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कविता

क्या हो गया इस संविधान को?

—विनय कुमार विनायक
क्या हो गया इस संविधान को?
जो हर कोई संविधान बचाने की बातें कर रहा
छब्बीस जनवरी उन्नीस सौ पचास से
हर वर्ष संविधान में अनेक बदलाव किया जा रहा
फिर भी संविधान बचा रहा मरा नहीं हरा-भरा रहा
आज संविधान में बदलाव नहीं हो रहा
बल्कि हर कार्य संविधान के अनुसार ही चल रहा
फिर भी वही लोग क्यों रो रहा चिल्ला रहा
जो अपने मनोनुकूल संविधान में बदलाव ला रहा था
वस्तुतः भारतीय संविधान नहीं है
कोई छोटा अविकसित बच्चा जिसे बचाया जाएगा
भारतीय संविधान है पूर्ण परिपक्व अच्छा
ये अच्छों के लिए काम आएगा
ये संविधान है देशरत्न डॉ राजेंद्र प्रसाद का जो असर दिखा रहा
संविधान सभा में दो सौ निन्यानवे सदस्य थे डॉ राजेंद्र प्रसाद अध्यक्ष थे
संविधान निर्मात्री समिति का अध्यक्ष डॉ भीमराव अंबेडकर थे
जबकि संविधान लिखनेवाले शख्स प्रेम बिहारी नारायण रायजादा थे
ऐसे मखमली संविधान में जो टाट के पैबंद चिपकाए गए वो बेअसर हो रहा
धर्म मजहब में भेदपरक कानून अल्पसंख्यक तुष्टिकरण बिखर जाएगा
राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा व न्याय में एकरूपता से सबका जीवन सँवर जाएगा
संविधान बचाने की जो बातें कर रहा वो सच में डर रहा
कि संविधान में अशिक्षित जाहिल पर
न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान लग जाएगा
ऐसा संविधान भविष्य में उभरेगा
जिससे अशिक्षित विधायक सांसद नहीं बन पाएगा
संविधान सभा के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद ने कार्यपालिका
न्यायपालिका की तरह विधायिका में शिक्षा की वकालत की
जो स्वीकार नहीं की गई चाहे वजह हो जो भी
काश राजेंद्र प्रसाद की विधायिका में
शिक्षा की अनिवार्यता की बाते मान ली गई होती
तो ‘विद्या ददाति विनयं विन्यात् ददाति पात्रताम’
यानि विद्या से विनय आता और विनय से पात्रता आती
ऐसे में अशिक्षित अशिष्ट मक्कार भ्रष्टाचारी विधायक मंत्री नहीं बन पाता
तुष्टिकरण की राजनीति नहीं चल पाती संतुष्टिकरण सिद्धांत बन जाता
जनसंख्या नियंत्रित होती जाहिल नेता चुनाव नहीं लड़ पाता
लूट पर नियंत्रण होता जन प्रतिनिधि एक से अधिक पेंशन नहीं लेता
शिक्षा चिकित्सा बसोबास जीविकोपार्जन का अधिकार सबको मिलता
संविधान पर कोई खतरा नहीं होता खतरा भ्रष्टाचारी वंशवादियों पर आता
सरकारी नौकरी सा सांसद विधायक बनने के लिए पढ़ाई पर जोर देता
तब आरक्षण नहीं होता कोई मुद्दा आरक्षण तय समय के बाद बंद हो जाता
आज सबने आरक्षण पाया पर कोई असंवैधानिक आरक्षण नहीं दिया जाएगा
बंदर को बंदरबांट की छूट नहीं होगी अयोग्य को जनसेवक नहीं बनाया जाएगा
मुफ्त की रबड़ी बाँटकर अब कोई जनप्रतिनिधि राजनीतिक लाभ नहीं पाएगा!
—विनय कुमार विनायक

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