जौ( Barley) की खेती पर आकाशीय विजली नहीं गिरती
जौ( Barley) की खेती पर आकाशीय विजली नहीं गिरती – अथर्ववेद -6-142-1
मैं अब तक विभिन्न स्थानो पर करीब एक दर्जन से अधिक कृषि विभाग से सेवानिवृत्त हुये अधिकारियो से पूछ चुका हूं कि क्या आपने कभी जौ की खेती पर आकाशीय विजली गिरते देखी, सभी का जबाब था-नहीं।
इस खाद्यान्न की अन्य विशेषताएं हैं —
उत्तम मस्तिष्क का निर्माणक, ज्ञान स्तर की बढोतरी ,वीर्य रक्षक।इसका सेवन करने वाला जितेन्द्रिय, सोच समझ कर बोलने वाला व अशुभो को काटने वाला बनता है-
अथर्ववेद -6-30-1
करम्भ ( दधि मिला हुआ जौ का सत्तु ( सिका हुआ आटा )चरबी का ठीक से पाचन करता है। शरीर को Poison युक्त नहीं होने देता -अथर्ववेद 6-142-1
यह रोग- कृमिनाशक होता है ।
अथर्ववेद 6-142-2
जौ ( यव ) की रक्षा के लिये यव के पास बैठने वाले लोग विनिष्ट ( To demolish) नहीं होते –अथर्ववेद 6-143-3
( हमारे पूर्वज सचमुच कितने वैज्ञानिक दृष्टिकोण वाले थे कि उनके भोजन की तालिका में जौ अवश्य रहता था। जौ के अन्य अनेक लाभ हैं। जिनका भरपूर आनंद हमारे पूर्वज लिया करते थे। आज की युवा पीढ़ी के लिए जौ अछूत हो गया है। उसी का परिणाम है कि हमारा स्वास्थ्य चौपट हो गया है। जौ के स्थान पर गेहूं की रोटियां आ गई हैं ,जो कि एक विदेशी अनाज है। इस विदेशी अनाज में हमारा पेट खराब कर दिया है। जिससे स्वास्थ्य अपने आप खराब हो गया है । हमारे देश में कभी बीमारों की संख्या लगभग नगण्य नहीं हुआ करती थी। पर आज ऐसा नहीं है। आज हर व्यक्ति किसी न किसी रोग से परेशान है । उसके पीछे जौ की विदाई और गेहूं का आगमन महत्वपूर्ण कारण है। यदि जौ के पीछे हटने और गेहूं को आगे लाने के इतने घातक परिणाम हो सकते हैं तो विदेशी वेशभूषा, विदेशी भाषा, विदेशी अपसंस्कृति के अपनाने के क्या परिणाम होंगे ? तनिक विचार कीजिए।
– डॉ राकेश कुमार आर्य)
मेरा हरेक व्यक्ति से अनुरोध है कि अपनी भोजन तालिका में इस खाद्यान्न को अवश्य शामिल करें।
डा.गोवर्धन लाल गर्ग,जयपुर/गंगापुरसिटी
लेखक-हमारा जीवन कैसा हो,वैदिक मार्ग पर चलने वालो जैसा हो( वेदो के विषयों का वर्गीकरण करती एक पुस्तक)