आलोचना : जम्मू कश्मीर की स्थिति पर यूएन रिपोर्ट फर्जी और दुर्भावना प्रेरित : भारत
गाजियाबाद । ( रविकांतसिंह ) जम्मू कश्मीर के मामले में यूएन की रिपोर्ट पर भारत ने कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए इसे फर्जी और दुर्भावनापूर्ण बताया । भारत ने अपना स्टैंड स्पष्ट करते हुए कड़े और स्पष्ट शब्दों में यूएन को यह संदेश दे दिया है कि वह भारत के इस भूभाग के बारे में अपनी मनमानी नहीं कर सकता । यूएन मानवाधिकार की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत-पाकिस्तान कश्मीर की स्थिति सुधारने में असफल रहे ।
याद रहे कि यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त द्वारा पिछले साल जारी कश्मीर पर पहली रिपोर्ट की अगली कड़ी है । रिपोर्ट के अध्ययन से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत ने जो भी स्टैंड लिया है , वह एकदम न्याय संगत है । भारत को हर स्थिति में अपने राष्ट्रीय हितों की सुरक्षा करनी है और प्रत्येक देश की कूटनीति का यह पहला और अनिवार्य सिद्धांत होता है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों की उपेक्षा करने वाली किसी पर रिपोर्ट पर हमने आलोचनापूर्ण प्रतिक्रिया दें ।
भारत ने विगत 8 जुलाई को जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर जारी रिपोर्ट को लेकर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय (ओएचसीएचआर) की आलोचना की। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, कश्मीर की स्थिति पर बनी यह रिपोर्ट फर्जी है और दुर्भावना पर आधारित है। साथ ही इसमें पाकिस्तान की ओर से समर्थित आतंकवाद के मूल मुद्दे की अनदेखी भी की गई है।
जाहिर है कि यूएन ने इस रिपोर्ट को प्रस्तुत करने में पक्षपाती दृष्टिकोण अपनाया है । उसे न्याय संगत दृष्टिकोण अपनाते हुए यह स्पष्ट करना चाहिए था कि पाक प्रेरित आतंकवाद के कारण ही कश्मीर वर्तमान दुर्दशा की स्थिति में फंसा हुआ है । जिसके कारण न केवल भारत में आतंकवादी घटनाएं हुई हैं अपितु अन्य देशों में भी इसका प्रभाव देखा जा सकता है।
दरअसल, ओएचसीएचआर ने सोमवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही कश्मीर की स्थिति को सुधारने में असफल रहे , न ही दोनों देशों ने पिछले साल की रिपोर्ट में उठाए गए मुद्दों को हल करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया ।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार उच्चायुक्त ने पिछले वर्ष पहली बार कश्मीर पर रिपोर्ट जारी की थी, इसमें जम्मू-कश्मीर में कथित तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन की बात कही गई थी। साथ ही पाकिस्तान और भारत से लंबे समय से लंबित पड़े मुद्दों को निपटाने के लिए ठोस कार्रवाई करने की बात कही थी।
उच्चायुक्त की इस रिपोर्ट के अनुसार , कश्मीर और पाक अधिकृत कश्मीर की स्थिति पर मई 2018 से अप्रैल 2019 तक बनी रिपोर्ट में कहा गया है कि यहां 12 महीने में कई नागरिकों की मौत हुई है, जो पिछले एक दशक में सबसे ज्यादा है। भारत और पाकिस्तान ने समस्याओं को लेकर कोई कठोर कदम नहीं उठाए।
वास्तव में जब भी कोई वैश्विक संस्था इस प्रकार की रिपोर्ट जारी करती है तो उसे इतनी सावधानी अवश्य बरतनी चाहिए कि उसके रिपोर्ट में आतंकवादी घटनाओं में संलिप्त लोगों की गतिविधियों को किसी भी प्रकार का प्रोत्साहन न् मिले । वर्तमान में यूएन की रिपोर्ट का यदि अध्ययन किया जाए तो इससे आतंकवादी घटनाओं में संलिप्त लोगों की गतिविधियों को प्रोत्साहन मिलना निश्चित है । क्योंकि यह रिपोर्ट जहां आतंकवादियों की गैर कानूनी गतिविधियों का समर्थन करती जान पड़ती है वही उनके द्वारा मारे गए निर्दोष लोगों की हत्याओं पर मौन साधती जान पड़ती है। कारण है कि भारत ने यूएन की इस रिपोर्ट को फर्जी और दुर्भावना प्रेरित कहकर इसे निरस्त करने का निर्णय लिया है ।