- हमारा विनाश उस समय से शुरू हुआ था, जब हरित क्रांति के नाम पर देश में रासायनिक खेती की शुरूआत हुई और हमारा पौष्टिक वर्धक, शुद्ध भोजन विष युक्त कर दिया गया।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश में जर्सी गाय लायी गई और भारतीय स्वदेशी गाय का अमृत रूपी दूध छोड़कर जर्सी गाय का विषैला दूध पीना शुरु किया था।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन भारतीयों ने दूध, दही, मक्खन, घी आदि छोड़कर शराब पीना शुरू किया था।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देशवासियों ने गन्ने का रस छोड़कर पेप्सी, कोका कोला पीना शुरु किया था, जिसमें 12 तरह के कैमिकल होते हैं और जो कैंसर, टीबी, हृदय घात का कारण बनते हैं।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देशवासियों ने शुद्ध देशी तेल खाना छोड़ दिया था और रिफाइंड आयल खाना शुरू किया था, जो रिफाइंड ऑयल हृदयघात आदि का कारण बन रहा है।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश के युवाओं ने नशा शुरू किया था। बीडी, सिगरेट, गुटखा, गांजा, अफीम, आदि शुरू किया था, जिससे कैंसर बढ रहा है।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश में हजारों नकली दवाओं का व्यापार शुरु हुआ और नकली दवाओं से लोग मर रहे हैं।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देशवासियों ने अपने स्वदेशी भोजन छोड़कर पीजा, बर्गर, जंक फूड खाना शुरू किया था, जो अनेक बीमारियों का कारण बन रहा है।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने अनुशासित और स्वस्थ दिनचर्या को छोड़कर मनमानी दिनचर्या शुरू की थी।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने घरों में एलुमिनियम के बर्तन व घर में फ्रिज लाया था।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन भारतीय जीवन शैली को छोड़कर विदेशी जीवन शैली शुरू की थी।
12 .हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने स्वस्थ रहने का विज्ञान छोड दिया था और अपने शरीर के स्वास्थ्य सिद्धांतों के विपरीत कार्य करना शुरू किया था ।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन देश का अधिकतर युवा / युवतियां व्यभिचारी बनकर व्यभिचार करना, गर्भ निरोधक गोलियां खाना, लाखों युवतियां हर साल गर्भाशय कैंसर से मरती हैं।
-
हमारा विनाश उस दिन शुरू हुआ था, जिस दिन लोगों ने अपने बच्चों को टीके लगवाना शुरू किया था और यह विचार कभी भी नहीं किया था कि टीकों का बच्चों के शरीर पर भविष्य में क्या प्रभाव पडेगा?
-
इस शरीर की कुछ सीमा है, कुछ मर्यादा है, कुछ स्वस्थ सिद्धांत हैं, लेकिन मनमाने आचरण के कारण शरीर की बर्बादी की है।