ये कैसा इस्लामी शिष्टाचार है !

आम तौर पर शिष्टाचार का तात्पर्य ,भद्रता,सज्जनता होता है ,जिसे उर्दू में तमीज़, तहज़ीब, ,अदाब या शऊर भी कहा जाता है , और अंगरेजी में इसे etiquette, और manners भी कहते हैं . शिष्टाचार में किसी भी देश या धर्म के लोगों के खानेपीने , समाज में रहने , और पड़ौसियों के साथ व्यवहार करने , अभिवादन करने के तौर तरीके शामिल हैं . इस् समय विश्व में कई देश हैं ,और कई धर्मों के अनुयायी है , सभी के शिष्टाचार के तरीके अलग हैं , जिन से उस समुदाय की पहिचान होती है , चूँकि दुनिया में सुन्नी मुस्लिम की जनसंख्या सबसे अधिक है ,जो कुरान के बाद हदीसों पर ईमान रखते हैं , और शिष्टाचार के मामले भी वही तरीका अपनाते हैं , जो मुहम्मद साहब ने सिखाया था , या जैसे मुहम्मद साहब किया करते थे . इस्लामी परिभाषा में ऐसा करने को रसूल की सुन्नत कहा जाता है , अर्थात जिस तरह से माता पिता बच्चों को जो शिष्टाचार सिखाते हैं ,या बच्चे माता पिता को जैसा करते हुए देखते हैं , बड़े होकर जीवन भर वही करते रहते हैं ,

चूँकि आज मुहम्मद साहब मौजूद नहीं हैं ,इसलिए मुसलमान शिष्टाचार में वही तरीका अपनाया करते हैं , जो हदीसों में लिखा हुआ है . सुन्नी मुसलमान हदीसों को प्रामाणिक और धार्मिक ग्रन्थ इसलिए मानते हैं कि उनमे मुहम्मद साहब के कथन और आदेश दिए गए हैं , जिन्हें मुहमद साहब के बाद संकलित किया गया है , इस समय हदीसों की कई किताबें मौजूद है , जिन्हें सही माना जाता है , इन्हीं में एक हदीस की किताब का नाम ” बुलूग़ अल मराम – بلوغ المرام ” है . इसमें कुल 1358 हदीसें हैं , जो 16 अध्याय में विभाजित हैं . इस हदीस की किताब में जो हदीसें हैं ,उनका संकलन सुन्नी “शाफई – شافعي” इमाम “अल हाफिज शिहाबुद्दीन अबुल फज्ल अहमद इब्ने अली इब्ने इब्न मुहम्मद इब्न हजर सकलानी – ابن حجر العسقلاني‎ ” है . जिनका जीवन काल 18 February 1372 – 2 February 1449, 852 A.D है . हदीस की इस किताब के 16 वें अध्याय का नाम ” किताबुल जामअ – كتاب الجامع ” है . जिसका अर्थ समावेशी किताब ( The Comprehensive Book ) है .इस अध्याय में कुछ ऐसी भी हदीसें हैं , जिन्हें पढ़ कर हँसी आती है . और कुछ ऐसी हैं , जो पड़ौसियों के प्रति कपट सिखाती है . और कुछ हदीसें गैर मुस्लिमों से नफ़रत करना सिखाती हैं , जो मुसलमानों की आदत सी बन गयी है , ऐसी ही कुछ हदीसें यहाँ दी जा रही हैं .

1-हाथ चाटो और चटवाओ
हम अक्सर देखते हैं कि यदि कुत्तों को खाने की कोई ऐसी चीज दी जाती है , जिसे वह अपने पंजों से पकड़ कर मुंह से खा लेते हैं , और खाना ख़त्म होने पर पंजों को चाट कर साफ कर लेते हैं . शायद मुहम्मद साहब ने कुत्तों की इस आदत से प्रभावित होकर ही यह हास्यास्पद हदीस कही होगी . जो खाने के बाद हाथ धोने की जगह हाथ और उंगलियां चाटने की शिक्षा देती है , यह मजेदार हदीस देखिये ,
“इब्ने अब्बास ने कहा कि रसूल का आदेश है ,तुम लोग भोजन के बाद अपने हाथ तब तक साफ नहीं किया करो ,जब तक तुम अपने हाथों को जीभ से नहीं चाट लेते . या किसी दूसरे से हाथ नहीं चटवा लेते . जैसे पत्नी पति के हाथ चाटे , और पति पत्नी के हाथ चाटे ”

“وَعَنْ اِبْنِ عَبَّاسٍ ‏-رَضِيَ اَللَّهُ عَنْهُمَا‏- قَالَ: قَالَ رَسُولُ اَللَّهِ ‏- صلى الله عليه وسلم ‏-{ إِذَا أَكَلَ أَحَدُكُمْ طَعَامًا, فَلَا يَمْسَحْ يَدَهُ, حَتَّى يَلْعَقَهَا, أَوْ يُلْعِقَهَا } مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ ”

““When one of you eats, he must not wipe his hand till he licks it, or gives it to someone else to lick (such as a wife, husband, etc.).” Agreed upon.”

English reference : Book 16, Hadith 1486
Arabic reference : Book 16, Hadith 1442

2-विधर्मियों को गलियों में घेरो
भारत में आये दिन जरा जरा सी बात पर हिन्दू मुस्लिम दंगा हो जाता है . यह भी देखा गया है कि अक्सर दंगों की शुरुआत मुसलमान ही करते हैं . और दंगे में उनको थोड़े से हिन्दू रस्ते में मिल जाते हैं तो उनको एक तरफ खदेड़ कर हत्या कर देते हैं , यह तरकीब हदीस सिखाती है , जो इस प्रकार है ,
“अबू हुरैरा ने कहा कि रसूल ने हमें बताया है ,कि अगर मुख्य मार्ग में यहूदी या ईसाई मिल जाएँ ,तो तुम तुम अपनी तरफ सेउनको सलाम नहीं करो . और उनको जाने के लिए रास्ता नहीं दो , बल्कि उनको मुख्य मार्ग छोड़ कर किसी संकरी सी गली में घुस जाने पर मजबूर कर दो ”

“Do not initiate the saluting of Jews and Christians (when you meet them), and if you meet any of them on the road, force him to go to the narrowest part of the road (i.e. do not give way for them to pass, but keep going). Related by Muslim.

“وَعَنْهُ قَالَ: قَالَ رَسُولُ اَللَّهِ ‏- صلى الله عليه وسلم ‏-{ لَا تَبْدَؤُوا اَلْيَهُودَ وَالنَّصَارَى بِالسَّلَامِ, وَإِذَا لَقَيْتُمُوهُمْ فِي طَرِيقٍ, فَاضْطَرُّوهُمْ إِلَى أَضْيَقِهِ } أَخْرَجَهُ مُسْلِمٌ. ”

इस हदीस में मुहम्मद साहब ने सिर्फ इशारा दिया है , यहूदी और ईसाइयों को एक संकरी गली में घेर कर उनके साथ क्या करना चाहिए , मुसलमान सब जानते हैं . दंगों में मुसलमान हिंदुओं के साथ वही करते है जो इस हदीस ने सिखाया है .

English reference : Book 16, Hadith 1489

Arabic reference : Book 16, Hadith 1445

3-पड़ौसियों के साथ कपट करो
यह एक सामान्य सी बात है कि काफी समय तक एक ही मोहल्ले में साथ रहने से पड़ौसियों में घनिष्टता और मित्रता हो जाती है . और अक्सर जब किसी के घर में कोई खाने की चीज या पकवान बनता है ,तो अपने पड़ौसी के घर अवश्य भेज देते हैं . इस तरह से मित्रता और पक्की हो जाती है . इसलिए हरेक समाज में पड़ौसी के साथ धोखा देना या कपट व्यवहार को असभ्यता और अभद्रता की निशानी माना जाता है , लेकिन मुहम्मद साहब लोगों को पड़ौसी के साथ कपट करने और धोखा देनेकी सीख देते हैं , जो इस हदीस से पता चलती है ,
“अबू जर ने कहा कि रसूल ने कहा है , यदि तुम घर में शोरबा ‘सूप ( soup ) बनाओ , तो पड़ौसी को देने से पहले उसमे खूब सारा पानी मिला दिया करो ,जिस से सूप अधिक दिखाई देने लगे , ”

“وَعَنْ أَبِي ذَرٍّ ‏- رضى الله عنه ‏- قَالَ: قَالَ رَسُولُ اَللَّهِ ‏- صلى الله عليه وسلم ‏-{ لَا تَحْقِرَنَّ مِنْ اَلْمَعْرُوفِ شَيْئًا, وَلَوْ أَنْ تَلْقَى أَخَاكَ بِوَجْهٍ طَلْقٍ ”

“When you make some soup, make a good amount by adding plenty of liquid, and give some to your neighbors.” Related by Muslim.

मुहमद साहब की इसी हदीस से प्रभावी होकर दूध वाले दूध में पानी मिला देते है , जिस से दूध अधिक दिखाई देने लगता है . अर्थात मुहम्मद साहब खाने की चीजों में मिलावट करने की शिक्षा देते थे . यही कारन है कि मुसलमान देसी घी में चरबी मिला कर बेचते हैं . और इसे गुनाह नहीं मानते .

English reference : Book 16, Hadith 1506
Arabic reference : Book 16, Hadith 1463

4-मुसलमानों की अल्लागीरी
जैसे किसी गली या मोहल्ले के दादा ( गुंडे मवाली ” किसी को डरा , धमका कर जबरन अपनी बात या मांग पूरी करवा लेते हैं , तो उनके इस दुष्ट कर्म को उनकी गुंडागीरी , या दादागीरी कहा जाता है , लेकिन जब मुसलमान खुद को अल्लाह के बराबर बता कर किसी को डराएं या धमकाएं तो इसे अल्लागीरी नहीं तो और क्या कहें , क्योंकि मुहमद साहब की इसी हदीस से अलागिरी शब्द की उत्पति हुई है , इस हदीस में मुसलमान को अल्लाह के बराबर माना गया है ,

“इब्ने मसूद ने कहा कि रसूल ने कहा है , किसी मुसलमान का अपमान करना अल्लाह की अवज्ञा ( disobedience ) के बराबर है . और उस से लड़ाई करना कुफ्र है .

“وَعَنْ اِبْنِ مَسْعُودٍ ‏- رضى الله عنه ‏- قَالَ: قَالَ رَسُولُ اَللَّهِ ‏- صلى الله عليه وسلم ‏-{ سِبَابُ اَلْمُسْلِمِ فُسُوقٌ, وَقِتَالُهُ كُفْرٌ } مُتَّفَقٌ عَلَيْهِ ”

“insulting a Muslim is disobedience to Allah, and fighting with him is Kufr (disbelief).”

English reference : Book 16, Hadith 1530
Arabic reference : Book 16, Hadith 1487

5-पड़ौसियों के घोड़े खा जाओ

हरेक धर्म में अपने पड़ौसियों के साथ मित्रता रखने और उनकी जान माल की रक्षा करने के आदेश दिए गए हैं ,परन्तु हदीस इसके विपरीत शिक्षा देती है . चूँकि मुहम्मद साहब के समय में घोड़े सवारी ,और युद्ध के लिए उपयोग में लिए जातेथे , और उस समय मदीना में मुसलमानों के साथ यहूदी भी रहते थे . जो इस्लाम के विरोधी थे . इसलिए मुसलमान उनके घोड़े खा लेते थे , जिस से वह मुसलमानों के विरुद्ध युद्ध नहीं कर सकें . दी गयी इस हदीस के पीछे यही कारण हो सकता है .

“असमा बिन्त अबी बकर ने कहा कि रसूल के जीवनकाल में हम लोग पड़ौसियों के घोड़े मार कर खा जाते थे . ”

وَعَنْ أَسْمَاءِ بِنْتِ أَبِي بَكْرٍ رَضِيَ اَللَّهُ عَنْهَا قَالَتْ: { نَحَرْنَا عَلَى عَهْدِ رَسُولِ اَللَّهِ ‏- صلى الله عليه وسلم ‏-فَرَساً, فَأَكَلْنَاهُ ”

“Asma’ bint Abi Bakr narrated, ‘During the lifetime of the Prophet, we slaughtered neighbours horses and ate them .”

चूँकि आजकल युद्ध के लिए घोड़े अनुपयोगी हो गए हैं , और युद्ध के लिए घोड़ों की जगह जीप और टैंक का प्रयोग किया जाता है इसलिए मुसलमान घोड़े नहीं खाते ,वरना मुसलमान जीप और टैंक भी खा जाते .

English reference : Book 12, Hadith 1369
Arabic reference : Book 12, Hadith 1329

6-विधर्मियों के लिए मौत का अभिवादन

किसी भी परिचित व्यक्ति का अभिवादन करना नमस्ते कहना सभ्यता और नम्रता की निशानी है , हरेक देश और धर्म के लोग अपनी भाषा में अभिवादन करते है , इसी तरह जब कोई किसी व्यक्ति का अभिवादन करता है ,तो उसी तरह से उसका उत्तर देना भी जरूरी होता है , लेकिन हदीसें अभिवादन करने वाले का जवाब देने की जगह उसकी मौत की कामना करने की शिक्षा देती है , इसका कारण यह है ,कि मुहम्मद साहब के समय मदीना में मुसलमानों के साथ यहूदी और ईसाई भी रहते थे , जो अपनी परंपरा के अनुसार मुसलमानों को भी ” अस्सलामु अलैक – السلامُ عليك ” कह कर अभिवादान किया करते थे . नियमानुसार इसका जवाब ” व् अलैक अस्सलामु -وعليك السلامُ ” होता है , जिसका अर्थ ” आप पर शांति हो ” (Peace be on you) होता है . लेकिन मुहम्मद साहब अपने लोगों को सीखते थे कि यदि कोई यहूदी तुम्हें सलाम करे तो तुम उसका जवाब इन शब्दों में दिया करो ,जो इस हदीस में दी गयी है ,

“अब्दुलाह इब्न उम्र ने कहा कि रसूल में कहा है यदि कोई यहूदी पारम्परिक शब्दों में तुम्हें सलाम करे , तो तुम उसके सलाम का जवाब ” अस्सामु अलैक – السَّامُ عَلَيْكَ‏ ” कह कर दिया करो . ( इसका अर्थ ” आप पर मौत पड़ जाए – (Death be on you)

‏ إِذَا سَلَّمَ عَلَيْكُمُ الْيَهُودُ فَإِنَّمَا يَقُولُ أَحَدُهُمُ السَّامُ عَلَيْكَ‏.‏ فَقُلْ وَعَلَيْكَ ‏”‏‏ ”

Allah’s Apostle said, when jews usually greet you and say ” As salamu alaikum ” you should say ” as samu alaiukum ” Death be on you .

https://sunnah.com/bukhari:6257

eference : Sahih al-Bukhari 6257
In-book reference : Book 79, Hadith 31
USC-MSA web (English) reference : Vol. 8, Book 74, Hadith 274

इन थोड़ी सी हदीसों को पढने से कोई भी समझदार व्यक्ति बड़ी आसानी से इस्लामी शिष्टाचार और मुसलमानों के उपद्रवी स्वभाव के बारे में असलियत जान सकता है , कि भारत में हिन्दू मुस्लिम दंगों का कारण कौन लोग हैं . फिर भी हम ऐसे लोगों के लिए वही अभिवादन करते हैं ,जो अंतिम हदीस में बताया गया है

” السَّامُ عَلَيْكَ‏ ” “Death be on you “आप पर मौत पड़ जाए –

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बृजनंदन शर्मा

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