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इतिहासकार राकेश आर्य को किया गया डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित

आज जन्मदिवस पर मिली नई उपलब्धि

नई दिल्ली । आज यहां स्थित होटल अमलतास इंटरनेशनल ग्रीन पार्क में आयोजित किए गए अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान संस्थान से संबद्ध अंतर्राष्ट्रीय आर्य विद्यापीठ के सारस्वत समारोह में प्रख्यात इतिहासविद राकेश कुमार आर्य को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया गया । श्री आर्य को यह उपाधि उपरोक्त आर्य विद्यापीठ के अध्यक्ष एवं अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संस्कृत भाषा के प्रथम ज्ञानपीठ विजेता पदम भूषण प्रोफेसर डॉक्टर सत्यव्रत शास्त्री द्वारा प्रदान की गई । इस अवसर पर शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व निदेशक सोमदत्त दीक्षित एवं संस्कृत व हिंदी के प्रख्यात लेखक डॉ अरविंद भी उपस्थित रहे । डॉ सत्यव्रत शास्त्री ने श्री आर्य को दी गई इस उपाधि के संबंध में बोलते हुए कहा कि यह एक ऐतिहासिक कार्य संपन्न हुआ है जो कि स्वर्णिम अक्षरों में लिखे जाने योग्य है । उपरोक्त संस्था के द्वारा श्री आर्य के नाम का प्रस्ताव आना सचमुच एक सही और पात्र प्रतिभा को सम्मानित करने के समान है । जबकि डॉ श्याम सिंह शशि ने इस अवसर पर कहा कि वह श्री आर्य को अपना मानसपुत्र समझकर इस उपाधि से अलंकृत कर रहे हैं । डॉ श्याम सिंह शशि ने कहा कि उनकी यह संस्था 1968 में स्थापित हुई थी और उन्हें आज इस बात की बहुत प्रसन्नता है कि आज पहली बार एक पात्र व्यक्ति को संस्था के द्वारा पुरस्कृत कर ऐतिहासिक कार्य संपन्न हुआ है ।

कार्यक्रम में उपस्थित रहे शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के पूर्व निदेशक सोम दीक्षित प्रोफेसर सोम दीक्षित ने कहा कि श्री आर्य के द्वारा किया गया इतिहास संबंधी शोध कार्य बहुत दूरगामी परिणाम देगा । जबकि प्राचार्य डॉ वीरपाल विद्यालंकार ने कहा कि श्री आर्य द्वारा साहित्य के क्षेत्र में इतना गहन शोध कार्य किया गया है कि उनकी प्रत्येक पुस्तक उन्हें कोई ना कोई उपाधि दिलाने में सक्षम है । उनके अथक प्रयासों को अब से बहुत पहले ऐसा सम्मान मिल जाना चाहिए था । कार्यक्रम में उपस्थित रहे डॉ अरविंद ने कहा कि साहित्यकार या लेखनीकार का प्रयास ही वास्तव में देश को नई दिशा दे सकता है । कार्यक्रम में उगता भारत परिवार की ओर से संरक्षक प्रो0 विजेन्द्रसिंह आर्य ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज वह इस बात पर गर्व और गौरव की अनुभूति कर रहे हैं कि श्री राकेश आर्य को उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए यह सम्मान प्रदान किया जा रहा है। इसके लिये उन्होंने आर्य विद्यापीठ के अध्यक्ष डॉ श्याम सिंह शशि और अन्य विशिष्ट अतिथियों का हार्दिक आभार व्यक्त किया ।


डॉ राकेश कुमार आर्य ने अपने संबोधन में कहा कि उन्हें जिस आशा और अपेक्षा के साथ यह उपाधि प्रदान की गई है उसकी गरिमा का ध्यान रखते हुए वह और भी अधिक निष्ठा एवं कर्मठता के साथ कार्य करेंगे तथा इतिहास के क्षेत्र में किए गए विकृति करण के कार्य को शुद्ध करने का अपना प्रयास जारी रखेंगे। श्री आर्य ने कहा कि भारतीय धर्म , संस्कृति और इतिहास के साथ जो गंभीर छेड़छाड़ की गई है उसके पीछे रचे गए षड्यंत्र का भंडाफोड़ करने का अब समय आ गया है , जिसके लिए इतिहासकारों और लेखकों को ईमानदारी से लेखन कार्य करते हुए रणक्षेत्र में उतरने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित बाबा नंद किशोर मिश्र ने कहा कि भारत को विश्वगुरु के रूप में स्थापित करना श्री आर्य का जीवन लक्ष्य है। जिसके लिए उन्हें यह सम्मान दिया जाना बहुत ही उत्कृष्ट कार्य है। जबकि संगठन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री योगी जय नाथ जी महाराज ने कहा कि श्री आर्य की पैनी लेखनी के माध्यम से बहुत बड़ा कार्य करने में हम लोग सफल हुए हैं । मैं उन्हें अपनी ओर से शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं।

इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता देवेंद्र सिंह आर्य , चाहत राम , उगता भारत समाचार पत्र के संपादक श्रीनिवास आर्य , राकेश आर्य , रामकुमार वर्मा , प्रोफेसर राकेश राणा , अजय आर्य ,मेजर वीर सिंह आर्य , सुधीर बंसल , विपिन आर्य , विपिन खुराना आदि उपस्थित थे ।

अजय आर्य
कार्यालय प्रबंधक : उगता भारत

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