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कविता

कमल का ये फूल भारत में खिलते हैं

आचार्य डॉ राधे श्याम द्विवेदी

गुलाब के फूल से बागान महकते है
चमेली के फूल चमन में चहकते है।
राष्ट्रप्रेमी जन नई इबारत लिखते है,
कमल का ये फूल भारत में खिलते हैं।।

कीचड़ उछालने वाले जग में लाख है मगर,
कंठ तक जल में गड़ा, मुस्कुराता है कमल।
आंधी तूफ़ान को ये सहते जा रहा है कमल,
तभी तो जग को लुभाता आ रहा है कमल।।

कंठ तक जल में गड़ा, रहकर मुस्कुराता है कमल ,
संसार के दिल जिगर को नित नित लुभाता है कमल ।
भोर की किरणें रवि की न जाने क्या था असर छोड़ा,
शाम तक बिल्कुल नहीं पलको को झुकता है कमल ।।

ताल मिटते जा रहे हैं अब कहाँ जा करके खिले ,
आँसुओं की झील में ही झिलमिलाता है कमल ।
रूप की आराधना में यह साथ कवियों का दिया ,
सुन्दरी की श्यामल अलकों को सजाता है कमल ।।

पी गया यह शान से जो गर्दिशों की धूप को ,
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा सबको सिखाता है कमल ।
साथ रोटी के, शहीदों का बना सम्बल कभी,
राष्ट्र की आराधना के गीत गाता है कमल ।।

दीन दयाल उपाध्याय की सहाद्त दिखा रहा कमल।
श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कीर्ति लिखा रहा कमल।
अटल जी की अटूट निष्ठा को दिखा रहा है कमल।
आडवाणी की कुर्बानी भी बयां कर रहा है कमल।।

धर्मनीति योगी का है बुलडोजर चला रहा है।
शाह जी का शय मात का खेल खिला रहा है।
सूरज तपन में कमल कीचड़ में खिल रहा है।
भारत देश तीसरी बार मोदी को अपना रहा है !!

कवि का परिचय:-
(कवि ,भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, आगरा मंडल ,आगरा में सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी पद से सेवामुक्त हुए हैं। वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश के बस्ती नगर में निवास करते हुए समसामयिक विषयों,साहित्य, इतिहास, पुरातत्व, संस्कृति और अध्यात्म पर अपना विचार व्यक्त करते रहते हैं ।

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