नसीम बानू
उदयपुर, राजस्थान
देश का रेगीस्तानी राज्य राजस्थान आज भी स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई स्तरों पर जूझ रहा है. इसका सबसे अधिक प्रभाव ग्रामीण क्षेत्रों में देखने को मिलता है. जहां अभी भी स्वास्थ्य सुविधाओं का बहुत अभाव है. वहीं दूसरी ओर जागरूकता के अभाव के कारण भी कई ग्रामीण आयुष्मान कार्ड और स्वास्थ्य की अन्य योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित हैं. कई ऐसे ग्रामीण क्षेत्र हैं जहां महिलाएं और किशोरियां एनीमिया से ग्रसित हैं. हालांकि राज्य सरकार की ओर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के लिए हर संभव प्रयास किये जाते रहे हैं. राज्य में जहां स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू किया गया है, वहीं एनीमिया मुक्त राज्य बनाने के लिए प्रत्येक माह विशेष अभियान भी चलाया जा रहा है. इसके बावजूद ग्रामीण इलाकों में इस क्षेत्र में अभी भी बड़े स्तर पर सुधार होता नजर नहीं आ रहा है.
इसका एक उदाहरण उदयपुर का मनोहरपुरा गाँव है. पर्यटन नगरी उदयपुर से मात्र चार किमी की दूरी पर बड़गांव पंचायत स्थित इस गाँव की आबादी लगभग एक हजार के आसपास है. अनुसूचित जनजाति बहुल इस गाँव में शिक्षा का स्तर काफी कम है. जिसका प्रभाव ग्रामीणों की जागरूकता पर देखने को मिलता है. यही कारण है कि जिला मुख्यालय से नजदीक होने के बावजूद स्वास्थ्य के क्षेत्र में यह गाँव काफी पिछड़ा हुआ नजर आता है. गाँव के बहुत से परिवार ऐसे हैं जिनके पास अपनी वास्तविक पहचान पत्र तक नहीं हैं. जिसके कारण वह स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाने से वंचित हैं. जागरूकता के अभाव में वह इसके औचित्य और इससे होने वाले लाभों से भी अनभिज्ञ हैं. गाँव में अधिकतर बच्चों का जन्म अस्पताल की जगह घर में ही हुआ है. जिसकी वजह से न तो उनका जन्म प्रमाण पत्र बन सका है और न ही आधार कार्ड बना है.
देखा जाए तो प्रशासनिक स्तर पर उदासीनता भी इसका एक मुख्य कारण है. विभाग की ओर से वंचितों को लाभ दिलाने और उन्हें योजनाओं से जोड़ने के लिए गंभीरता से प्रयास किये जाने की आवश्यकता है. गाँव में जो किशोरी और उनका परिवार जागरूक है वह तो राज्य सरकार की उड़ान योजना के अंतर्गत सेनेट्री पैड्स की सुविधा प्राप्त करने में सक्षम है, लेकिन अधिकतर किशोरियां इस सुविधा का लाभ उठाने से वंचित रह जाती हैं. एक ओर जागरूकता का अभाव और दूसरी ओर गरीबी के कारण किशोरियां पैड्स खरीदने की जगह आज भी माहवारी के दौरान गंदे कपड़ों का इस्तेमाल करती हैं. हालांकि राज्य सरकार की ओर से आई एम शक्ति उड़ान योजना के तहत 11 से 45 वर्ष की महिलाओं और किशोरियों को फ्री पैड्स उपलब्ध कराये जा रहे हैं, ताकि आर्थिक रूप से कमज़ोर महिलाओं और किशोरियों को सशक्त बनाया जा सके. 2024 में इसके अंतर्गत करीब 28 लाख महिलाओं और किशोरियों को इस लाभ से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. लेकिन मनोहरपुरा गांव की कई ऐसी महिलाएं और किशोरियां हैं जिन्होंने आज तक इस योजना का लाभ नहीं उठाया है. उन्हें इसका लाभ उठाने के माध्यमों की जानकारी तक नहीं है.
इतना ही नहीं, 5 वर्ष की आयु तक के इस गांव के कई ऐसे बच्चे हैं जिन्हें आज तक कोई टीका नहीं लगा है. जबकि बच्चों को खसरा और पोलियो जैसी विभिन्न प्रकार की गंभीर और जानलेवा बीमारियों से बचाने के लिए जन्म से 10 वर्ष तक की आयु तक समय समय पर विभिन्न टीकों का लगवाना अनिवार्य है. यह ज़िम्मेदारी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और आंगनबाड़ी की भी है कि वह समय पर सभी बच्चों को टीका लगाने के लिए स्वास्थ्य केंद्र तक लेकर आये. इसी प्रकार देखा जाए तो गांव की 10 में से औसतन 5 किशोरियां और महिलाएं एनीमिया से पीड़ित नज़र आती हैं. जबकि राज्य सरकार की ओर से एनीमिया मुक्त राजस्थान के लिए प्रति माह शक्ति दिवस का भी आयोजन किया जा रहा है.
ज्ञात हो कि इस अभियान के तहत बच्चों, महिलाओं और किशोरियों में एनीमिया की दर को कम करने के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. ‘शक्ति दिवस’ आंगनवाड़ी केंद्रों, सरकारी स्कूलों, स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों, उप-स्वास्थ्य केंद्रों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सीएचसी, औषधालयों, उपजिला और जिला अस्पतालों में आयोजित किये जाने प्रावधान है. इस दौरान एनीमिया की जांच, हीमोग्लोबिन की जांच और एनीमिया का उपचार, आयरन की गोलियों का वितरण, एनीमिया के बारे में जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन के लिए गतिविधियां आयोजित किया जाना है. ‘शक्ति दिवस’ पर 6 माह से 59 माह तक के बच्चे, 5 से 9 वर्ष तक के स्कूल न जाने वाले बच्चे, 10 से 19 वर्ष की किशोरियां, 20 से 24 वर्ष की विवाहित महिलाएं, के लिए विभिन्न गतिविधियां आयोजित की जाती हैं. गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को भी एनीमिया मुक्त बनाने के लिए प्रयास किये जा रहे हैं.
लेकिन न केवल मनोहरपुरा गांव बल्कि पूरे उदयपुर जिला में इस संबंध में सुचारू रूप से क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. जिसका जिलेवार रैंकिंग पर भी असर पड़ा है. यही वजह है कि पिछले साल के नवंबर में हुई स्वास्थ्य विभाग की मासिक समीक्षा बैठक में सीईओ भी अपनी नाराज़गी जता चुकी हैं. उन्होंने इसका लाभ पूरी तरह से बच्चों, किशोरियों और महिलाओं तक पहुंचाने और जिला को एनीमिया मुक्त बनाने के सभी उपायों को सख्ती से लागू करने पर ज़ोर दिया. बहरहाल, स्वास्थ्य सेवाओं में यह कमियां बताती हैं कि अभी भी मनोहरपुरा गांव के लोगों को स्वास्थ्य सुविधाओं का पूरा लाभ नहीं मिल रहा है और न ही यह अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाब हो सका है. हालांकि इसके लिए जहां एक ओर प्रशासनिक स्तर पर काम करने की ज़रूरत है तो वहीं दूसरी ओर सामाजिक स्तर पर भी जागरूकता फैलाने और अधिक से अधिक परिवारों को इससे जोड़ने की आवश्यकता है. (चरखा फीचर)