राइट ब्रदर्स नहीं बापूजी तलपदे हैं विमान बनाने वाले पहले व्यक्ति
मित्रो ! आज का दिन इस बात के लिए विशेष रूप से जाना जाता है कि आज के दिन राइट ब्रदर्स ने सेना के लिए एक विमान बनाकर दिया था । यह घटना 1909 की है । राइट ब्रदर्स के बारे में यह कहना कि उन्होंने पहली बार विमान बनाया था , समकालीन इतिहास का सबसे बड़ा झूठ है ।
वास्तविकता यह है कि हमारे वेदों में सृष्टि के आरंभ से ही विमान बनाने का ज्ञान उपलब्ध रहा है । ऋषि भारद्वाज के द्वारा इस संबंध में एक ग्रंथ का निर्माण किया गया , जिसका नाम उन्होंने ‘ वृह्दविमानभाष्य ‘ दिया । जिसमें जल , थल और नभ तीनों के लिए विमान या जहाज बनाने की पूरी तकनीक दी गई है। लाखो वर्ष पूर्व बनाए गए इस ग्रंथ में ऐसे विमान का भी उल्लेख किया गया है जो जल में भी उतर सकता है , और यदि जल में चलते हुए जहाज को लगे कि अब वह किसी कारण से डूब सकता है तो उसके भीतर भी ऐसा ऑटोमेटिक सिस्टम डिवेलप किया गया था कि वह ऐसी स्थिति में तुरंत उड़ जाए । आज का भौतिक विज्ञान इस क्षेत्र में जाने के लिए अभी सोच भी नहीं पा रहा है ।
ऋषि भारद्वाज के इस ‘ वृहदविमानभाष्य ‘ को महर्षि दयानंद जी ने पढ़ा और अपने शिष्यों को इस क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा दी । उन्होंने एक बार स्वयं कहा था कि आज भी विमान बनाए जा सकते हैं । इसके बाद महर्षि दयानंद के परम शिष्य बापूजी तलपदे ने इस ग्रंथ का गहनता से अध्ययन किया । मुंबई के रहने वाले महाबुद्धिमान व्यक्तित्व के स्वामी बापूजी तलपदे ने ‘ वृहदविमानभाष्य ‘ पढ़कर उस पर काम करना आरंभ किया ।
इसके पश्चात 1893 में बापूजी तलपदे ने विमान बनाने में सफलता प्राप्त कर ली । उसके द्वारा बनाई गई हवाई जहाज जैसी एक चीज उड़ने में सफल हुई , परंतु 100 – 200 मीटर आगे जाकर वह गिर गई। अपने कार्य में मिली इस महान सफलता को देखकर उन्हें यह विश्वास हो गया कि यदि इस पर और काम किया जाए तो विमान बनाया जाना संभव है । तब उन्होंने तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से अपने इस महान कार्य मैं सहयोग देने के बारे में संपर्क साधने का प्रयास किया । उन्होंने अंग्रेज अधिकारियों से मिलकर उनको यह बताया कि यदि उसे सरकारी सहायता उपलब्ध कराई जाए तो वह विमान बना सकता है ।
अंग्रेज अधिकारियों ने अपनी क्रूरता का परिचय देते हुए हमारे इस महाप्रतिभाशाली मां भारती के सपूत की दोनों भुजाएं काट दीं और उससे महर्षि भारद्वाज का ‘ वृहदविमानभाष्य ‘ छीनकर उसे अपने देश ले गए। वहां जाकर उन्होंने यह ग्रंथ राइट ब्रदर्स को दिया । जिन्होंने उस पर शोध कर विमान बनाने में सफलता प्राप्त की । इस प्रकार मूलरूप में विमान बनाने से राइट ब्रदर्स का कोई संबंध नहीं है ,उन पर महानता थोपी गई हैं । वास्तव में इस कार्य को करने वाले बापूजी तलपदे थे और उनके लिए भी प्रेरणा के स्रोत महर्षि दयानन्द थे। जबकि महर्षि दयानंद के लिए प्रेरणा के स्रोत महर्षि भारद्वाज और वेद थे ।
कितना दुर्भाग्य है इस देश का कि हमारे ऋषियों को ग्वालों के रूप में चित्रित किया जाता है , और इसके इतिहास में वेद और वेदों की महत्ता को समाप्त करने का घिनौना षड्यंत्र किया गया है । भारत की ऋषि और कृषि आधारित संस्कृति को मिटाने का एक गंभीर छल पूर्ण षड्यंत्र देश में होता रहा । जिसके चलते बापूजी तलपदे जैसे महाप्रतिभाशाली मां भारती के सच्चे सपूत को आज तक इतिहास में यह सम्मान नहीं मिला कि वह विमान बनाने वाले आधुनिक काल के सबसे पहले व्यक्ति थे । हमारी जनरल नॉलेज की पुस्तकों में आज भी विमान बनाने वाले राइट ब्रदर्स ही माने जाते हैं । शोक ! महाशोक !!
अपने वेदों पर गर्व करो और साथ ही इस बात का संकल्प करो कि भारतीय धर्म , संस्कृति और इतिहास के साथ किए गए घिनौने षड्यंत्र को मिटाने का हम अपने स्तर पर गंभीर प्रयास करेंगे । हमारे इतिहास पुनर्लेखन जैसे अभियान के साथ जुड़ें और लोगों को इस बात के लिए प्रेरित करें कि जब तक हम अपने अतीत को नहीं जानेंगे तब तक उज्जवल भविष्य की कल्पना भी नहीं की जा सकती ।
आज राइट ब्रदर्स को नहीं बल्कि अपने वेदों को , महर्षि भारद्वाज को , ऋषि दयानंद को और बापूजी तलपदे को नमन करने का दिन है।
डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत
( अध्यक्ष : भारतीय इतिहास पुनरलेखन समिति )