने अब्दुल्लाह की मासूम बेटी मनु जो उस समय सात या आठ साल की ही थी, उसकी ओर मुखातिब होकर कहा, ‘तुम इस्लाम क्यों नही कबूल करोगी?’

‘यदि तुम इस्लाम कबूल नहीं करोगी तो तुम्हें मुंबई की चैपाटी पर नंगी करके तुम्हारी बोटी बोटी करके चील और कव्वों को खिला दी जाएगी।’

फिर वे अब्दुल्लाह (हरिलाल) को चेतावनी देने लगा, ’ए अब्दुल्ला लड़कियां और औरतें अल्लाह की और मुस्लिमों को दी गई नेमतें हैं… देखो यदि तुम्हारी बेटी इस्लाम कबूल नहीं करेगी तो तुम्हें इसको रखैल समझकर भोग करने का पूरा हक है।

क्योंकि जो माली पेड़ लगाता है उसे फल खाने का भी हक़ है।

यदि तुमने ऐसा नहीं किया तो हम ही इस फल को चौराहे पर सामूहिक रूप से चखेंगे।

हमें हर हाल में हिन्दुस्तान को मुस्लिम देश बनाना है और पहले हम लोहे को लोहे से ही काटना चाहते हैं।’

कहकर वह चला गया था।

और उसी रात उस मूर्ख अब्दुल्लाह ने अपनी नाबालिग बेटी की नथ तोड़ डाली थी (अर्थात अपनी हवस का शिकार बना डाला)

बेटी के लिए पिता भगवान होता है, लेकिन यहां तो बेटी के लिए पिता शैतान बन गया था। मनु को कई दिन तक रक्तस्राव होता रहा और उसे डाॅक्टरी इलाज से ठीक हुआ, स्नेहिल स्वजन आप कल्पना कीजिये उस नन्ही बच्ची पर क्या गुजर रही होगी और उस फूल सी बच्ची की माँ की भी क्या मनःस्थिति होगी। (ऐसी है इस्लाम की अंदर की स्थिति)

उन दिनों जब मनु पीड़ा से कराह रही थी तो उसने अपने दादा महात्मा गांधी को खत लिखा,
जो तब तक अपनी होशियरियों के चलते बापू के नाम से सारी दुनिया में प्रसिद्ध हो चुका था।

लेकिन बापू ने साफ कह दिया कि इसमें मैं क्या कर सकता हूं?

इसके बाद मनु ने अपनी दादी कस्तूरबा को खत लिखा। खत पढ़कर दादी बा की रूह कांप गई। फूल सी पोती के साथ यह कुकर्म… और वह भी पिता द्वारा…?

बा ने 27 सितंबर 1936* को अपने बेटे अब्दुल्लाह को पत्र लिखा और बेटी के साथ कुकर्म न करने की अपील की और साथ ही पूछा कि तुमने धर्म क्यों बदल लिया? और गोमांस क्यों खाने लगे?

बा ने बापू से कहा, अपना बेटा हरि मुस्लिम बन गया है, तुम्हें आर्य समाज की मदद से उसे दोबारा शुद्धि संस्कार करके हिन्दू बना लेना चाहिए।

गांधी: यह असंभव है।

बा: क्यों?

गांधी: देखो मैं शुद्धि आंदोलन का विरोधी हूँ।

जब स्वामी श्रद्धानंद ने मलकाने मुस्लिम राजपूतों को शुद्धि करके हिन्दू बनाने का अभियान चलाया था तो उस अभियान को रोकने के लिए मैंने ही आचार्य बिनोबा भावे को वहाँ भेजा था और मेरे कहने पर ही बिनोबा भावे ने भूख हड़ताल की थी और अनेक हिन्दुओं को मुस्लिम बनाकर ही दम लिया था।

मुझे इस्लाम अपनाने में बेटे के अंदर कोई बुराई नहीं लगती। इससे वह शराब का सेवन करना छोड़ देगा!

बा ने कहा: वह तो अपनी ही बेटी से बीवी जैसा बर्ताव करता है, हद है नीचता व क्रूरता की यह सब मुस्लिमों में ही सम्भव रहता जहां स्त्रियों की बड़ी ही दुर्दशा रहती है।

गांधी: अरे नहीं वह ब्रह्मचर्य के प्रयोग कर रहा होगा। मैं भी तो अनेक औरतों और लड़कियों के संग नग्न सो जाता हूँ। और अपने ब्रह्मचर्य व्रत की परीक्षा करते हैं।

देखिए गांधी की पुस्तक ‘मेरे सत्य के प्रयोग’

मैं तुम्हारे और तुम्हारे बेटे के कुकर्म पर मैं शर्मिंदा हूं। कहते हुए बा घर से निकल पड़ी थी और सीधे पहुंची थी आर्यसमाज बम्बई के नेता श्री विजयशंकर भट्ट के द्वार पर और साड़ी का पल्ला फैलाकर आवाज लगाई थी: क्या अभागन औरत को भिक्षा मिलेगी?

विजयशंकर भट्ट बाहर आए और देखकर चौंक गए कि बा उनके घर के द्वार पर भिक्षा मांग रही है।

मां क्या चाहिए तुम्हें?

मुझे मेरा बेटा लाकर दे दो। वह विधर्मियों के चंगुल में फंस गया है और अपनी ही बेटी को सता रहा है।

मां आप निश्चित रहें आपको यह भिक्षा अवश्य मिलेगी!!

अच्छी बात है, तब तक मैं अपने घर नहीं जाउंगी। कहते हुए बा ने उनके ही घर में डेरा डाल लिया था!

श्री विजयशंकर भट्ट ने अब्दुल्लाह की उपस्थिति में वेदों की इस्लाम पर श्रेष्ठता विषय पर दो व्याख्यान दिए, जिन्हें सुनकर अब्दुल्लाह को बेहद आत्मग्लानि हुई कि वह मुस्लिम क्यों बन गया!

फिर अब्बदुल्लाह को स्वामी दयानंद का सत्यार्थ प्रकाश पढ़ने को दिया गया।

जिसका असर यह हुआ कि जल्द ही बम्बई में खुले मैदान में हजारों की भीड़ के सामने, अपनी मां कस्तूरबा और अपने भाइयों के समक्ष आर्य समाज द्वारा अब्दुल्लाह को शुद्ध कर वापिस हीरालाल गांधी बनाया गया।

गांधी को जब यह पता चला तो उन्हें दुख हुआ कि उनका बेटा क्यों दोबारा काफिर बन गया
और उन्होंने बा को बहुत डांटा कि तुम क्यों आर्य समाज की शरण में गई…

अब बताइये यदि ये बात सत्य है तो आप किसके साथ है गांधी के या गोडसे के साथ??

एमएम सिंह द्वारा यह लेख फरहाना ताज लिखित पुस्तक ‘वेद वृक्ष की छाया तले’ से उद्धृत।

बस! निवेदन है कि समस्त भारतीय समाज को शेयर करे ताकि गांधी के बारे में लोग कुछ और भी जान सके।
यह लेख लगभग दो – तीन वर्ष पहले भी वायरल हुआ था।
जनता की स्मृति बहुत अल्प होती है, उसे बार बार याद करवाना पड़ता है।
क्या आप भी यह कर्तव्य नहीं निभाओगे???

जो गांधी का गुणगान करते हैं उनके लिए विशेष ध्यान देने योग्य।

“राष्ट्रहित सर्वोपरि” 💪💪

जय श्री राम! 🙏

हर हर महादेव!
🔱🙏🚩🕉️

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