✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अपनी एक बेहद महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि- “जिस प्रकार से धर्मांतरण किया जा रहा, यदि इसी गति से धर्मांतरण होता रहा तो इस देश की बहुसंख्यक आबादी बहुत जल्द अल्पसंख्यक हो जाएगी.”
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति श्री रोहित रंजन अग्रवाल ने धर्मांतरण के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए की है।
माननीय उच्च न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में आगे यह भी कहा कि “पूरे उत्तर प्रदेश में एससी/एसटी और आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों का अवैध धर्मांतरण बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।”
माननीय उच्च न्यायालय की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जबकि तमाम विपक्षी दल दलित और पिछड़े वर्गों के “मसीहा” बनने का कोई मौका नहीं छोड़ना चाहते हैं।
उधर सत्ताधारी पार्टी के नेता भी हिंदुत्व का राग अलापने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।
यहां हम श्रीमान अखिलेश यादव, बहन मायावती और चंद्रशेखर आज़ाद रावण से यह प्रश्न पूछना चाहते हैं कि जब दलित और पिछड़ों का धर्मांतरण हो जाएगा, तब दलित एवं पिछड़ा वर्ग के यह स्वघोषित मसीहा किसके लिए छाती पीटेंगे?
प्रश्न यह भी है कि भारतीय जनता पार्टी जो कि स्वयं को “हिन्दूओं और हिन्दू धर्म” का ठेकेदार मानती है, तो जब हिन्दू ही नहीं बचेंगे तो वह ठेकेदारी किसकी करेंगे?
भगवा वस्त्र पहनकर जय श्रीराम का उद्घोष करने वाले माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ बताएं कि हिन्दू धर्म को दीमक की तरह खोखला करने वाले इस “धर्मांतरण सिंडिकेट” को समाप्त कर उत्तर प्रदेश को “धर्मांतरण गैंग मुक्त प्रदेश” कब बनायेंगे???
✍️समाचार सम्पादक, हिंदी समाचार-पत्र,
उगता भारत
9058118317
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