पाकिस्तान के विरुद्ध मोदी सरकार की कड़ी नीतियों और सफल कूटनीतिक उपायों के परिणाम अब दिखाई देने लगे हैं । पाकिस्तान इतना कभी भी असहजतापूर्ण अपमानजनक स्थिति में नहीं रहा जितना इस समय है । भारत के कूटनीतिक दबाव ने इस्लामाबाद को सारी दुनिया में अलग थलग करने में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त की है । इससे पाकिस्तान का नेतृत्व इस समय न केवल सहमा हुआ है , बल्कि उसे अपनी वर्तमान स्थिति से पार पाने का कोई उपाय भी नहीं सूझ रहा है । यह पहली बार हो रहा है जब पाकिस्तान को अमेरिका का भी कोई समर्थन नहीं मिल रहा है और अब चीन भी स्पष्ट रूप से पाकिस्तान का मित्र नहीं रहा है । पाकिस्तान को यदि अब अपने लिए सारे विश्व में कोई अपना हिमायती दिखाई देता है तो वह चीन ही है । परंतु चीन की साम्राज्यवादी नीतियों को सारा संसार जानता है , वह पाकिस्तान को किसी भी प्रकार की सुरक्षा देने के लिए उसके साथ नहीं है। चीन अपने राष्ट्रीय हितों को साधने के लिए उसके साथ लगा हुआ है। इस बात को पाकिस्तान भी भली प्रकार जानता है । यही कारण है कि अपना कोई ना कोई मित्र विश्व मंच पर दिखाए व बनाए रखने के लिए पाकिस्तान चीन को अपेक्षा से अधिक सुविधाएं दे रहा है । जिसका लाभ चीन भरपूर मात्रा में उठा रहा है ।आज पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर यदि विचार किया जाए तो वह बहुत ही बदहाली की स्थिति में है। पता चला है कि पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक के पास इस समय केवल 7 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार ही बचा है , जो कि पाकिस्तान जैसे देश के लिए बहुत कम है । यह स्थिति तब और अधिक भयानक दिखाई देने लगती है जब हमें पता चलता है कि 1971 में पाकिस्तान से अलग हुए बांग्लादेश के पास 33 अरब डालर का विदेशी मुद्रा भंडार है । स्पष्ट है कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के जिस भयानक नाग को अपनी धरती पर पाला था , अब वह उसे ही डसने को तैयार है। पाकिस्तान की जीडीपी की विकास दर के बारे में अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वह इस बार 4% या उससे भी कम 3% तक रह सकती है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड एंड पूअर्स की रेटिंग घटाकर बी नेगेटिव कर दी है । जिससे आतंकवाद को शरण देने वाले इस देश की स्थिति और भी खराब हो गई है । पाकिस्तान जितना ही अपनी इस आर्थिक विपन्नता की स्थिति से निकलने की युक्तियां खोजता व सोचता है उतना ही वह इसकी दलदल में और भी अधिक धंसता चला जा रहा है ।पाकिस्तान में इस समय महंगाई से लोग बहुत अधिक त्रस्त हैं । आवश्यक वस्तुओं की भी परेशानी वहां के आम नागरिकों को हो रही है । रोजगार की कमी बहुत बड़ी समस्या बनकर उभरी है । जबकि पूरे देश में निर्धनता भी इस प्रकार फन फैलाए खड़ी है कि वह पता नहीं , कब इस देश को डंसकर खत्म कर दे। सामाजिक विषमताएं और विसंगतियां भी बहुत अधिक बढ़ रही हैं । नेताओं , सैन्य अधिकारियों और नौकरशाहों ने भ्रष्टाचार जमकर किया है । जिससे उनके पास में अकूत संपदा खड़ी हो गई है । फलस्वरूप देश में गरीबी और अमीरी के बीच की खाई भी अप्रत्याशित रूप से बढी है । कानून व्यवस्था की स्थिति भी बहुत ही दयनीय है । ऐसे में पाकिस्तान के सामने इस समय जीने मरने का प्रश्न खड़ा है ।पाकिस्तान के वर्तमान प्रधानमंत्री इमरान खान को पता चल गया है कि क्रिकेट खेलना एक अलग चीज है और राजनीति खेलना एक अलग चीज है । उन्हें यह भी पता चल गया है कि भारत के प्रधानमंत्री मोदी के रहते राजनीतिक बैटिंग करना कितना खतरनाक है और उनके सामने रहते चौके छक्के लगाना तो और भी अधिक जोखिम भरा है । साथ ही उन्हें यह भी पता चल गया है कि भारत इस समय मोदी के नेतृत्व में सुरक्षात्मक दृष्टिकोण की राजनीति करने वाला देश नहीं है , अपितु इस समय वह ईट का जवाब पत्थर से देने वाला देश है । इस समय यदि उसकी ओर आंख उठाकर देखने का प्रयास किया गया तो वहां का वर्तमान नेतृत्व आंखें निकालने का भी काम कर सकता है । इससे भारत की स्थिति न केवल पाकिस्तान की दृष्टि में अपितु संसार के अन्य देशों की दृष्टि में भी बहुत ही सम्मानजनक बनी है।भारत पिछले 72 वर्षों में पाकिस्तान के प्रति इस समय बहुत ही अधिक सुविधाजनक और सम्मानजनक स्थिति में खड़ा है । अच्छा होगा कि हम अपनी इस स्थिति को और भी अधिक उत्तम बनाने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति का सदुपयोग करने की दिशा में सजगता के साथ कार्य करें । देश के विपक्ष और सत्तापक्ष सबको मिलकर भारत की वर्तमान स्थिति को और भी अधिक उत्तम बनाए रखने के लिए कार्य करना होगा।पाकिस्तान अपनी वर्तमान परिस्थितियों में भारत के साथ किसी भी प्रकार की तल्खी बढ़ाने को उचित नहीं मानता । वह हर ऐसी स्थिति से इस समय बचने का प्रयास कर रहा है जो उसकी साख और सम्मान को चोट पहुंचाने वाला हो । भारत के लिए पाकिस्तान की वर्तमान मानसिकता को समझ कर कार्य करने की आवश्यकता है । मोदी सरकार की पाकिस्तान के प्रति कड़ी नीतियों का विपक्ष को समर्थन करना चाहिए। पाकिस्तान ने पिछले वर्ष की तुलना में रक्षा बजट में 18% की वृद्धि कर 9.6 अरब डालर किया है , जबकि पाकिस्तान की कुल जीडीपी 305 करोड़ डॉलर की है । इस दृष्टिकोण से यह अनुपात बहुत ही अधिक असंतुलित है । जिससे पाकिस्तान की स्थिति और भी अधिक दयनीय होनी निश्चित है । यह निश्चित है कि रक्षा पर खर्च होने वाला प्रत्येक रुपया विकास गतिविधियों की उपेक्षा करके हो रहा है । जिसे कोई भी देश अधिक देर तक नहीं झेल सकता ।पाकिस्तान में बलूच और सिंधी भी पाकिस्तान के लिए इस समय एक विकराल समस्या बन चुके हैं । बलूच और सिंधी पाकिस्तान की एकता और अखंडता को समाप्त करने के लिए चुनौती बन कर सामने आ खड़े हुए हैं । इतना ही नहीं ,खैबर पख्तूनख्वा के पठान भी अफगानिस्तान के साथ विलय करने की बात कह रहे हैं। 1971 के युद्ध और बांग्लादेश के निर्माण के पश्चात जीए सिंध नामक संगठन का सूत्रपात सिंधी नेता जी एम शईद ने किया था । वह भी अब अपना रंग दिखा रहा है। यहां के लोग अपना अलग देश मांगने की बात कर रहे हैं और इसके लिए वह चाहते हैं कि भारत उन का खुलकर समर्थन करे ।कुछ समय पूर्व भारत के प्रधानमंत्री मोदी ने लालकिले की प्राचीर से जब बलूचिस्तान का नाम लिया था तो वहां के स्थानीय नागरिकों ने उसका बहुत ही उत्साह के साथ स्वागत किया था । अभी भी इस क्षेत्र में ऐसे लोगों की बड़ी संख्या है जो वहां पर ‘ मोदी जिंदाबाद ‘ के नारे लगाते हैं । आज पाकिस्तान के लिए अपनी एकता और अखंडता को बचाए रखना सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है । अमेरिका के सामरिक रणनीतिकारों का एक वर्ग यह चाहता है कि पाकिस्तान का विभाजन कर दिया जाए , अपनी इस नीति के तहत अमेरिका के सामरिक रणनीतिकारों का मानना है कि इससे बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश के रूप में स्थापित होगा और खैबर पख्तूनख्वा को अफगानिस्तान में विलय करने से पाकिस्तान की कमर टूट जाएगी । इसका अभिप्राय है कि पाकिस्तान जिस प्रकार आतंकवादी गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है या उन्हें संरक्षण देकर अपने यहां से आतंकवाद की पौध और खेती तैयार करता है , उससे सारे संसार को मुक्ति मिल सकेगी।इन सबके उपरांत भी हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि पाकिस्तान एक परमाणु शक्ति संपन्न देश है । यदि वहां पर कोई आतंकवादी किसी भी प्रकार से सत्ता प्रतिष्ठानों पर पहुंचने में सफल हो गया या वहां के सेनाध्यक्ष के मस्तिष्क में कोई कीड़ा उभर आया तो परिणाम कुछ दूसरे भी हो सकते हैं ? – इसलिए भारत को बहुत ही सतर्कता और सावधानी के साथ अपनी वर्तमान नीतियों को आगे बढ़ाना होगा पाकिस्तान अपनी मूर्खता और गलत नीतियों के परिणाम भोगने की स्थिति में जा रहा है । वह बौखलाहट में कुछ भी कर सकता है । उसकी बौखलाहट को संतुलित करने के लिए और उसके कोप को कहीं और डलवाने के लिए भारत को डंडा और सावधानी दोनों से काम लेना होगा । शत्रु टूट जाए , इसमें कोई बुरी बात नहीं है , परंतु शत्रु टूटते टूटते हमको किसी प्रकार की चोट पहुंचा जाए – यह बहुत ही गलत होगा । इससे मोदी सरकार की पाकिस्तान संबंधी नीतियों की भी आलोचना करने का उनके विरोधियों को एक अवसर मिलेगा , इसलिए सावधानी हटनी नहीं चाहिए और दुर्घटना घटनी नहीं चाहिए ।