आप सभी ने देखा होगा कि जब भी मुसलमानों से भारत माता की जय कहने या वन्दे मातरम बोलने को कहा जाता है तो वह साफ़ मना कर देते हैं , यही नहीं अगर उनको किसी हिन्दू आयोजन में बुलाया जाता है तो भी वह नहीं जाते , और न किसी हिन्दू महापुरुष का सम्मान करते है , मुस्लिम हमेशा यही उत्तर देते हों कि हम अल्लाह के सिवा न तो किसी को प्रणाम करते है और न अल्लाह के सिवा किसी के आगे झुकते हैं , मुसलमानों के इस अड़ियल और अहहिष्णु विचार को ‘तौहीद – ” कहा जाता है ,इसे हिंदी में एकेश्वरवाद (Monotheism ) कहा जाता है , मुस्लिम इस विचार को इस तरह निरूपित करते हैं ,कि जैसे एकेश्वरवाद की खोज इस्लाम की खोज है , जबकि इस्लाम से हजारों साल पहले ही वेद में एक ईश्वर की बात कह दी थी ,
एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति “यह देख कर अधिकांश नादान हिन्दू यह समझ लेते हैं कि वेदों की तरह इस्लाम भी एकेश्वरवाद का हिमायती है ,पहले हमें यह जानना जरूरी है कि वैदिक धर्म कर्म के सिद्धांत पर आधारित है ,यानी व्यक्ति जैसे कर्म करेगा वैसा ही फल पायेगा , इस से कोई अंतर नहीं होता कि कोई एक ईश्वर को माने या दो को (जैसे पारसी ) या ईश्वर को बिलकुल नहीं माने जैसे बौद्ध और जैन , या वैज्ञानिक जो नेचर को मानते है , लेकिन लोग नहीं जानते कि जब मुस्लमान एक ही अल्लाह की इबादत करने पर जोर देते हैं तो उसके पीछे बड़ा भरी षडयंत्र है ,वास्तव में मुहम्मद के समय में कई लोग ऐसे थे जो अल्लाह बने हुए थे , लेकिन मुसलमानों ने इस बात को छुपा रखा था , और कहते रहे कि हमारा निराकार है. लेकिन कुरान में खुद अल्लाह ने स्वीकार किया है कि वह एक सत्ता नहीं एक समूह है ,
यह आयत देखिये ,
“وَأُخْرَىٰ لَمْ تَقْدِرُوا عَلَيْهَا “48:21
(व उखरा लम तकदिरू अलैहा )
” हमारे अलावा और भी हैं जिन पर तुम कुदरत नहीं पा सके ” सूरा -अल फतह 48 :21
“and there are others you had not power over them ”
( 2nd person masculine plural imperfect verb, jussive mood )
भावार्थ -यह है कि अल्लाह कहता है कि मेरे अतिरिक्त ऐसे और भी हैं , जिन पर तुम्हारा बस नहीं नहीं सका ,अर्थात मुहमद के समय मुसलमानों के अल्लाह जैसे और भी अल्लाह मौजूद थे , और यह बात भी तय है कि वह अल्लाह निराकार नहीं साकार ही रहे होंगे , पूरी दुनिया अच्छी तरह से जान चुकी है कि लड़ना झगड़ना मुसलमानों का स्वभाव है , और कुदरती बात है कि जब अनेकों अल्लाह होंगे तो उनमे झगड़ा होना स्वाभाविक है , और जब हरेक अल्लाह खुद को असली और दूसरे को नकली बताने लगा तो , मुहम्मद ने असली यानी अपने अल्लाह की निशानी लोगों के सामने पेश कर दी
1–अल्लाह की पहिचान जाँघों से
अल्लाह की सही पहिचान इबादत से नहीं बल्कि उसकी जांघों से होती है , इसलिए मुल्लों , और सभी मुसलमानों को चाहिए कि पहले अल्लाह के नीचे के कपडे निकल कर जांघें देख लें . फिर उसे सिजदा करें , यही रसूल ने कहा है , देख लो .
“सईदुल खुदरी ने कहा कि रसूल ने बताया ,कि अल्लाह कई प्रकार के हैं और कब कोई कहेगा कि मैं ही तुम्हारा अल्लाह हूँ , तो तुम कहोगे तू मेरा अल्लाह नहीं हो सकता और तुम उस से बात नहीं करोगे .तब लोगों ने पूछा कि हम उसे कैसे पहिचानें ,रसूल ने बताया जाँघों से .और जब अल्लाह नेअपनी जांघ उघाड़ कर दिखाई तो लोग पहिचान गए और सिजदे में गिर गए .”
Sahih Al-Bukhari, Volume 9, Book 93, Number 532s
Reference : Sahih al-Bukhari 7439
In-book reference : Book 97, Hadith 65
USC-MSA web (English) reference : Vol. 9, Book 93, Hadith 532
(
” فَيَأْتِيهِمُ الْجَبَّارُ. فَيَقُولُ أَنَا رَبُّكُمْ. فَيَقُولُونَ أَنْتَ رَبُّنَا. فَلاَ يُكَلِّمُهُ إِلاَّ الأَنْبِيَاءُ فَيَقُولُ هَلْ بَيْنَكُمْ وَبَيْنَهُ آيَةٌ تَعْرِفُونَهُ فَيَقُولُونَ السَّاقُ. فَيَكْشِفُ عَنْ سَاقِهِ فَيَسْجُدُ لَهُ كُلُّ مُؤْمِنٍ، وَيَبْقَى مَنْ كَانَ يَسْجُدُ لِلَّهِ ”
Narrated Abu Sa’id Al-Khudri:
Then the Almighty will come to them in a shape other than the one which they saw the first time, and He will say, ‘I am your Lord,’ and they will say, ‘You are not our Lord.’ And none will speak: to Him then but the Prophets, and then it will be said to them, ‘Do you know any sign by which you can recognize Him?’ They will say. ‘The Shin,’ and so Allah will then uncover His Shin whereupon every believer will prostrate before Him
https://sunnah.com/bukhari:7439
Sahih Al-Bukhari, Volume 9, Book 93, Number 532s
Reference : Sahih al-Bukhari 7439
In-book reference : Book 97, Hadith 65
USC-MSA web (English) reference : Vol. 9, Book 93, Hadith 532
पाठक खुद ही समझ लें कि अल्लाह ने अपनी जांघें उघाड़ कर लोगों को ऐसी कौन से चीज दिखाई होगी जिसे देख कर लोग फ़ौरन जान गए कि यही हमारा असली अल्लाह है , और तुरंत उसको सिजदा कर दिया
विमम्र निवेदन – पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को सेव कर लें और सबको भेज दें क्योंकि मुस्लिम कहेंगे की यह हदीस गलत है , इसलिए हमने हिंदी अंगरेजी और अरबी भी दे दी है , लोगों को पता नहीं होगा की मुस्लिम मुल्ले हदीसों की दो तरह से नम्बरिंग करते है , पहला अरबी सिस्टम दूसरा अंगरेजी सिस्टम इसलिए हमने दोनो नंबर दे दिए ,ताकि कोई शंका न रहे
देखा गया है की जब भी मुल्लों से अल्लाह के होने का साबुत माँगा जाता है तो वह कुरान पेश कर देते हैं कि कुरान अल्लाह की वाणी है इन प्रमाणों से सिद्ध हो जाता है कि अल्लाह अनेकों रहे होंगे , जैसे शिया अली को ही अल्लाह मानते हैं क्योंकि उनके अनुसार कुरान अली की रचना है , और अगर हम कुरान को अल्लाह के होने का सबूत मान लें तो कुरान में शैतान की आयतें भी हैं जहाँ तक अल्लाह के साकार होने की बात है तो हम बता चुके है ,की अल्लाह काना है ,उसके दौनों हाथ दाहिने कंधे में लगे हैं , अल्लाह मोटा और भारी है , उस समय उसकी आयु 60 साल के लगभग रही होगी ,
यह बात अगले लेख में विस्तार से दी जाएगी (सन्दर्भ लेख (200 /50 )
(396)-B.N.Sharma