बिखरे मोती – भाग – 433 *जरा अपने ही गिरहवान में झांक कर तो देखिए :-*

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जरा अपने ही गिरहवान में झांक कर तो देखिए :-

नफरत हो जायेगी तुझे,
अपने ही किरदार से।
अगर मैं तुमसे,
तेरे ही किरदार में बात करूँ॥2705॥

प्रेम की महिमा :-

जब आइना एक था,
तो चेहरा भी एक था।
आइना क्या टूटा,
चेहरे भी जुदा-जुदा हो गए॥2706॥

कौन हैं पृथ्वी के भूषण और भार इनकी पहचान कीजिए:-
(दोहा)

भूसुर बिरले ही मिले,
ज्यादा काम बिगाड़ ।
ज्यों चन्दन के पेड़ कम,
ज्यादा मिलते झाड़॥2707॥

क्या है जीवन का सौन्दर्य :-

जीवन का सौन्दर्य है,
श्रम, संयम और विवेक ।
रसना के माधुर्य से,
नर बनता नेक॥2708॥
क्रमशः

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