L🙏 आज का वैदिक भजन 🙏 0640
ओ३म् यो भू॒तं च॒ भव्यं॑ च॒ सर्वं॒ यश्चा॑धि॒तिष्ठ॑ति।
स्वर्यस्य॑ च॒ केव॑लं॒ तस्मै॑ ज्ये॒ष्ठाय॒ ब्रह्म॑णे॒ नमः॑ ॥
अथर्ववेद 10/8/1
हे नाथ !!! दयालु हो
बस इतनी दया कर दो
आया हूँ शरण, दिल में
भक्ति के भाव भर दो
तेरे रँग में रँग जाये
यह चञ्चल मन मेरा
रहे साफ, न हो धुँधला
मन का दर्पण मेरा
हर शय में तुझे देखूँ
मेरे देव यह वर दो
हे नाथ !!! दयालु हो
बस इतनी दया कर दो
आया हूँ शरण, दिल में
भक्ति के भाव भर दो
हो कर के दूर तुझसे
सदियों से भटक रहा
नहीं पार मैं हो पाया
अभी भँवर में अटक रहा
हो जाऊँ पार भव से
शक्ति जगदीश्वर दो
हे नाथ !!! दयालु हो
बस इतनी दया कर दो
आया हूँ शरण, दिल में
भक्ति के भाव भर दो
जीता और मरता हूँ
मर कर फिर जीता हूँ
मरता और जीता हूँ
जी कर फिर मरता हूँ
नौ मास गर्भ की जेल
जाने से मैं डरता हूँ
बन्धन से छुट जाऊँ
कुछ और न धन-जर दो
हे नाथ !!! दयालु हो
बस इतनी दया कर दो
आया हूँ शरण, दिल में
भक्ति के भाव भर दो
हो जाऊँ अलग जग के
शोक और सन्तापों से
“कर्मठ” ले बचा मुझको
दुर्गुण और पापों से
गाऊँ मैं गीत हर दम
तेरे ही, मधुर स्वर दो
हे नाथ !!! दयालु हो
बस इतनी दया कर दो
आया हूँ शरण, दिल में
भक्ति के भाव भर दो
रचनाकार :- श्री कर्मठ जी
स्वर :- श्री योगेश दत्त जी