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श्री विनय मोहन सोती जी ऋषि दयानन्द और आर्यसमाज के अनुयायी हैं। वह वैदिक परम्पराओं के अनुसार जीवन व्यतीत करते हैं। इस समय उनकी आयु 98 वर्ष है। वह देहरादून में अपने एक पुत्र के मकान में रहते हैं। एक सेवाभावी छात्रा वा युवती उनके दैनन्दिन कार्यों में उनकी विगत कई वर्षों से देखभाल और सेवा कर रही है। श्री विनय मोहन सोती जी और हमारे निवास के मध्य लगभग 5 किमी. की दूरी है। हमें विगत लगभग चार वर्षों चलने में असुविधा है। इससे पहले हम गुरुकुल पौंधा के आचार्य डा. धनंजय जी के साथ प्रत्येक वर्ष मई महीने के आरम्भ में उनके पास जाते थे और उन्हें अपने पुत्रों एवं परिवारजनों के साथ वैदिक गुरुकुल पौंधा, देहरादून के उत्सव में आने का निमन्त्रण दिया करते थे। मार्च, 2020 में कोरोना रोग का आरम्भ हुआ था। इसके बाद हमारा सोती जी से मिलना नहीं हुआ। पिछले कुछ समय से उन्हें स्मरण कर हमारे मन में आशंका होती थी कि वह स्वस्थ हैं या नहीं? हमने इस बार आचार्य डा. धनन्जय जी से निवेदन किया कि वह जब श्री सोती जी को निमन्त्रण देने जायें तो उनके विस्तृत समाचार हमें बतायें। आचार्य जी दिनांक 23-5-2024 को श्री सोती जी को वैदिक गुरुकुल पौंधा, देहरादून के आगामी 24 ह्वें वार्षिकोत्सव एवं स्वाध्याय शिविर का निमन्त्रण देने पहुंचे। यह तीन दिवसीय उत्सव 31 मई एवं 1 व 2 जून, 2024 को आयोजित किया जा रहा है। आचार्य धनंजय जी ने सोती जी के निवास से वीडियो काल के द्वारा हमे उनके दर्शन कराये और हमसे बातचीत भी कराई। उनसे बातचीत करके हमें अत्यन्त प्रसन्नता एवं सन्तोष हुआ। श्री सोती जी ने शिकायत की कि हम लम्बे समय से उनसे मिलने नहीं आये। आचार्य जी ने हमारे स्वास्थ्य के बारे उन्हें बताया। वह बोले कि मैं 98 वर्ष का हो गया हूं। मैं आपसे मिलने आऊंगा। यह सुनकर हमें आश्चर्य हुआ कि एक 98 वर्षीय व्यक्ति के जीवन में कितना उत्साह है। वह अपने से 26 वर्ष छोटे व्यक्ति को मिलने के लिए आने के लिए कह रहे हैं। हम ईश्वर से श्री विनय मोहन सोती जी के स्वस्थ एवं दीर्घ जीवन की प्रार्थना करते हैं। हमें आशा है कि वह शत वर्ष वा उससे भी अधिक आयु को प्राप्त करेंगे। हम यह भी बता दें कि श्री सोती जी की वर्तमान मानसिक स्थिति एक साधारण स्वस्थ व्यक्ति के समान है। वह अपने निवास पर सन्ध्या आदि सम्पादित करते हुए आर्य जीवन पद्धति से जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
जब हम सोती जी को स्मरण करते हैं तो हमें बीस वर्ष पहले ऋषि बोधोत्सव, सन् 2004 में उनके साथ ऋषि दयानन्द जन्म स्थान, टंकारा (गुजरात) की अपनी प्रथम टंकारा यात्रा की स्मृतियां चित्त में उभर आती हैं। इस यात्रा में हम सोती जी, उनकी धर्मपत्नी, हम दम्पती, श्री जयचन्द शर्मा दम्पती एवं श्री रामेश्वर प्रसाद आर्य जी को लेकर रेलमार्ग से देहरादून से द्वारका पहुंचे थे। द्वारका में एक रात्रि रुक कर तथा द्वारका घूमकर हम सोमनाथ मन्दिर देखने सोमनाथ चले गये थे। वहां हमने भारत के गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा निर्मित भव्य एवं विशाल तथा सुन्दरता में अपूर्व ऐतिहासिक सोमनाथ मन्दिर को देखा था। इस दिन मन्दिर तथा वहां लाइट एवं साउण्ड शो देखकर हम शिवरात्रि के दिन पुनः प्रातः मन्दिर देखकर ऋषि बोधपर्व एवं शिवरात्रि पर्व पर टंकारा पहुंच गये थे। टंकारा के ऋषि से जुड़े स्थानों सहित आर्यसमाज, टंकारा के वार्षिकोत्सव में उपस्थित होकर हम कार्यक्रम की समाप्ति पर राजकोट से रेलमार्ग द्वारा सीधी रेल से देहरादून पहुंच गये थे। इस यात्रा और टंकारा आदि स्थानों पर हम सातों लोगों को एक साथ रहने का अवसर मिला था और हमारे इससे सम्बन्ध प्रगाढ़ हुए थे। वर्तमान में सोती जी की धर्मपत्नी, श्री रामेश्वर प्रसाद जी तथा श्री जयचन्द शर्मा जी दम्पती स्वर्गवासी हो चुके हैं। इस यात्रा के मधुर अनुभवों से उत्साहित होकर इसके बाद भी अपने अन्य अनेक मित्रों के साथ 6 बार और हम टंकारा सहित सोमनाथ, द्वारका, रोजड एवं बड़ोदा स्थित सरदार पटेल जी की दुनियां की सबसे ऊंची मूर्ति को देखने गये। इन यात्राओं में अनेक ऋषिभक्त हमारे साथ गये जिनके मधुर अनुभवों को स्मरण कर सुख की अनुभूति होती है। टंकारा आदि स्थानों की हमारी सभी यात्रायें सुखद होने सहित अनेक अनुभवों से पूर्ण रहीं।
श्री विनय मोहन सोती जी ने स्थानीय आर्यसंस्था श्री स्वामी श्रद्धानन्द बाल वनिता आश्रम के छात्र-छात्राओं के यहां वर्षों तक प्रतिदिन नियमित जाकर वहां की व्यवस्था में सहयोग दिया था। वह सहायक प्रबन्धक के रूप में कार्य करते थे। सभी निर्धन एवं अनाथ बच्चों के प्रति उनके हृदय में दया एवं करुणा का भाव था। वह यदा कदा घर से बच्चों के लिए भोजन व मिष्ठान्न आदि बनवाकर ले जाया करते थे। वह जब यह कार्य करते थे तो उनकी आयु लगभग 70 वर्ष व उससे अधिक थी।
तीन दशक पूर्व देहरादून में हमारे अनेक साथियों ने मिलकर वेद प्रचार समिति का गठन किया था जिसके अन्तर्गत प्रत्येक रविवार को अपरान्ह यज्ञ एवं वैदिक सत्संग होते थे। श्री सोती जी इन सभी कार्यक्रमों में पहुंचते थे। वह अपने घर पर भी सत्संग आयोजित करते थे। ऐसे अनेक सत्संगों में हमें उपस्थित रहने का अवसर मिला। यह भी बता दें कि सोती जी के एक पौत्र एवं पौत्री उन दिनों बाल्यावस्था में थे। वह यज्ञ प्रेमी थे। आज ये दोनों बच्चे आयु. नेहा एवं चि. राहुल अंग्रेजी चिकित्सा पद्धति के डाक्टर वा चिकित्सक हैं।
श्री सोती जी 98 वर्ष की परिपक्व अवस्था में सामान्य जीवन व्यतीत कर रहे हैं। हम ईश्वर से पुनः उनके स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं। सोती जी के कुछ
चित्र भी इस पोस्ट के साथ प्रस्तुत कर रहे हैं। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य