नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के अपने पद से त्यागपत्र देने के पश्चात उनके जीजा रॉबर्ट वाड्रा ने उनके इस कदम की प्रशंसा की है । वाड्रा ने लिखा है कि उन्हें श्री राहुल गांधी से बहुत कुछ सीखने को मिला है । रॉबर्ट वाड्रा ने अपने फेसबुक पेज पर यह भी लिखा है कि देश के 65% युवाओं का राहुल गांधी में बहुत अधिक भरोसा है । यद्यपि यह भी एक सच है कि देश का युवा वर्ग ही कांग्रेस के युवा नेता राहुल गांधी का सबसे अधिक मजाक सोशल मीडिया पर बनाता है । उनकी पप्पू वाली इमेज को साबित करने वाली जितनी भी हरकतें दिखाई देती हैं उन सबको देश का युवा वर्ग सिरे से नकारता ही नहीं वरन नापसंद भी करता है ।
रॉबर्ट वाड्रा के अनुसार राहुल गांधी ने अपने बेहद साहसिक और दृसंकल्पित व्यक्तित्व का परिचय दिया है । रॉबर्ट वाड्रा ने लिखा कि आपका जमीनी स्तर पर काम करने का और देश की जनता से और निकट के लोगों से जुड़ने का निश्चय बहुत ही सराहनीय है.आपके इस कदम में मैं आपके साथ हूं क्योंकि जनसेवा किसी पदवी की मोहताज नहीं होती ।
अब रॉबर्ट वाड्रा को यह कौन बताए कि राहुल गांधी ने जिस प्रकार की राजनीति की शुरुआत की वह मोदी विरोध की राजनीति है । देश की जनता केवल और केवल मोदी को गरियाते रहने वाले नेता को अपना नेता नहीं मान रही । वह चाहती है कि कांग्रेस अपनी विचारधारा में सुधार करे , और देश के लोगों को यह विश्वास दिलाए कि वह तुष्टीकरण नहीं करेगी । धारा 370 को हटाने पर सरकार का साथ देगी , राम मंदिर निर्माण में भी सहयोग करेगी और देश में बढ़ती हुई जनसंख्या को रोकने के लिए कठोर कानून लाने में भी मोदी सरकार का समर्थन करेगी । कुछ इस प्रकार के व्यापक परिवर्तन यदि राहुल गांधी में आ गए होते तो निश्चय ही कांग्रेस आज मोदी सरकार की एक सशक्त विपक्षी पार्टी के रूप में देश में काम कर रही होती । अच्छा हो कि रॉबर्ट वाड्रा अपने फेसबुक पेज के माध्यम से अपने प्रिय नेता को इन बिंदुओं पर समझाने का प्रयास करें । पर लगता नहीं कि वह कांग्रेस की विचारधारा में समय के अनुसार परिवर्तन लाने के लिए राहुल गांधी को समझाने का साहस कर पाएंगे।
बता दें कि राहुल गांधी ने पिछले दिनों ट्विटर के माध्यम से अपने इस्तीफे की जानकारी दी थी. लोकसभा चुनाव में उन्हें पारंपरिक सीट अमेठी से हार का मुंह देखना पड़ा था लेकिन केरल की वायनाड सीट से राहुल ने बड़े अंतर से जीत हासिल की थी. 25 मई को कांग्रेस की वर्किंग कमेटी की बैठक में राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली हार की नैतिक जिम्मेदारी देते हुए इस्तीफा दिया था, जिसे शुरुआत में स्वीकार नहीं किया गया था लेकिन अब पार्टी के भीतर नए अध्यक्ष पद की तलाश शुरू हो चुकी है.
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