राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) बनामआर्य समाज-
।।ओ३म्।।
1-आर्य समाज पूर्ण रूप से स्वदेशी राष्ट्रीय आंदोलन था,जिसमें बड़े-बड़े क्रांतिकारी उत्पन्न हो रहे थे,जिसे समाप्त करने के लिए अंग्रेज़ों ने संघ को खड़ा किया और संघियों ने छद्दम राष्ट्रवाद के नाम पर जोशीले युवाओं को भर्ती किया,ताकि स्वदेशी आंदोलन को दबाया जा सके।
2-आर्य समाज ने जिन स्वदेशी वस्त्र धोती और कुर्ता का प्रचार किया,ठीक उसके उलट संघी खाकी की Half Pant और चमड़े की Belt के साथ काली टोपी पहनतेहैं।
3-हिंदुओं को दिशा भ्रमित करके अपनेसाथ जोड़ने के लिए भारत के नक्शे पर इन्होंने भारत माता को ध्वज हाथ मेंलिए दिखाया है।इंग्लैंड की देवी Britney जिसके सिर पर मुकुट है,जो कि एक ग्रीक देवी है,उसी प्रकार की स्थिति में उस ग्रीक देवी को भारतीयपरिवेश में तिरंगे के साथ दिखाया है।इससे संघ अंग्रेज़ों द्वारा संचालित हुआ लगता है।
4-वीर सावरकर जैसे सच्चे देशभक्त सदा ही आर्य शब्द का प्रयोग करते थे और उनकी प्रार्थना भी (नमो वत्सले आर्यभूमे) थी,जिसे बदलकर बड़ी ही चालाकी से (नमो वत्सले हिन्दूभूमे) किया गया।वीर सावरकर यथार्थवादी थे।दयानंद सरस्वती भी यथार्थवादी थे,तो फिर जो चीज जैसी है,उसको ऐसे हीस्वीकार न करके पाखंड को क्यों आगे रखा जाता है?क्योंकि ये लोग हिन्दुओं को सेकुलरिज़्म की चासनी में डुबा-डुबाकर,उन्हे ईसाईयत व इस्लाम की विचारधारा से जोडना चाहते हैं।5-संघ की शाखाओं में जिस प्रकार से Salute किया जाता है,ठीक वैसा ही Zogi Salute एक Albania नामक काम्युनिस्ट देश में भी किया जाता है,जिससे सिद्ध है कि संघ के प्रयोजन के पीछे विदेशी हाथ ही है।6-संघी कभी क्रांति से सीधा नहीं जुड़ते थे। तनिक विचारें कि इसी कारण अंग्रेज़ों ने इसे पनपने दिया और आर्य समाज को रोकने की जी जान से कोशिश की।तभी अनेकों क्रांतिकारी लाला लाजपत राय,राम प्रसाद बिस्मिल,चन्द्रशेखर आदि आर्य समाज की पृष्ठभूमि से हुए हैं,जिनको यातनाएँ दी गईं। लेकिन गोवलकर जैसों को कोई कष्ट सहन नहीं करना पड़ा,आखिर क्यों ?
7-दयानंद सरस्वती का संकल्प पूर्ण रूप से स्वदेशी शासन लाने का था,तभी उनको रोकने के लिए 17 बार विष दिया गया और उनकी आर्य विचारधारा को समाप्त करने के लिए विवेकानंद को खड़ा किया गया।विवेकानंद को कभी किसी से खतरा नहीं हुआ और न ही कभी किसी ने उसे ज़हर दिया,क्योंकि वो सेकुलर थे,वो ईसाई,मुस्लिम और हिन्दू आदि सभी मतों की संस्कृतियों को अपनाये हुए थे ?आज भी देख लीजिये किस सेकुलर को खतरा है?माया,मुल्लायम,मणिशंकर,कजरी,ममता बानो आदि को किसी से कोई खतरा नहीं है।जो टोपी और तिलक लगाये वो सेकुलरहै।इसी तरह विवेकानन्द भी मांस भी खाते थे और साधूओं के गेरूए कपडे भी पहनते थे। RSS द्वारा विवेकानन्द कोआगे रखने का उद्देश्य ये है कि वो सभी हिन्दुओं को विवेकानन्द जैसा ही बनाना चाहता है।सभी हिन्दू मांस भी खाये,हुक्का,बीड़ी भी पाये और थोडा तिलक टोपी भी लगा ले।फिर धीरे-धीरे हिन्दुओं के दिमाग में गैर कुसंस्कृति प्रवेश करने से वो ईसाईयत व इस्लाम भाई-भाई के नारे लगाने लगे।आज कुछ लोग हिन्दू,मुस्लिम,ईसाई भाई-भाई के नारे लगाते मिल जायेंगे,क्योंकि उनके दिमाग में उनके प्रेरणास्रोत विवेकानन्द वाली विदेशी संस्कृति घुस चुकी है।
8-सन 1947-1948 के आसपास संघ के पास 40लाख की सेना थी,लेकिन इतनी युवा सेना होने के बाद भी भारत पाकिस्तानविभाजन में 20 लाख हिन्दू कटा,क्यों?
9-हिंदू महासभा के होते हुए भी संघ ने 1950 में जनसंघ की स्थापना की,क्यों ?
10-गाँधी वध करने वाले नथुराम गोडसे से संघ ने नाता तोड़ लिया था और महाराष्ट्र में 600 विनायक ब्राह्मण को मरने दिया,क्यों ?
11-आर्य समाज ने संघ को बहुत स्थानोंपर शिविर लगाने की भूमि दी,लेकिन संघ ने उस पर कब्जा कर लिया,क्यों?
12-संघ सदा कहता है कि भारत हिंदू राष्ट्र है,जिससे कि लोग संतुष्ट होकर बैठे रहें,क्योंकि इनके अनुसार जब पहले से ही भारत हिन्दू राष्ट्र है,तो उसके बनाने में परिश्रम क्यों करना?😝 और इसी छद्दमराष्ट्रवाद की आड़ में हिंदू पिटता रहे और मरता रहे।
13-आर्य समाज शुद्धि का कार्य करके मुसलमानों और ईसाईयों को पूर्ण रूप से सनातन धर्म का अंग बनाता था,लेकिन संघी पहले तो शुद्धि में कोई रूचि नहीं लेते थे।आज भी अगर कोई शुद्धि कार्यक्रम किया जाता है,तो आर्य समाज को साथ लेकर जाते हैं। अगर RSS वाले शुद्धि करते भी थे,तो उनको यूँ ही छोड़ देते थे,जिससे कि बहुत से लोग वापिस इस्लाम में चले जाते थे।आर्य समाज में आने के बाद व्यक्ति बहुत गहराई तक धार्मिक शिक्षा ग्रहण करते हैं,जिस कारण वो भविष्य में कभी पुनः वापिस नहीं जाते।
14-संघ सदा से धर्म की रीढ रहे आर्य गुरुकुलों को बर्बाद करने का प्रयास करता रहा है,क्यों?•••••••••••••••••••••क्योंकि संघ का उद्देश्य व लक्ष्य वैदिक विचारधारा को नष्ट करना रहा है,सेकुलर बना दिये गये हिन्दुओं कोपुनः वेद की ओर न ले जाकर पाखंड में डुबकी लगवाना रहा है।लेकिन संघ को ये नहीं पता कि आर्य समाज सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार करता है,जो कभी नष्ट हो ही नहीं सकता।व्यक्ति नष्ट हो सकते हैं,लेकिन धर्म कभी नहीं मिटता।जिसने धर्म को मिटाने की कोशिश की,बाद में धर्म ने इसको मिटा दिया।सीरिया,इराक आदि अनेकों देशोंको धर्म ने साक्षात नरक में धकेल दिया है।Rss में वैसे बहुत से देशभक्त हैं लेकिन वह सब बेकार जब तक ये विवेकानंद को अपना आदर्श मानते रहेंगे मूल रूप से
15 संघ एक राजनैतिक दल है यह धर्म विषय पर हिन्दुओं को दिशा नहीं देगा । तभी तो हिन्दुओं में एकता नहीं हो रही और हिन्दु अंधविश्वासी ही बन कर रह गया ।
सत्य सनातन वैदिक धर्म की जय।।
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