भरद्वाज को परमात्मा से क्या प्राप्त होता है?
भरद्वाज कौन होता है?
भरद्वाज को परमात्मा से क्या प्राप्त होता है?
अपने जीवन में हम परमात्मा के कौन से लक्षणों को विकसित कर सकते हैं?
इन लक्षणों से हमें क्या लाभ होगा?
वैश्वानरो महिम्ना विश्वकृष्टिर्भरद्वाजेषु यजतो विभावा।
शातवनेये शतिनीभिरग्निः पुरुणीथे जरते सूनृतावान्।।
ऋग्वेद मन्त्र 1.59.7 (कुल मन्त्र 689)
(वैश्वानरः) सब प्राणियों का कल्याण करने वाले परमात्मा (महिम्ना) अपनी महिमा और महानता के साथ (विश्वकृष्टिः) सबका निर्माता (भरद्वाजेषु) स्वयं को शक्ति और बल से परिपूर्ण करने वाले में
(यजतः) संगति के योग्य (विभावा) विशेष रूप से प्रकाशित (शात वनेये) असंख्य पदार्थ (शतिनीभिः) असंख्य गतिविधियाँ (अग्नि) सर्वोच्च ऊर्जा, परमात्मा (पुरुणीथे) जो दूसरों का नेतृत्व करने में सक्षम हैं और पूर्ण हैं (जरते) सम्मानित और महिमा मंडित हैं (सूनृतावान्) जो उत्तम वाणियों अर्थात् वेदों से प्रेरित करता है।
व्याख्या :-
भरद्वाज कौन होता है?
भरद्वाज को परमात्मा से क्या प्राप्त होता है?
परमात्मा जो वैश्वानर है (अर्थात् सब प्राणियों का कल्याण करने वाला) और विश्वकृष्टि (अर्थात् सबका निर्माता) है। एक भरद्वाज (अर्थात् अपने भीतर दिव्य शक्ति और बल से परिपूर्ण) में केवल वही अपनी महिमा और महानता के साथ संगति के योग्य है। सर्वोच्च ऊर्जा परमात्मा उन्हें उत्तम वाणियों अर्थात् वेदों से प्रेरित करता है जो अन्यों को नेतृत्व देने के लिए पूर्ण और सक्षम होते हैं। परमात्मा ऐसे लोगों के द्वारा सम्मानित और महिमामंडित होते हैं जो असीम पदार्थों के साथ असंख्य गतिविधियाँ दूसरों के कल्याण के लिए सम्पन्न करते हैं।
जीवन में सार्थकता : –
अपने जीवन में हम परमात्मा के कौन से लक्षणों को विकसित कर सकते हैं?
इन लक्षणों से हमें क्या लाभ होगा?
परमात्मा के कुछ लक्षण ऐसे हैं जिन्हें कोई भी अपने जीवन में विकसित कर सकता है :-
1. वैश्वानरः – सबका कल्याण करके हम भी ऐसा बन सकते हैं।
2. विभावा – अपने अहंकार और इच्छाओं को त्यागकर तथा अपनी मूल आध्यात्मिक शक्ति परमात्मा पर ध्यान लगाकर हम भी दिव्य प्रकाश प्राप्त कर सकते हैं।
सुनृतावान् – हम अन्य लोगों को उत्तम वाणियों अर्थात् वेद से प्रेरित कर सकते हैं।
अपने आध्यात्मिक दायित्व को समझें
आप वैदिक ज्ञान का नियमित स्वाध्याय कर रहे हैं, आपका यह आध्यात्मिक दायित्व बनता है कि इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचायें जिससे उन्हें भी नियमित रूप से वेद स्वाध्याय की प्रेरणा प्राप्त हो। वैदिक विवेक किसी एक विशेष मत, पंथ या समुदाय के लिए सीमित नहीं है। वेद में मानवता के उत्थान के लिए समस्त सत्य विज्ञान समाहित है।
आईये! ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च शक्ति परमात्मा के साथ दिव्य एकता की यात्रा पर आगे बढ़ें। हम समस्त पवित्र आत्माओं के लिए परमात्मा के इस सर्वोच्च ज्ञान की महान यात्रा के लिए शुभकामनाएँ देते हैं।
टीम
पवित्र वेद स्वाध्याय एवं अनुसंधान कार्यक्रम
द वैदिक टेंपल, मराठा हल्ली, बेंगलुरू, कर्नाटक
वाट्सएप नम्बर-0091 9968357171
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