वीरेंद्र गुप्ता की कलम से….
छबील
**
आज गुरु श्री अर्जनदेव जी महाराज का शहीदी दिवस है इसलिए आज का लेख गुरु महाराज जी के चरणों में समर्पित है।
जून माह में निर्जला एकादशी का व्रत रहता है और इस दौरान लोगों को भयंकर गर्मी और लू का सामना करना पड़ता है। इसलिए जगह जगह ठंडे मीठे पानी की छबील लगाई जाती है ताकि लोगों को ठंडक मिले और गर्मी से कुछ राहत मिले। निर्जला एकादशी पर मैं अलग से लेख लिख कर जानकारी दूंगा।
गुरुपर्व पर लगने वाली ठंडे मीठे पानी की छबील के बारे में ज्यादातर लोगों में सही जानकारी का अभाव है। यह ठंडे मीठे पानी की छबील क्यों लगाई जाती है, इसके पीछे क्या कारण है। आमजन सिर्फ मीठा ठंडा पानी समझकर पीते है लेकिन इसके पीछे गुरु महाराज जी का तप त्याग नहीं देखते, जानते।
गुरु श्री अर्जनदेव जी महाराज को जिस दिन गर्म तवी पर बिठाया गया, उसी शाम को गुरु जी को वापिस जेल मे डाल दिया गया। बाहर बहुत सख्त पहरा लगा दिया गया कि कोई भी गुरुजी से ना मिल सके। उस समय चँदू लाहौर का नवाब था जिसके हुकुम से यह सब हूआ था। उसी रात को चँदू की पत्नी, चँदू का पुत्र कर्मचंद और पुत्रवधू गुरु महाराज अर्जनदेव जी से मिलने जेल मे गए तो सिपाहियों ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया। चँदू की पत्नी और पुत्रवधू ने अपने सारे जेवरात उतार कर सिपाहियों को दे दिये और उस जगह पहुंच गए जहाँ गुरु महाराज जी कैद थे।
जब चँदू के परिवार ने गुरु महाराज जी की हालत देखी तो सभी रोने लगे कि इतने बड़े महापुरुष के साथ ऐसा सलूक। चँदू की पत्नी ने कहा गुरुजी मैं आपके लिए ठंडा मीठा शरबत लेकर आई हूं, कृपा करके शरबत पी लीजिए। यह कहते हुए शरबत का गिलास गुरुजी के आगे रख दिया।
गुरुजी ने मना कर दिया और कहा, हम प्रण कर चुके हैं कि हम चँदू के घर का पानी भी नहीं पियेंगे। यह सुन कर चँदू की पत्नी की आँखें भर आई और बोली, मैंने तो सुना है कि गुरुजी के घर से कोई खाली हाथ नहीं गया।
तब गुरु जी ने वचन दिया कि माता इस मुख से तो मैं तेरा शरबत नहीं पियूँगा। हां एक समय ऐसा जरुर आएगा जब यह शरबत हजारों लोग पिलाएंगे और लाखों लोग पिएंगे, आपकी सेवा सफल होगी। आज यह छबील लगाई और पिलाई जाती है, यह गुरु अर्जन देव जी महाराज के वचन है।
चँद की पुत्रवधू ने गुरु जी से विनती की कि महाराज कल आपको शहीद कर दिया जयेगा। मेरी आपसे विनती है कि कल जब आप यह शरीर रुपी चोला छोड़ो तो मैं भी अपना शरीर छोड़ दू। मैं लोगों के ताने नहीं सुन सकती कि वो देखो चँदू की पुत्रवधू जा रही जिसके ससुर ने श्री गुरू अर्जन देव जी को शहीद किया था। अगले दिन जब गुरु जी को शहीद किया गया तो चँदू की पुत्रवधू भी शरीर त्याग गई। यह होता है अपने गुरु के प्रति सच्चा प्यार, गुरु के प्रति श्रध्दा, आस्था। धन्य है चँदू की पुत्रवधु।
हमारे गुरुओं ने कितने तप किए, अत्याचार सहे जिसकी कल्पना मात्र से ही हमारी रूह कांपनी शुरू हो जाती है। जिन्होंने यह अत्याचार सहे उन पर क्या बीती होगी। मेरा निवेदन है कि गुरु महाराज जी की शहादत की जानकारी को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाने की कृपा करें।
Ashok NARANG
NARANG Property Dealer opposite lady Shriram college
Mobile
8383815770
जून 10, 2024

Comment: