आम चुनाव 2024 में भाजपा की हार पर जनता का जवाब

(भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस पर आत्ममंथन अवश्य करें।)*

  • शुरुआत यूपी से करते हैं। दो-दो बार प्रचण्ड बहुमत से इसी उत्तर प्रदेश के हिंदुओं ने भाजपा को संसद में भेजा! भेजा कि नहीं…?

दो-दो बार इसी उत्तर प्रदेश ने हिन्दुओं ने योगी आदित्यनाथ जी को विधानसभा भेजा। भेजा कि नहीं…? दो दो बार इसी उत्तर प्रदेश के हिंदुओं ने मोदी जी को प्रधानमंत्री बनाया। बनाया कि नहीं…?

जब सपा से सम्बंधित लोगों ने सपा को, मुलायम सिंह और अखिलेश सिंह को ऊखाड फेंका था। और नरेंद्र मोदी जी को सर आंखों में बैठाया। योगी जी को गले लगाया। जब BSP से सम्बंधित लोगों ने मायावती को छोड़कर मोदी जी को दिल्ली की सत्ता पर और योगी को लखनऊ की सत्ता पर बैठाया। भाजपा के मूल वोटरों को न कोई आरक्षण, न कोई सुविधा, न कोई तवज्जो, न कोई योजना।

भाजपा का मूल वोटर, भाजपा का झंडा ढोयें, भाजपा के लिए लाठी खाएं, भाजपा के लिए जेल जाए, भाजपा के लिए दुश्मनी मोल ले। इसके बावजूद सामान्य वर्ग एवं अन्य वर्गों के कट्टर हिन्दुओं ने जीवन पर्यन्त भाजपा को वोट दिया है। आज उत्तर प्रदेश के इन्हीं वर्गों के हिन्दुओं ने भाजपा को वोट नहीं दिया। क्यों…?

भाजपा के राजनेता अपनी मनमानी करें तो रास लीला, जनता जनार्दन अपना विकल्प खोजे तो कैरेक्टर ढीला। भाजपा के राजनेता मूल कार्यकर्ताओ की उपेक्षा करें तो रास लीला, और कार्यकर्ता उनको उनकी औकात दिखा दे तो कैरेक्टर ढीला। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व आयातित और भगोड़ों को सर आखों पे बैठाए। उनको टिकट दे। उनको मंत्री बनाए। तो रास लीला। जनता जनार्दन अपना विकल्प चुनें। तो कैरेक्टर ढीला।

आप ने लाल किले की प्राचीर से गौरक्षकों को निशाने पर लिया। लिया कि नहीं…? इसकी क्या जरूरत थी…? और यदि इसे आप कोर्ट का निर्णय मानते हैं। तो फिर अन्य निर्णयों में भी श्रेय कोर्ट को ही दीजिए। आप ने 300 से ज्यादा कारसेवकों के हत्यारे मुलायम सिंह को पद्म विभूषण दिया। दिया कि नहीं…? और क्यों दिया…? आखिर इसकी क्या जरूरत थी…?

क्या आडवाणी जी गलत थे…? कल्याण सिंह जी गलत थे…? उमाभारती जी गलत थी…? सभी कारसेवक गलत थे…? सभी भाजपाई और उनका उद्देश्य गलत था…? उन कारसेवकों की निर्मम हत्या या बलिदान की वजह से ही भाजपा आज सत्ता में है। क्या किसी कारसेवक को भाजपा ने सम्मानित किया…? उनके आश्रितों को कोई सहयोग राशि आप ने देने की कोशिश की…?

अब बारी उड़ीसा की। उडीसा में भाजपा की राज्य सरकार में पहली बार सरकार बन गई। जिसकी आपको बधाई। लेकिन उडीसा में जिस दारासिंह के बलिदान से भाजपा सत्ता में आई है। आज उसी उडीसा में अपना सर्वस्व बलिदान कर चुके दारासिंह जी आज भी जेल में हैं। भाजपा ने कभी दारा सिह के बारे में जानने की कोशिश की। क्यों नहीं की…?

हिन्दु जनता ने मोदी को तरजीह दी थी गोधरा कांड पर, हिन्दुओं का खुला पक्ष लेने पर। हिन्दुओं ने ‘सबका साथ सबका विकास’ के लिए मोदी जी को वोट नहीं दिया था। मुस्लिमों को सबसे ज्यादा योजनाएं किसने दी…? सरकारी योजनाओं को मुस्लिमों को सबसे ज्यादा लाभ किसने दिया…? UPSC के सिलेबस में इस्लामिक स्टडीज नाम के विषय की वजह से मुस्लिम IAS/IPS धुँआधार चयनित हो रहे हैं…? हो रहे हैं कि नहीं…? आखिर क्यों…?

यह कड़वा सच है कि, पुलिस भर्ती एवं अन्य भर्तीयों में हुई लापरवाही से इस बार के चुनाव में सर्व समाज के अधिकांश युवाओ ने सपा/कांग्रेस या विपक्षी पार्टियों को ही वोट दिया। आपके शासन काल में अधिकारी एवं कर्मचारी बेलगाम हैं। वो जनता की नहीं सुनते हैं। निचले स्तर पर भ्रष्टाचार चरम पर है। जनता का छोटे से छोटा काम बिना घूस दिये नहीं होता है। इस मामले में आपकी सरकार और विपक्ष की सरकार में कोई अंतर नहीं है।

जैसे कांग्रेस और अन्य पार्टियों की सरकारों के मंत्रियों ने अपने समय में मोटा कमाया। वहीं काम आज आपके मंत्री और नेता कर रहे हैं। जनता सब देख रही है। आप ने निजीकरण करते समय उस संस्थान के कर्मचारी का एवं उसके परिवार के भविष्य के बारे में भी आप ने सही से नहीं सोचा…? ऐसा किया कि नहीं…?

आपकी सरकार जनता की नब्ज को एवं बेरोजगारी को ध्यान में रखते हुए, सुयोग्य युवाओं के लिए सीमित ही सही लेकिन नई-नई भर्तियां निकालें। प्रत्येक 6-6 महीने के अन्तराल में नियमित भर्तियां निकालें। भर्तियां पारदर्शी तरीके से हो। और एक वर्ष के भीतर नियुक्तियाँ दे। जो सरकारी कर्मचारी ताउम्र अपनी सेवा देता है। उससे उसकी बुढ़ापे की लाठी छीन ली। जिसको पेंशन कहते हैं। आप पेंशन कम दीजिये। लेकिन दीजिये। मंत्री और नेता स्वयं पुरानी पेंशन ले रहे हैं। और कर्मचारी को नयी पेंशन वो भी जबरदस्ती। अगर नयी पेंशन इतनी अच्छी हैं। तो नेता और मंत्री स्वयं क्यों नहीं लेते हैं…?

भ्रष्ट… हिन्दू विरोधी नेताओं, विधायकों को और सांसदों को भगोड़े नेताओं को भाजपा में लाया गया। और उनको टिकट दिया गया। और भाजपा कैडर के तपस्वी, समर्पित पदाधिकारियों को साइड कर दिया गया। वो बेचारे आज भी दरी बिछाने पे लगे हुए हैं। उनकी उपेक्षा की गयी। की गयी कि

हिन्दूओं के वोट से सत्ता पाने के बाद ‘सबका साथ सबका विकास’ ऐसा हिन्दूओं ने तो नहीं कहा था। चिंतन करियेगा। चुनाव के जब दो चरण बाकी थे। तब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कह दिया कि भाजपा अब सक्षम है अकेले चुनाव लड़ने में। अब भाजपा को RSS की जरूरत नहीं। RSS ही माई बाप और RSS की ही उपेक्षा। सोचिये जरूर!

भाजपा के जो जो कार्यकर्ता और जो जो पदाधिकारी अपना सर्वस्व जीवन भाजपा में खपा चुके हैं। क्या उनकी ओर आप ने ध्यान दिया। एक दो उदाहरण को छोड़कर। टिकट में जमीनी समर्पित कार्यकर्ताओं की उपेक्षा हुई। क्यों…? इतना घमंड क्यों…? इतना गूरूर क्यों…? इतना मगरूरपन क्यों…? कांग्रेस मुक्त भारत के बजाय कांग्रेस युक्त भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने बनाई है या हिन्दूओ ने…? बोलो…?

जो जो प्रत्याशी सनातन विरोधी थे। हिन्दी, हिन्दू और हिन्दुस्तान विरोधी थे। जो जो श्रीराम पर, कृष्ण पर, रामायण पर, तुलसीदास पर ऊंटपटाग प्रहार करते रहे। सनातन को निशाने पर लेते रहे। लेकिन जिला में, राज्य में और केन्द्र में होते हुए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व धृतराष्ट्र बना रहा। क्यों…? अति गंभीर विषय…?

क्षमा चाहता हूँ। लेकिन ऐसा लगता है कि कहीं 10 साल की सत्ता से आप अहंकार में इतने मदमस्त तो नहीं हो गये थे कि आप ने अनुचित नारा, अहंकारी एवं दम्भी नारा, जो राम को लाए हैं, हम उनको लाएंगे। राम को लाने का दंभ पाल लिया। जबकि आपको इसका खंडन करना चाहिये था। शीर्ष नेतृत्व के इस अहंकार का दमन जनता जनार्दन ने किया।

आपके बिना हिन्दू क्या करेगा…? यदि आप ऐसा सोचते हैं। तो ऐसा सोचना बंद कीजिये। क्योंकि हिन्दू है तो आप है। आपके कारण हिन्दू नहीं है। हिन्दुओं का सर्वोच्च देव ईश्वर है। ईश्वर के बाद वेद हैं। वेद के बाद ………. हैं।

भाजपा का शीर्ष नेतृत्व शंकराचार्य जी को हमेशा उपेक्षित करता रहा। और अपनी फजीहत कराता रहा। आखिर इसकी क्या जरूरत थी। जबकि तुरंत उनसे मिलना चाहिये था। इसके विपरीत आप पसमांदई मुस्लिमों और सऊदी अरब के शेखों के गले मिलते रहे। जनता अंधी है क्या…?

भाजपा को बहुमत से अल्पमत में लाना। असहाय विपक्ष को मजबूत करना। यह जनता जनार्दन का भौंह रूप है। अभी जनता जनार्दन की तीसरी नेत्र खुलना बाकी है। जनता जनार्दन ने भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को झटका तो दिया है।

लेकिन सपा बसपा कांग्रेस को उठने नहीं दिया। जनता द्वारा पर्याप्त बहुमत न देना। इस देश की जनता जनार्दन का ये पहला दंड है अल्पमत सरकार। दूसरा दंडा होगा सत्ता से बाहर करना। जो कि अति दुःखद भी होगा। क्योंकि विपक्ष पूरी तरह से नकारा है। इसलिए भाजपा शीर्ष नेतृत्व जनता जनार्दन का आदेश शिरोधार्य करें। जनता जनार्दन का निर्णय स्वीकार करें। नुक्ता चीनी न करें।

अगर आप हिन्दूत्व बचाना चाहते हैं तो जनता आज भी आपके साथ है। जनता ने आपकी कुछ सीटें छीनी है ना कि आप से गद्दी। इसलिये आप शास्त्र सम्मत कार्य करें। अन्य संतों की तरह ही शंकराचार्यो का भी आदर करें। शंकराचार्यो से मंत्रणा करें। शंकराचार्यो का मार्गदशन लें। शंकराचार्य, वेद, पुराण, उपनिषद में निष्णान्त हैं। शंकराचार्य ही सनातन धर्म की धुरी है। और व्याख्याता हैं। वेद, शास्त्र और शंकराचार्य। शंकराचार्योओ से, संतों से क्षमा याचना करें। ईश्वर से क्षमा मांगें। और अपनी वाजिब कमियों का मूल्यांकन एवं अवलोकन करें।

एक बात और भगवान राम जब जब कोई नया काम करते थे। या जब जब कोई नया निर्णय लेते थे। तब तब श्रीराम जी सबकी सलाह लेते थे। सुग्रीव की, जामवंत की, हनुमान की, अंगद और नल नील की भी। लेकिन भाजपा ने अपने जमीनी कार्यकर्ताओं की अनदेखी की। और जमीनी समर्पित पदाधिकारियों की कभी न सुनी। आज भी नहीं सुन रही। यदि कार्यकर्ताओं ने और जमीनी पदाधिकारियों ने कभी अपनी संगठन की पीड़ा रखनी भी चाही। तो उन्हें डांट के बैठा दिया गया। या उन्हे मीटिंग रूम से बाहर कर दिया गया। पूर्णतया अनुचित अव्यवहारिक। भाजपा अपनी एक कमी दूर कर ले। सपा सरकार में सपा के छोटे छोटे कार्यकताओं तक की सुनी जाती है। बसपा सरकार में बसपा कार्यकर्ताओ की सुनी जाती है। कांगेस हो या राजद या कोई और सबकी सरकार में उनके पार्टियों और कार्यकर्ताओं की सुनी जाती है। सपा, बसपा, कांग्रेस और सभी पार्टियो में सभी विधायकों और सभी सांसदों की सुनवाई होती है। सबके पास अधिकार होते हैं।

लेकिन भाजपा सरकार में भाजपा पदाधिकारियों, भाजपा कार्यकर्ताओं की एक नहीं सुनी जाती है। आज भी नहीं सुनी जाती। उनको आदर्शवाद की घुट्टी पिला दी जाती हैं। अब अटल, आडवाणी, कल्याण सिंह, उमा भारती, सुंदरलाल पटवा की भाजपा नहीं रही। सारा अधिकार सारा निर्णय मोदी और योगी के पास सुरक्षित। भाजपा के मोदी और योगी केवल प्रचार करें तो ज्यादा लाभ होगा…? या योगी और मोदी के साथ-साथ भाजपा के सभी सांसद और सभी विधायक सभी 1-1 पदाधिकारी और सभी 1-1 कार्यकर्ता प्रचार करेंगे। तो भाजपा को ज्यादा लाभ होगा…?

ये भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को सोचना है! इसलिए अभी भी समय है। चेत जाए भाजपा। चेत जाए भाजपा का शीर्ष नेतृत्व। चेत जाए भाजपा का जिम्मेदार नेतृत्व। बाद में पछताने से या कहने से कुछ नहीं होगा। इससे राष्ट्र का नुकसान ही होगा। अतः आप अपना आत्म मूल्यांकन कीजिये। और अपनी कमियों में सुधार लाते हुए जनता की भावनाओं एवं जरूरतों को ध्यान में रखते हुए विकास कार्य कीजिये। ये जनता वर्षों तक आपको विराजमान रखेगी। और आप ने जो भी अच्छे राष्ट्रहित एवं जनता के हित में काम किये हैं। उसके लिये ये जनता आपका हार्दिक आभार प्रकट करती है। हम थे भाजपा के ओर सनातन धर्म के कट्टर समर्थक।

आदरणीय नरेंद्र मोदी जी, आदरणीय जेपी नड्डा जी, आदरणीय अमित शाह जी, आदरणीय योगी आदित्यनाथ जी ।

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