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भारतीय संस्कृति

अग्नि पुरुष का मार्ग आकर्षक क्यों होता है?

एक अग्नि पुरुष कैसे जीता है?
एक अग्नि पुरुष अन्य लोगों के लिए किस प्रकार प्रेरणादायक होता है?
अग्नि पुरुष का मार्ग आकर्षक क्यों होता है?
मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

वि वातजूतो अतसेषु तिष्ठते वृथा जुहूभिः सृृण्या तुविष्वणि।
तृृषु यदग्ने वनिनो वृृषायसे कृृष्णं त एम रुशदूर्मे अजर ।।
ऋग्वेद मन्त्र 1.58.4 (कुल मंत्र 677)

(वि – तिष्ठते से पूर्व लगाकर) (वातजूतः) वायु से प्रेरित (अतसेषु) व्यापक आकाश में (तिष्ठते – वि तिष्ठते) विशेष रूप से स्थापित (वृथा) इच्छाओं के साथ (जुहूभिः) त्याग की वृत्ति के साथ (सृृण्या) गति के साथ (तुविष्वणि) परमात्मा की प्रशंसा और महिमा गाता है (तृृषु) अतिश् शीघ्र (यत्) जो (अग्ने) अग्नि, अग्नि पुरुष (वनिनः) अनुयायियों और पूजा करने वालों को (वृृषायसे) बल देता है (कृृष्णम्) अत्यन्त आकर्षित (ते) आपके (एम) पथ (रुशदूर्मे) प्रकाशित ज्ञान की ज्वाला (अजर) कभी न मरने वाला।

व्याख्या:-
एक अग्नि पुरुष कैसे जीता है?
एक अग्नि पुरुष अन्य लोगों के लिए किस प्रकार प्रेरणादायक होता है?

जैसे अग्नि वायु से प्रेरणा प्राप्त करके ऊपर की ओर चलती है और व्यापक आकाश में स्थापित होती है, उसी प्रकार अग्नि पुरुष भी प्राणायाम तथा ध्यान-साधना की क्रियाओं के माध्यम से वायु के द्वारा प्रेरित होता है जिससे वह अपना मन और चेतना अपने गहरे आकाश अर्थात् ब्रह्मरन्ध्र में स्थापित कर लेता है जो कि सबसे ऊपर वाले चक्र का स्थान है।
अग्नि पुरुष यह इच्छा करता है और उसके लिए सदैव तत्पर रहता है कि वह त्याग के किसी भी कार्य को शीघ्रता से सम्पन्न करे और ऐसा करते हुए वह सदैव परमात्मा की प्रशंसा और महिमा का गान करता है।
भौतिक अग्नि भी अपनी प्रकृति से ही दूसरों के कल्याण के अनेकों कार्य करने के लिए तैयार रहती है। अधिकांश धार्मिक क्रियाएं भी इसी अग्नि के साथ की जाती हैं।
इस प्रकार अग्नि पुरुष परमात्मा के अनुयायियों और पूजा करने वाले को शीघ्र ही बल प्रदान करता है। ऐसे अग्नि पुरुष का दर्शन मात्र ही दिव्य प्रेरणाओं से भरपूर होता है।
हे अग्नि! आपका मार्ग अत्यन्त आकर्षक है क्योंकि आपके प्रकाशित ज्ञान की ज्वालाएं कभी मरती नहीं।

जीवन में सार्थकता: –
अग्नि पुरुष का मार्ग आकर्षक क्यों होता है?
मानव जीवन का वास्तविक उद्देश्य क्या है?

एक अग्नि पुरुष के पद का अनुसरण करना चाहिए जिससे हम भी उसकी तरह बन सकें। इन्द्र पुरुष बनना ही इस मार्ग पर सबसे कदम है।
वैदिक विवेक में अग्नि पुरुष बनने के लिए महान् सम्भावना होती है। अग्नि पुरुष का मार्ग अत्यन्त आकर्षक है जिसका केवल एक कारण है कि अग्नि पुरुष की ज्वालाएं प्रकाशित ज्ञान से भरपूर होती हैं और कभी मरती नहीं। यही प्रकाशित ज्ञान हमें परमात्मा की अनुभूति के पथ पर ले जाता है जो हमारे मानवीय अस्तित्व की वास्तविक और अन्तिम सच्चाई है। अतः इस मानव जीवन को सफल करने के लिए परमात्मा की अनुभूति का मार्ग ही केवल एक वास्तविकता और एक मात्र सच्चाई है जिसके लिए हमें अग्नि पुरुष बनने का प्रयास करना चाहिए। 


अपने आध्यात्मिक दायित्व को समझें

आप वैदिक ज्ञान का नियमित स्वाध्याय कर रहे हैं, आपका यह आध्यात्मिक दायित्व बनता है कि इस ज्ञान को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचायें जिससे उन्हें भी नियमित रूप से वेद स्वाध्याय की प्रेरणा प्राप्त हो। वैदिक विवेक किसी एक विशेष मत, पंथ या समुदाय के लिए सीमित नहीं है। वेद में मानवता के उत्थान के लिए समस्त सत्य विज्ञान समाहित है।

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टीम
पवित्र वेद स्वाध्याय एवं अनुसंधान कार्यक्रम
द वैदिक टेंपल, मराठा हल्ली, बेंगलुरू, कर्नाटक
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