कश्मीर के लिए सरदार पटेल की नीतियों का अनुसरण करे मोदी सरकार : पोद्दार

नई दिल्ली । ( विशेष संवाददाता ) अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्याम सुंदर पोद्दार का कहना है कि सरदार पटेल और वीर सावरकर जैसे दूरदृष्टि वाले और स्पष्टवादी राजनेता की आज भी आवश्यकता है । उन्होंने कहा कि कई बिंदुओं पर सरदार पटेल और सावरकर जी का चिंतन एक जैसा है । राष्ट्रवाद को लेकर दोनों के विचारों में भारी समानता थी । जितने स्पष्टवादी सावरकर थे उतने ही स्पष्टवादी सरदार पटेल थे ।

उन्होंने कहा कि सरदार पटेल की दृष्टि बड़ी पारखी होती थी । इसलिए वह शेख अब्दुल्ला को अधिक प्राथमिकता नहीं देते थे । उसकी बातों में छद्मबाद होता था । जिसके कारण सरदार पटेल उसको अपने पास बुलाना भी नहीं चाहते थे।

श्री पोद्दार ने कहा कि शेख अब्दुल्ला एक बार कांग्रेस की एक बैठक को छोड़ कर उठ कर चल दिए थे। जिसमें उस समय कश्मीर पर विशेष चर्चा हो रही थी । शेख अब्दुल्ला को उस दिन यह पता नहीं था कि आज वह जिस व्यक्ति की उपस्थिति में ऐसा कर रहा है वह तेरी भावनात्मक बातों के जाल में फंसने वाला नहीं है। नई दिल्ली के संसद भवन में चल रही इस बैठक को छोड़कर शेख बाहर आया तो संसद के भीतर एक वयोवृद्ध व्यक्ति को बुलाकर सरदार पटेल ने कहा कि शेख संसद से तो बाहर जा सकते हैं पर दिल्ली से बाहर नहीं जा सकते । यह शब्द जब शेख अब्दुल्ला ने सुने तो वह भीगी बिल्ली की भांति चुपचाप लौटकर अपनी सीट पर आ बैठा।

श्री पोद्दार ने कहा कि आज भी हमें कश्मीर को लेकर विरोध की भाषा बोलने वाले नेताओं के साथ इसी प्रकार की स्पष्टवादी भाषा के साथ निपटना होगा। उन्होंने कहा कि अखिल भारत हिंदू महासभा पहले दिन से ही कश्मीर के दोगले और छद्मवादी नेताओं के साथ ऐसी ही कठोर और स्पष्ट नीति को अपनाने की मांग करती आई है । आज भी हम इसी नीति के हैं और यदि सरकार इस प्रकार की नीति अपनाने का कोई भी संकेत देती है तो हम उसका स्वागत करेंगे । उन्होंने कहा कि- दो निशान , दो प्रधान और दो विधान – की असंवैधानिक , अतार्किक और मूर्खतापूर्ण नीति का हिंदू महासभा ने पहले दिन से विरोध किया था । जिसका हम आज भी विरोध करते हैं । श्री पोद्दार ने कहा कि यदि केंद्र की मोदी सरकार आतंकवादियों और देशद्रोही नेताओं से कठोरता से निपटने का निर्णय लेती है तो अखिल भारत हिंदू महासभा उनका समर्थन करेगी।

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