लेखक: डॉ. पुरुषोत्तम लाल मीणा
वसा जिसे अंग्रेजी में फैट (Fat) कहा जाता है। फैट का शरीर में कहीं भी ज्यादा जमा होना अपने आप में अस्वास्थ्यकर है। यही फैट जब लिवर (Liver) में जमा हो जाता है तो फैटी लिवर (Fatty Liver) की शुरूआत हो जाती है। भारत में करीब एक तिहाई आबादी फैटी लिवर से ग्रस्त है। जिससे फैटी लिवर से ग्रस्त व्यक्ति के शरीर में अनेक खतरनाक दुष्प्रभाव हो सकते हैं। इस आलेख के माध्यम से फैटी लिवर को समझने की कोशिश करते हैं।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) क्या है?
फैटी लिवर एक स्थिति है, जिसमें लिवर की कोशिकाओं में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है। सामान्यत: यह दो प्रकार से होता है:-
(1) नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD): इसमें फैटी लिवर का कारण शराब का सेवन नहीं होता।
(2) अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD): इसमें अत्यधिक शराब के सेवन से लिवर में वसा जमा होती है।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) क्यों होता है?
(1) अत्यधिक शराब का सेवन करने से एल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD) होती है।
(2) Obesity यानी मोटापा और अत्यधिक वजन बढने के कारण।
(3) Diabetes यानी डायबिटीज जिसे हिंदी में मुधमेह कहते हैं, के कारण।
(4) उच्च कोलेस्ट्रॉल (High Cholesterol) यानी खराब कोलेस्ट्रॉल यानी LDL यानी (low-density lipoprotein लॉ डेंसिटी लिपोप्रोटीन) का बढ़ जाने के कारण।
(5) अस्वास्थ्यकर आहार (Unhealthy Diet) का लगातार सेवन करने के कारण।
(6) तेलयुक्त और तली हुई चीजों का अधिक सेवन करने के कारण।
(7) अनियमित दिनचर्या और शारीरिक गतिविधियों की कमी यानी निष्क्रियता के कारण।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) से भारत में कितनी आबादी पीड़ित है?
भारत में लगभग एक तिहाई जनसंख्या फैटी लिवर से पीड़ित है, जिसमें नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD) का प्रतिशत अधिक है।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) कितने प्रकार का होता है?
फैटी लिवर (Fatty Liver) प्रमुख प्रकार:
(1) नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (NAFLD)
(2) अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिजीज (AFLD)
(3) नॉन-अल्कोहोलिक स्टेटोहेपेटाइटिस (NASH): यह NAFLD का एक गंभीर रूप है जिसमें लिवर में सूजन होती है और यह लिवर सिरोसिस या लिवर कैंसर में बदल सकता है।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) की अनदेखी करने से क्या क्या खतरा हो सकते हैं?
(1) लिवर फाइब्रोसिस: लिवर की कोशिकाओं में स्थायी क्षति।
(2) लिवर सिरोसिस: लिवर की स्थायी क्षति और स्कारिंग (scarring) यानी लिवर में घाव।
(3) लिवर कैंसर: लिवर की कोशिकाओं में कैंसर होना।
(4) लिवर फेल्योर: लिवर की कार्यक्षमता का कम या समाप्त होना।
(5) हृदय रोग: हृदय से संबंधित बीमारियाँ।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) के क्या क्या लक्षण हैं?
(1) थकान और कमजोरी।
(2) पेट के ऊपरी दाएं हिस्से में पसली के नीचे दर्द या असहज अनुभव होना।
(3) वजन घटना या भूख कम लगना।
(4) पीलिया (Jaundice): त्वचा और आँखों का पीला होना।
(5) पैरों और टखनों में सूजन।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) की कौन कौन सी जांच की जाती हैं?
(1) लिवर फंक्शन टेस्ट (Liver Function Test-LFT)।
(2) अल्ट्रासाउंड यानी सोनोग्राफी।
(3) सीटी स्कैन या एमआरआई।
(4) लिवर बायोप्सी (Liver Biopsy)।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) के इलाज हेतु सर्वश्रेष्ठ 11 भारतीय जड़ी बूटियों के नाम और उनकी मात्रा के साथ उपयोग एवं सेवन की विधि की जानकारी।
(1) आंवला (Amla): मात्रा: 1-2 चम्मच आंवला पाउडर या जूस। सेवन: रोजाना सुबह खाली पेट।
(2) हल्दी (Turmeric): मात्रा: 1/2 चम्मच हल्दी पाउडर। सेवन: गर्म पानी के साथ दिन में एक बार।
(3) गिलोय (Giloy): मात्रा: 1-2 चम्मच गिलोय रस। सेवन: सुबह खाली पेट।
(4) मुलेठी (Licorice): मात्रा: 1/2 चम्मच मुलेठी पाउडर। सेवन: गर्म पानी के साथ दिन में एक बार।
(5) भृंगराज (Eclipta Alba): मात्रा: 1-2 चम्मच भृंगराज रस। सेवन: सुबह खाली पेट।
(6) कटुकी (Picrorhiza kurroa): मात्रा: 1/2 चम्मच कटुकी पाउडर। सेवन: गर्म पानी के साथ दिन में एक बार।
(7) करेला (Bitter Gourd): मात्रा: 1 कप करेले का रस। सेवन: सुबह खाली पेट।
(8) पुनर्नवा (Boerhavia diffusa): मात्रा: 1-2 चम्मच पुनर्नवा रस। सेवन: सुबह खाली पेट।
(9) त्रिफला (Triphala): मात्रा: 1-2 चम्मच त्रिफला पाउडर। सेवन: रात को सोने से पहले गर्म पानी के साथ।
(10) अदरक (Ginger): मात्रा: 1/2 चम्मच अदरक का रस या पाउडर। सेवन: गर्म पानी में मिलाकर दिन में एक बार।
(11) भूई/भूमि आंवला (Phyllanthus Niruri): मात्रा: 1-2 चम्मच आंवला पाउडर या जूस। सेवन: रोजाना सुबह खाली पेट।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) कितने समय में गंभीर हो सकता है?
फैटी लिवर की गंभीरता व्यक्ति की जीवनशैली, खानपान और चिकित्सीय स्थितियों पर निर्भर करती है। बिना उपचार के यह कुछ महीनों से लेकर कुछ वर्षों में लिवर सिरोसिस या लिवर फेल्योर में बदल सकता है।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) हो ही नहीं, इसके लिये क्या करें?
(1) आहार: संतुलित और पोषक तत्वों से भरपूर आहार का सेवन करें।
(2) वजन नियंत्रित रखें: नियमित व्यायाम और सही खानपान से वजन नियंत्रित रखें।
(3) शराब नहीं: शराब का सेवन न करें।
(4) नियमित जांच: लिवर फंक्शन की नियमित जांच करवाते रहें।
(5) शारीरिक गतिविधि: नियमित व्यायाम करें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें।
(6) मानसिक स्थिति: तनाव, दबाव, घुटन आदि का तुरंत समाधान करें।
- फैटी लिवर (Fatty Liver) सावधानी।
(1) कब्ज नहीं होने दें। यदि आप दोनों वक्त खुलकर मलत्याग नहीं करते हैं या दो से अधिक बार मलत्याग करते हैं तो मान लें कि आपका पाचन तंत्र बीमार है।
(2) शराब का सेवन न करें या न्यूनतम करें।
(3) नाश्ता जरूर करें और दोनों वक्त के भोजन में संतुलित एवं पोषक तत्वों से भरपूर आहार लें।
(4) जिनकी निष्क्रिय जीवनशैली वे अधिक वसायुक्त खाद्य एवं एनीमल फूड का सेवन नहीं करें।
(5) जंक फूड, पैक्ड फूड और बाजारू फूड को ना कहें।
(6) चीनी, चाय, कॉफी, गुटका, लाल दन्त मंजन और धूम्रपान का सेवन न करें।
(7) अपना वजन हर हाल में नियंत्रित रखें।
(8) नियमित रूप से अपना बॉडी मास इंडेक्स (BMI) पता करते रहें।
(9) नियमित व्यायाम करें, घूमें, दौडें, तैरें या नृत्य करें।
(10) नियमित रूप से लिवर फंक्शन टेस्ट (LFT) करवाते रहें।
(11) बीपी, डायबिटीज और कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखें।
(12) दवाओं और जड़ी-बूटियों का सेवन एक्सपर्ट की सलाह के अनुसार ही करें।
निष्कर्ष:
फैटी लिवर (Fatty Liver) एक गंभीर स्थिति हो सकती है, लेकिन उचित देखभाल और जीवनशैली में बदलाव लाकर, इसे मैनेज यानी प्रबंधित किया जा सकता है। भारतीय जड़ी-बूटियाँ, होम्योपैथिक दवाइयां, बैच फलावर रैमेडीज, योगासन और स्वस्थ आहार इस स्थिति से बचने में सहायक हो सकते हैं। हमेशा किसी हेल्थ एक्सपर्ट की सलाह अनुसार उपचार करें और नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच करवाते रहें।
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