मुहम्मद के समय तक अरब के लोगों में शादी (Marriage ) को संस्कार नहीं माना जाता था ,कोई भी व्यक्ति किसी भी स्त्री से जब चाहे शारीरिक सम्बन्ध बना सकता था ,जिसमे आयु और रिश्तेदारी का कोई प्रतिबांध नहीं था , निकाह मतलब (Intercourse ) था , इस्क्के नियम तो बाद में बनाये गए थे जब कुरान पूरी हो गयी ,मुहम्मद जानते थे अरब औरतों के शौक़ीन हैं और इसके लिए कुछ भी कर सकते हैं ,इसी लिए उन्होंने लोगों को मुसलमान बनाने का आसान तरीका निकाल लिया , वह लोगों को कल्पित जन्नत की हूरों का लालच देने लगे ,और जब अबू जहल जैसे लोगों ने शंका प्रकट कीहम कैसे मानें पहले तुम पहले कर के दिखाओ ?
तो मुहम्मद ने सबूत के लिए खुद अपनी बेटी और अन्य सात औरतों के साथ हूरों जैसा व्यवाहर करके ( Practicle ) करके दिखा दिया
सभी प्रबुद्ध पाठक जो मेरे लेख लगातार पढ़ते आये हैं , वह भलीभांति जानते हैं कि मैंने बार बार अपने मित्रों और टिप्पणीकारों से विनम्र निवेदन किया है ,कि वह टिपण्णी करते समय शिष्ट और संयत भाषा का प्रयोग करें ..और उत्तेजित होकर कभी अपशब्दों का प्रयोग न करें .और न विषय से हट कर अनावश्यक टिपण्णी करें .इस से लोगों को विषय कि गंभीरता को समझने और अपनी राय कायम करने में बिलम्ब लग जाता है .
लेकिन सबने देखा होगा कि पिछले दो महीनों से कुछ लोग ऐसे हैं जो समुचित और तर्कपूर्ण उत्तर देने में असफल होकर गाली गलौच की भाषा का प्रयोग कर रहे हैं .स्पष्ट रूप से यह पराजय की निशानी है .आपको स्मरण होगा कि एक व्यक्ति ने हिन्दुओं के पूज्य ,आदर्श अवतारों और देवी देवताओं पर अनर्गल आक्षेप लगते हुए अपशब्दों का प्रयोग किया था .यद्यपि मैं ऐसी भाषा के प्रयोग को निंदनीय कार्य समझता हूँ .परन्तु लोगों को यह नहीं समझने की भूल नहीं करना चाहिए कि मेरे पास ईंट का जवाब पत्थर से देने की क्षमता नहीं है .
मैंने यह लेख काफी पहले तय्यार करके रख लिया था .और सुरक्षित रख लिया था .परन्तु जब विरोधियों ने सारी मर्यादाएं पर कर दीं तो विवश होकर यह लेख प्रकाशित करना पड़ा .
जो लोग मुहम्मद को अल्लाह का रसूल ,चरित्रवान ,और महान बताते हैं .उनके दावों का भंडा फूट जायेगा .जब लोगों को यह पता चलेगा कि मुहम्मद ने जो घोर पाप और कुकर्म किया है ,उसके लिए उसे मनुष्य कहना भी उचित नहीं होगा .इसका निर्णय पाठक खुद करेंगे .
इस लेख में जितनी भी हदीसों के हवाले दिए गए हैं सब विश्वसनीय ( authentic ) और प्रमाणिक ( Reliable ) हैं .और जो साईट दी गयी है वह भी यहूदियों ने नहीं बनाई है .जैसा कि मुसलमान आरोप लगाते हैं .मेरा अनुरोध है कि इस लेख को ध्यान से पढ़िए .
1-जन्नती व्यभिचार
मुसलमान जब तक जिन्दा रहते हैं ,कुकर्म और अय्याशी करते रहते हैं .और अल्लाह भी उनको व्यभिचार और अय्याशी के लिए प्रोत्साहित करता है .और मुसलमानों को जन्नत में हरेक तरह की अय्याशी के साधन उपलब्ध करने का वादा करता है .जन्नत में मुसलमान क्या करेंगे ,उन्हें क्या मिलेगा ,कुरान बता रहा है .देखिये –
“जन्नत में निगाहें बचाए रखने वाली लज्जावती युवतियां होंगी ,जिन्हें इससे पहिले न तो किसी मनुष्य ने हाथ लगा होगा और न जिन्न ने हाथ लगाया होगा “सूरा -रहमान 55 :56
“वहां पर पंक्ति में बिछे हुए पलंग होंगे जिनपर तकिये लगे होंगे ,और हमने वहां बड़ी बड़ी आंखों वाली सुन्दर आकर्षक स्त्रियों का इंतजाम किया है ,जिन से लोग सहवास करेंगे ”
सूरा -अत तूर 52 :20
“वहां बड़ी और सुन्दर आँखों वाली रूपवती युवतियां होंगी “सूरा -अल वाकिया 56 :22
“वहां न तो सहवास का सिलसिला टूटेगा और न कोई रोकटोक करने वाला होगा ”
सूरा-अल वाकिया 56 :33
“वहां पर हरेक के लिए ऐसी युवतियां होंगी जिनकी आयु सदा एकसी बनी रहेगी ”
सूरा -अन नबा 78 :33
इस्लाम की नजर में हरेक औरत सिर्फ भोगने की वस्तु मानी जाती है .और जानवरों की तरह सहवास के लिए किसी भी रिश्ते का कोई लिहाज नहीं किया जाता है .लेकिन मुहम्मद ने अपने जिन्दा रहते ही सात औरतों को जन्नत का अधिकारी घोषित कर दिया था .लेकिन इस में भी मुहम्मद की अय्याशी की झलक साफ दिखाई देती है .क्योंकि उसने इन सात औरतों में अपनी प्रथम पत्नी खदीजा को शामिल नहीं किया .और उसकी जगह “मैमुना “को शामिल किया है .बाकी औरतें जिहादियों ,और मुहम्मद के रिश्तेदारों की पत्नियाँ है .इन्हें “जन्नत की सात बहिनें ” या “seven sisters paradise ” कहा जाता है .इसके बारे में यह हदीस दी जा रही है –
2-जन्नत की सात बहिनें
यह उस समय की बात है जब खदीजा मर गयी थी और मुहम्मद अपनी वासना पूर्ति के लिए अपने रिश्ते की और पड़ौस की औरतों से अयाशी करने लगा था ,और इन औरतों कोखुश करने के लिए जन्नत का लालच दिया करता था
Here is a SaHeeH (Authentic) hadeeth that tell us the seven sisters of paradise.
यह बिलकुल प्रमाणिक हदीस है .जिसमे जन्नत की सात बहिनों के बारे में कहा गया है
“अबी बसीर ने कहा कि मैंने अबू जाफर से सुना ,उन्होंने कहा कि अल्लाह लोगों क़ी जिन बहिनों को अपनी कृपा से जन्नत में दाखिल करेगा उनके नाम इस प्रकार हैं –
1 .असमा बिन्त उमैस Asma बिन्त Umays -यह जाफर बिन अबू तालिब क़ी पत्नी थी .(أسماء بنت عميس )
2 .सलमा बिन्त उमैस Salmah बिन्त Umays -हमजा क़ी पत्नी और हिलाल कबीले से थी .(سلمى بنت عميس )
3 .मैमूना बिन्त हारिस Maimoonah bint Harith -यह रसूल क़ी पत्नी थी (ميمونة بنت الحارث )
4 .उम्म अल फदी Umm al Fadi -इसका असली नाम “लुबना बिन्त अल हारिस
भी है यह अब्बास बिन अकील क़ी पुत्री थी .इसे “हिंद ” भी कहा जाता है()أم الفضل عند العباس اسمها هند
.5 .अल खमीसा Al Qameesaa -यह खालिद बिन वलीद क़ी माँ थी ,जो मुहम्मद का साथी और जिहादी था.(خمس )
6 .इज्जा Izza -यह सकीफ काबिले से थी आर अल हज्जाज बिन गजफ क़ी पत्नी थी (عزة )
7 .हमीदा Hameedah – यह निस्संतान थी और मुहम्मद के घर काम करती थी (حميدة)
حدثنا أبي رضي الله عنه قال حدثنا سعد بن عبد الله عن أحمد بن محمد بن عيسى عن أحمد بن محمد بن أبي نصر البزنطي عن عاصم بن حميد عن أبي بصير عن أبي جعفر ع قال سمعته يقول رحم الله الأخوات من أهل الجنة فسماهن أسماء بنت عميس الخثعمية و كانت تحت جعفر بن أبي طالب ع و سلمى بنت عميس الخثعمية و كانت تحت حمزة و خمس من بني هلال ميمونة بنت الحارث كانت تحت النبي ص و أم الفضل عند العباس اسمها هند و الغميصاء أم خالد بن الوليد و عزة كانت في ثقيف عند الحجاج بن غلاظ و حميدة و لم يكن لها عقب
Al-Sadooq, al-KhiSaal الخصال, , vol. 2, pg. 363, chapter on seven characteristics, hadeeth # 55
Mujam Rijaal مُعْجَمُ رجالِ الْحَدیث al-Hadeeth, vol. 24, pg. 195, person # 15574
Abd Al-Salaam bin SaaliH), whether or not if he was an
3-मुहम्मद अपनी पुत्री को गर्भवती किया
मुहम्मद एक ऐसा व्यक्ति था जिसने कल्पित जन्नत की कहानी के बहाने अपनी बेटी को भी गर्भवती कर दिया था इसे ध्यान से पढ़िए
मुहम्मद पुत्री फातिमा गर्भवती कैसे हुई थी ,इसके बारे में काफी लम्बी हदीस है . और उस में से केवल सम्बंधित अंश ही दिए जा रहे हैं .
hadeeth about how FaaTimah (عليها السلام) was conceived. This hadeeth is a fairly lengthy, but I am only narrated the relevant part about FaaTimah’s (عليها السلام) conception.
इस दी गयी हदीस का मुख्य बयानकर्ता"अब्दुल सलाम बिन सालिह" है वह सुन्नी है कि शिया अल खोयेयी ,इसके बारे में अपनी किताब "मुजआम रिज्जल अल हदीस अल तफरीशी" में नकद अल रिज्जाल "में खुद को शिया बताया है .लेकिन पहले के विद्वानों जैसे "अल तूसी "और "अल हिलाली "ने कहा है कि वह एक "आमी "यानि सुन्नी था .अर्थात यह हदीस प्रमाणिक है .और यह बात भी शतप्रतिशत साबित होती चुकी है कि "अब्दुल सलाम बिन सालिह अबू अल सालिह " की यह हदीस भरोसे के योग्य है .
the primary narrator (Aami (Sunni) or a Shee
ah. Al-Khoei in his Mujam Rijaal Al-Hadeeth and Al-Tafreeshee in his Naqd Al-Rijaal have said that he is a Shee
ah. While earlier scholars such as Al-Toosi and Al-Hillee have stated that he is an Aami (Sunni). Even if we were to say he was a Sunni, the hadeeth will only be lowered to Muwaththaq (Reliable), because it is 100% established that
Abd Al-Salaam bin SaaliH Aboo Al-Salt is thiqah (trustworthy).
“अब्दुल सलाम बिन सालिह अल हरवी (अबू सलत )”ने कहा कि “अली बिन मूसा अल रिजा “ने कहा है कि रसूल ने बताया था कि जब मुझे जन्नत में बुलाया गया था तो जिब्राईल ने मेरा हाथ पकड़ कर अन्दर बुलाया ,और मुझे खजूर दिए ,जिसे मैंने खा लिया .इस से मेरी कमर के नीचे शक्राणु भर गए .और जब मैं वापस जमीन पर आया तो मैंने खदीजा और फातिमा के साथ सम्भोग किया .जिस से वह गर्भवती हो गयी .चूँकि फातिमा मानवीय हूर है ,इसलिए जब भी मैं जन्नत की सुगंध की इच्छा करता हूँ ,फातिमा के शरीर की गंध सूंघ लेता हूँ ”
حدثنا أحمد بن زياد بن جعفر الهمداني رضي الله عنه قال حدثنا علي بن إبراهيم بن هاشم عن أبيه إبراهيم بن هاشم عن عبد السلام بن صالح الهروي قال
و قال النبي ص لما عرج بي إلى السماء أخذ بيدي جبرئيل ع فأدخلني الجنة فناولني من رطبها فأكلته فتحول ذلك نطفة في صلبي فلما هبطت إلى الأرض واقعت خديجة فحملت بفاطمة ع ففاطمة حوراء إنسية فكلما اشتقت إلى رائحة الجنة شممت رائحة ابنتي فاطمة ع
From Abd Al-Salaam bin SaaliH Al-Harawee (Aboo Al-Salt) said: I said to
Alee bin Moosa Al-RiDaa (عليه السلام): “….And the Prophet (صلى الله عليه وآله وسلم) said: ‘When I was taken to the heavens, Jibra’eel (عليه السلام) took me by my hand, and I entered Jannah. Then, he (Jibra’eel) gave me from the heavenly dates, and I ate it. Then that altered my sperm in my loin. So when I returned to the earth, I had sexual intercourse with Khadeejah (عليها السلام), and FaaTimah(عليها السلام) was conceived, and FaaTimah (عليها السلام) is a human Hooree. So whenever I yearn the scent of Jannah, I smell the scent of my daughter, FaaTimah (عليها السلام)’”
Al-Sadooq, `Uyoon Al-Akhbaar, vol. 1, ch. 11, pg. 115, hadeeth # 3
क्या मुसलमान चाहते हैं कि लोग अपनी बुद्धि बेच डालें ,जो ऐसे कुकर्मी व्यक्ति का आदर करें ,और उसे अल्लाह का रसूल स्वीकार कर लें ?जिस व्यक्ति ने अपनी सगी पुत्री के साथ सहवास करके उसे गर्भवती बना दिया हो .उसका तो नाम सुनने ही पाप लगेगा .दूसरों पर आक्षेप लगाने वालों को पहले आईने में अपना मुंह देख लेना चाहिए .अगर कोई शर्मदार व्यक्ति होगा तो मुहम्मद का यह घिनावना चेहरा देखकर बुरका पहिन कर घर में बैठा रहता .और फिर भी नहीं माने ऐसा ही जवाब मिलेगा .
http://www.revivingalislam.com/2011/02/conception-of-fatima.html
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बृजनंदन शर्मा