जरा अपने ही गिरहवान में झांक कर तो देखिए :-
नफरत हो जायेगी तुझे,
अपने ही किरदार से।
अगर मैं तुमसे,
तेरे ही किरदार में बात करूँ॥2705॥
प्रेम की महिमा :-
जब आइना एक था,
तो चेहरा भी एक था।
आइना क्या टूटा,
चेहरे भी जुदा-जुदा हो गए॥2706॥
कौन हैं पृथ्वी के भूषण और भार इनकी पहचान कीजिए:-
(दोहा)
भूसुर बिरले ही मिले,
ज्यादा काम बिगाड़ ।
ज्यों चन्दन के पेड़ कम,
ज्यादा मिलते झाड़॥2707॥
क्या है जीवन का सौन्दर्य :-
जीवन का सौन्दर्य है,
श्रम, संयम और विवेक ।
रसना के माधुर्य से,
नर बनता नेक॥2708॥
क्रमशः