नई सरकार के सामने चुनौतियां*

(आर. सूर्य कुमारी – विनायक फीचर्स)

आज देश के सामने ऐसी पांच विभीषिकाएं हैं , जिनसे देश को मुक्त करना बहुत शीघ्र अपेक्षित है , नहीं तो देश ऐसे भयानक दौर में फंस जाएगा कि बाहर निकलना मुश्किल होगा और भारतीय सभ्यता – संस्कृति का अस्तित्व ही दांव पर लग जाएगा। आइए अब ये चर्चा करते हैं क्या – क्या हैं ये पांच विभीषिकाएं
1. आई एस आई के कारनामें- आई एस आई पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी है और यह भारत में खतरनाक कारनामों को अंजाम देने में तुली है। इसका पूरा नाम है इंटर सर्विस इंटेलिजेंस। किशोर व नवयुवकों जो बाहर से आकर भारत के शरणार्थी शिविरों में रह रहे हैं या भारत के तमाम हिस्सों में मारे – मारे फिर रहे हैं, उनको धन का लालच देकर, भड़काकर, उनके धर्म का वास्ता देकर आई एस आई आतंकवाद के गहरे कूप में डाल रही है। देश के कई राज्यों में आई उन्हें एस आई अपने पैर पसार रही है और विघटनकारी गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश कर रही है। आई एस आई को ध्वस्त करना आज की पहली जरूरत है। भला तो यही है शरणार्थी किशोरों को बांग्लादेश या म्यांमार डिपोर्ट किया जाए। अगर उनमें से कुछ अल्पवयों को शरण मिलती भी है तो उन्हें देश की मुख्य धारा में शामिल किया जाए। आंतरिक खुफिया तंत्र सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की जरूरत है।
2. सीमा पार आतंकवाद- सीमा पार आतंकवाद दूसरी बड़ी विभीषिका है। सीमा पर आए दिन झड़पें होती रहती हैं। पाकिस्तान के आतंकवादी हर रोज सीमा से भारत में प्रवेश करने की कोशिश करते रहते हैं। सीमावर्ती कश्मीर में खून – खराबे को अंजाम देने की कोशिश करते रहते हैं। जम्मू – कश्मीर की कुछ अतिवादी आबादी अपने बीच हिंदुओं को आकर बसने देना नहीं चाहती। वह सिर्फ यही चाहती है कि जम्मू-कश्मीर सिर्फ़ मुसलमानों का बना रहे। जम्मू-कश्मीर की उदारवादी आबादी अमन और शांति चाहती है। पाकिस्तान की दखलंदाजी पसंद नहीं करती है। इस कारण क्षेत्र हमेशा तनाव व अशांति में पड़ा रहता है। संघर्ष होता रहता है। पाकिस्तान के पक्ष में व विरोध में नारे लगते रहते हैं। हालांकि धारा 370 के हटने व नए माहौल के बनने के बाद परिस्थिति सुधरी है , मगर इतनी भी नहीं सुधरी कि चैन की नींद सोया जाए।
3. खालिस्तानी मूवमेंट- खालिस्तानी मूवमेंट देश की विभीषिकाओं में से एक जटिल विभीषिका है। यह मूवमेंट गलत आधार पर खड़ा है। खालिस्तानी आतंकवाद न तो गुरु तेग बहादुर की देन है न ही गुरु गोविंद सिंह की। यह अवधारणा किसी भी सच्चे सिख की नहीं है। पाकिस्तान भारतीय युवाओं को बरगलाकर उन्हें खालिस्तानी मूवमेंट में लगा रहा है। कुछ भारतीय राजनीतिज्ञ भी खालिस्तानी आतंकवाद के लिए उत्तरदायी हैं।
4.नक्सली आतंक- नक्सली आतंक को विभीषिका का रूप दिए बगैर रहा नहीं जा सकता। नक्सली जंगलों के अंदर – अंदर ही तमाम आतंकी गुटों के संपर्क में रहते हैं व हथियार व युद्ध सामग्री हासिल करते रहते हैं। इन हथियारों व युद्ध सामग्री का उपयोग उपद्रव मचाने में करते रहते हैं। हालांकि नक्सली उपद्रव एक हद तक नियंत्रण में है , मगर यह एक ऐसी विभीषिका है , जिस पर पल भर के लिए भी नजर हटाना मुश्किल को न्योता दे सकता है।
5. माफियावाद- माफियावाद आज की एक ऐसी समस्या है , जो तूती की तरह बोल रही है। आज ऐसा कोई क्षेत्र नहीं , जहां माफियावाद न आया हो। खनिज माफिया, शिक्षा माफिया , स्वास्थ्य माफिया, रोड माफिया हर क्षेत्र में माफिया सर चढ़कर बोल रहा है। और ये माफिया सबसे ज्यादा कतिपय प्रशासनिक हलकों में सक्रिय रहते हैं। साथ ही साथ अपने – अपने स्तर पर रंगदारी ङ्घह्म्वसूल करते हैं। आज के समय में नशा – माफिया सबसे ख़तरनाक माफिया है , जिसने एक बड़ी आबादी का जीना दूभर कर दिया है। आज माना जाता है कि देश की संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा माफिया के हाथों में हैं। कुल मिलाकर यही समझा जा सकता है कि इन पांच दानवों से देश को मुक्त कराना, मोदी सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए ताकि आम जनता , चाहे कोई भी हो चैन , की सांस ले व निश्चिंत जिंदगी जिए। (विनायक फीचर्स)
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