- दिव्य अग्रवाल
जम्मू कश्मीर में कोई भी आतंकवादी हमला हो वहां के क्षेत्रीय नेता चीख चीख कर पाकिस्तान पर दोषारोपण करना शुरू कर देते हैं। जबकि वहां के क्षेत्रीय मजहबी कट्टरवादी समाज के लोगों की संलिप्तता पर कोई चर्चा नहीं करता पाकिस्तान के इस्लामिक आतंकी प्रत्येक हमले में क्षेत्रीय मजहबियों की मदद लेते हैं पर उनका नाम उजागर ही नहीं हो पाता । सत्य तो यह है चाहे पाकिस्तान हो या हिन्दुस्तान जिसके अंतःकरण में गजवा ए हिन्द का सपना पल रहा है वो गैर इस्लामिक समाज की दुर्गति करने में कोई कोताही नहीं बरतेंगे। जब तक मजहबी सोच को पोषित करने वाले, जहरीली तक़रीर करने वालो का अंत नहीं होगा, इस प्रकार के हमले मानवता को अपना ग्रास बनाते रहेंगे। आज भारत के बाहर अज्ञात लोग, मजहबी कट्टरवादियों का अंत कर रहे हैं तो यह अति आवश्यक है की भारत में भी ऐसे कट्टरपंथी लोग जो मजहब के नाम पर छोटे छोटे बच्चों को चरमपंथी शिक्षा दे रहे हैं उनका अंत भी अज्ञात लोगों द्वारा अविलम्ब हो जाना चाहिए।अन्यथा रक्तबीज की तरह एक आतंकी दानव मरेगा और सौ आतंकी दानव जीवित हो जाएंगे। शायद लोग सी ए ए के विरुद्ध किए गए षड्यंत्रकारी आंदोलनों को भूल गए हो, जिनमे आम नागरिक हो या पुलिसकर्मी सबको ही मजहबी कट्टरवादियों ने अपना निशाना बनाया था। वह कोई पाकिस्तान का हमला नहीं अपितु मजहबी सोच का हमला था जो गजवा ए हिन्द के उद्देश्य की पूर्ति हेतु अराजकता फैलाने के लिए किया गया था। सोच , विचार करो और राष्ट्र एवं स्वयं को सुरक्षित करो।
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