मीलॉर्ड का मतलब है : “हमारी आत्मा मर चुकी है, हमारी सुन्नत हो चुकी है

, हम हिंदुओं पर अत्याचार करने वाले मुग़ल हैं, हम मुस्लिमों को तुम्हें थूक और मूत मिला हुआ खाना खिलाने से नहीं रोक सकते”

साभार: नवभारत टाइम्स
सुभाष चन्द्र
कांवड़ यात्रा 22 जुलाई को शुरू हुई जिस दिन मीलॉर्ड जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस SVN भट्टी ने अंतरिम रोक लगा दी और कल 26 जुलाई को उस रोक को हटाने से मना कर दिया और मुस्लिम याचिकाकर्ताओं को उप्र सरकार के सुप्रीम कोर्ट में दिए जवाब पर प्रतिक्रिया देने के समय देते हुए 5 अगस्त सुनवाई की अगली तारीख लगा दी।

मतलब कांवड़ यात्रा ढक्कन बेशर्म निकम्मे हिंदू द्रोही जजों की अंतरिम रोक के चलते 2 अगस्त को महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक के दिन समाप्त हो जाएगी और मुसलमान सभी routes पर अशुद्ध खाना खिलाते रहेंगे।

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उसके बाद कहेंगे कि अब इस मामले में सुनवाई की जरूरत नहीं है क्योंकि कांवड़ यात्रा ख़त्म हो चुकी है।
अब साफ़ हो गया है कि इन मीलॉर्ड्स के दिमाग में हिंदुओं के लिए नफरत कूट कूट कर भरी है और येन केन प्रकारेण जैसे भी हो मुस्लिमों के आगे हिंदुओं को जलील करने वाले ये लोग हिंदुओं के प्रति Hate Mongers हैं।

कल की तारीख से पहले में मेल द्वारा इन दोनों जजों को (Kind Attention – Justice Hrishikesh Roy और Justice SVN Bhatti लिख कर सुप्रीम कोर्ट को 3 वीडियो भेजे थे)

पहले वीडियो में मुस्लिम दूध में थूक रहा है; कपड़ों पर थूक रहा है; पानी में थूक रहा है; फलों पर थूक रहा है; रोटी पर थूक रहा है, और हेयर सैलून में चेहरे पर थूक रहा है।

दूसरे वीडियो में मौलाना अलीमुद्दीन टीवी पर कह रहा है कि “खाने में थूकना” हमारी आस्था है, इसको थूकना न कहें”।

तीसरे वीडियो में एक लड़का होटल में बड़े भिगोने में तैयार सब्जी (कम से कम 10 किलो होगी) में पेशाब कर रहा है।

ये 3 वीडियो देख कर भी उनकी खोपड़ी में अगर समझ नहीं आई तो वो पक्के मुसलमान हैं। मक्कारी देखिए जजों की कैसे वकालत करते है मुसलमानों की, जब उप्र के वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि आपका आदेश केंद्रीय कानून का उल्लंघन है तो मिला कहते है कि फिर ये कानून सारे देश में लागू होना चाहिए, 3 राज्यों में क्यों लागू किया गया। तो फिर आप आदेश दीजिये कि केंद्रीय कानून देश भर में लागू किया जाए।

आप सुप्रीम कोर्ट के जज होते हुए क्या दिमाग को ताला लगा कर बैठते हैं जिससे हिंदुओं का दमन किया जा सके? आपको पता है 3 राज्यों में कांवड़ यात्रा का मार्ग है इसलिए वहां पर ही इसकी जरूरत समझी गई और अगर देश भर में कांवड़ यात्रा हुई होती तो सब जगह इसे लागू किया जाता। यह सवाल करके भी मीलॉर्ड मुसलमानों के वकील की हैसियत से बात कर रहे थे।

याचिकाकर्ता तो देखिये कौन है महुआ मोइत्रा और आकर पटेल, सब जानते हैं वो कितने हिंदू विरोधी हैं और वो भाजपा के सख्त विरोधी हैं। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए समय मांगते हुए कहा कि “उप्र सरकार के आदेश ने देश के secular character को प्रभावित किया है, संविधान की secular values का उल्लंघन किया है और अनेक तरह के मौलिक अधिकारों के हनन का हवाला दिया।

ये ढक्कन लोग बस इतना बता दें कि कौन सा secularism, Right to equality, Right to Dignity of Life और Right not to be Discriminated due to caste और पूरा संविधान आपको यह अधिकार देता कि आप दूसरों के भोजन में थूकें, दूध, रोटी, पानी इत्यादि में थूकें? ऐसा करके आप तो खुद दूसरों के मौलिक अधिकारों का हनन कर रहे हैं।

मीलॉर्ड आपने भगवान शंकर के लिए कांवड़ों के पावन कार्य को मलिन किया है और इस तरह आपने शंकर जी के प्रति अपराध किया है। जाइए मेरी बात याद रख लेना महादेव आप के समेत सभी हिंदू द्रोही जजों का सर्वनाश करेंगे। आप अब महादेव के टारगेट पर रहेंगे। याद रहे आप मुस्लिमों की जितनी भी वकालत करें, आप उनके लिए “काफिर” ही रहेंगे।

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