जब कोई पुण्यात्मा पृथ्वी से प्रयाण करती हैं:-*

सहज-सरल-सरस,
गण्या प्रेरक प्रशस्या,
आवाज खो गई,
सब गौर से सुन रहे थे,
सहसा वो खामोश हो गई ॥2701॥

            *मुक्तक* 

विलक्षण व्यक्तित्त्व के संदर्भ में :-

जब किसी पुण्यात्मा का,
धरा पर प्रादु‌र्भाव होता है।
काल की गति बदलती है,
फिजा का रंग बदलता है।
दिशाएँ गीत गाती हैं,
सुयश की बयार बहती है,
पौ फटने लगती है,
सुनहरा भोर होता है॥
जब किसी पुण्यात्मा… ॥2702 ॥

‘विशेष शेर’क्या होता है जब मनुष्य का “आत्मिक सौन्दर्य खो जाता है ?
बचपन का भोलापन खो गया,
रोम – रोम में चालाकी आ गई । बेशक शोहरत और दौलत मिल गई,
मगर सुकून-ए-दिल खो गया ॥2703॥

संसार के पाँच रत्न कौनसे है!

तुलसी या संसार में,
पाँच रत्न है सार।
साधु-संगति हरि-भजन,
दया नम्रता उपकार॥2704॥
-महाकवि तुलसीदास

पाप किसे कहते है ?

जिस के प्रकाशन से भय लगे, लज्जा लगे तथा गोपनीय रखने पर ग्लानि लगे उसे पाप कहते हैं।

पुण्य किसे कहते हैं?

जिस के प्रकाशन से भय लगे,
लज्जा लगे तथा गोपनीय,
रखने पर ग्लानि लगे उसे पाप कहते हैं।

पुण्य किसे कहते हैं?

जिस के प्रकाशन से यश मिले,
कीर्ति मिले, प्रशंसा मिले,
और गोपनीय रखने पर आनन्द
और आत्मसंतुष्टि मिले उसे पुण्य कहते हैं ।

क्रमशः

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