ग्रेटर नोएडा। ( विशेष संवाददाता ) ग्रेटर नोएडा में श्री ब्रह्म प्रकाश आर्य को आर्य समाज सेक्टर 36 का प्रधान नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति की घोषणा श्री देव मुनि जी महाराज द्वारा की गई। गुरु पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित किए गए एक विशेष कार्यक्रम में उन्हें आर्य समाज का प्रधान नियुक्त किया गया।
इसी प्रकार इको विलेज – 1 , सोसायटी में आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतमबुद्ध नगर के सौजन्य से आर्य समाज की स्थापना का कार्यक्रम गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर संपन्न हुआ। कार्यक्रम में ब्रह्मा के रूप में आर्य जगत की सुप्रसिद्ध विदुषी दर्शनाचार्या श्रीमती विमलेश बंसल आर्या द्वारा यज्ञ हवन का कार्य संपन्न कराया गया। उन्होंने उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन करते हुए राम और कृष्ण की परंपरा को बनाए रखने का आवाहन किया और कहा कि गुरु वही होता है जो अंधकार को मिटाने का काम करता है। गुरु पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर हम सबको इस पर्व की पावनता को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने महिलाओं का आवाहन किया कि वह पाखंडी गुरुओं के चंगुल से बचकर वास्तविक गुरु अर्थात परमेश्वर उसके साथ-साथ ग की शरण में जाएं इस से जीवन का कल्याण होगा।
मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे आर्य प्रतिनिधि सभा जनपद गौतम बुद्ध नगर के प्रधान डॉ राकेश कुमार आर्य ने उपस्थित लोगों का मार्गदर्शन करते हुए कहा कि हमें अपने गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक परंपराओं से शिक्षा लेने की आवश्यकता है । यदि हमने समय रहते अपने आप को अपनी संस्कृति और अपने धर्म के प्रति समर्पित नहीं किया तो विधर्मी जिस प्रकार का षड्यंत्र रच रहे हैं , उनका वह षड्यंत्र सफल हो जाएगा। इसलिए समय रहते जागरूक होकर अपने धर्म संस्कृति और राष्ट्र के प्रति समर्पित होकर और संगठनात्मक शक्ति को बढ़ाकर हम काम करें। उन्होंने कहा कि यह देश राम और कृष्ण का देश है। जिसमें शस्त्र और शास्त्र का उचित समन्वय करके चलने की शिक्षा दी जाती है। यही वेदों का आदर्श है और यही वैदिक संस्कृति का मौलिक तत्व है। हमें इसके साथ जुड़कर गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर यह संकल्प लेना चाहिए कि हम गुरु शिष्य की पावन परंपरा का निर्वाह करते हुए धर्म संस्कृति और राष्ट्र के कल्याण के लिए जीवन समर्पित कर देंगे।
कार्यक्रम के अध्यक्ष देव मुनि जी महाराज महाराज ने इस अवसर पर कहा कि भारत की पांच यज्ञों की परंपरा का प्रचार प्रसार और विस्तार करने का समय आ गया है। क्योंकि इन्हीं यज्ञों के माध्यम से हमारे संस्कार और हमारी संस्कृति सुरक्षित रह सकती है। हमें अपनी संस्कृति के लिए उपस्थित संकटों को समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि महर्षि दयानंद जी महाराज ने वेदों की ओर लौटने का आवाहन इसीलिए किया था क्योंकि वेदों की शरण में जाकर ही हम अपने अस्तित्व को बचा सकते हैं।
विशिष्ट वक्ता के रूप में बोलते हुए मुकेश नागर एडवोकेट ( उप प्रधान ) ने कहा कि भारत ऋषि और कृषि का देश है। इसकी सांस्कृतिक परंपराएं बहुत ही वैज्ञानिक हैं । उन्होंने गुरु पूर्णिमा के बारे में कहा कि गुरु के प्रति समर्पण भगवान के प्रति समर्पण है , परंतु उसके वास्तविक और वैदिक अर्थ व संदर्भ को भी ग्रहण करने की आवश्यकता है।