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किसान घाट – चौधरी चरण सिंह
किसान घाट चौधरी चरण सिंह की समाधि स्थल है, जो कि नई दिल्ली में स्थित हैं। राजनीति में नितांत ईमानदारी, सत्यनिष्ठा के लिए उन्हें विशेष रूप से स्मरण किया जाता है। उन्होंने राजनीति में रहते हुए स्वाभिमान और मूल्यों को प्राथमिकता दी । इंदिरा गांधी से जाकर समर्थन लेने को उन्होंने अपने स्वाभिमान के विरुद्ध माना। यद्यपि इसके लिए उन्हें अपनी सरकार से हाथ धोना पड़ा, पर उन्होंने इसे सहज रूप में स्वीकार किया। चौधरी चरण सिंह भारत के पांचवें प्रधानमंत्री बने थे और प्रधानमंत्री रहते हुए कभी संसद का सामना नहीं किया था। 1987 में चौधरी चरण सिंह का निधन हो गया। उसके बाद लाखों किसानों द्वारा उनकी समाधि स्थल की मांग की गई और उन्हें राजघाट के निकट भूमि दी दी गई । चौधरी साहब किसानों के नेता माने जाते थे। चौधरी चरण सिंह हवाई अड्डा लखनऊ में हैं।
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वीरभूमि – राजीव गांधी
वीरभूमि राजीव गांधी की समाधि स्थल है और यह दिल्ली में स्थित है। इंदिरा गांधी की मृत्यु के पश्चात 31 अक्टूबर 1984 को उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह द्वारा देश का प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया था। उनके नेतृत्व में कांग्रेस प्रचंड बहुमत लेकर सत्ता में लौटी थी। इसके उपरांत भी उन्हें अगले 5 वर्ष में ही सत्ता से हाथ धोना पड़ा। 1991 में जब देश लोकसभा चुनावों में व्यस्त था, उस समय उनकी हत्या कर दी गई थी।राजीव गांधी भारत के सबसे कम आयु के प्रधानमंत्री थे। 21 मई 1991 को उनकी हत्या तमिलनाडु में कर दी गई थी।
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राष्ट्रीय स्मृति स्थल – अटल बिहारी बाजपेई
राष्ट्रीय स्मृति स्थल नई दिल्ली में स्थित है, जो की अटल बिहारी वाजपेई की समाधि स्थल है। अटल जी लगभग 6 वर्ष तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में देश ने कारगिल में पाकिस्तान को करारी पराजय दी थी । पोखरण में परमाणु परीक्षण कर कर उन्होंने शेष संसार को यह संदेश दिया कि भारत अपनी रक्षा नीति में व्यापक परिवर्तन करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।
वाजपेई जी भारत के दसवें प्रधानमंत्री बने थे । यह तीन बार प्रधानमंत्री बने। 1998 का परमाणु परीक्षण इनके समय हुआ था। भाजपा नीत गठबंधन के वह पहले प्रधानमंत्री थे।
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अन्य प्रमुख समाधि स्थल
इसके अतिरिक्त हमारे अन्य राष्ट्रीय नेताओं के स्मारक स्थल या समाधिया भी हैं। जिनमें पूर्व राष्ट्रपति के आर नारायण की समाधि को “उदय भूमि” के नाम से जाना जाता है। यह नई दिल्ली में स्थित है। जबकि देश के दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में काम कर चुके गुलजारीलाल नंदा की समाधि को “नारायण घाट” के नाम से जाना जाता है। इसी प्रकार दलित नेता बाबू जगजीवन राम की समाधि को “समता स्थल” के रूप में जाना जाता है। वह देश के उप प्रधानमंत्री भी रहे। डॉ बी आर अंबेडकर जी की समाधि को “चैत्य भूमि” का नाम दिया गया है। जो कि मुंबई में स्थित है। नई दिल्ली स्थित पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की समाधि का नाम “एकता स्थल” है। पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ शंकर दयाल शर्मा की समाधि का नाम “कर्मभूमि” रखा गया है।
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सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा
सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले गृहमंत्री थे। उन्होंने देश को एकता के सूत्र में पिरोने का ऐतिहासिक कार्य किया था। 31 अक्टूबर 2018 को गुजरात में केवड़िया कॉलोनी में नर्मदा नदी पर स्थित सरदार सरोवर बांध से लगभग 3 किलोमीटर की दूरी पर सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची प्रतिमा, स्टेच्यू ऑफ यूनिटी का अनावरण किया गया। इस विशाल प्रतिमा को बनाने की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2013 में उसे समय कर दी थी जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। यह संसार की सबसे ऊंची प्रतिमा है।
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क्रांतिकारियों की जन्मस्थली गुरुकुल कांगड़ी
गुरुकुल कांगड़ी हरिद्वार में स्थित है। जिसकी स्थापना आर्य समाज के सुप्रसिद्ध क्रांतिकारी नेता और संन्यासी स्वामी श्रद्धानंद जी महाराज के द्वारा 1902 में की गई थी। इस गुरुकुल के माध्यम से अनेक क्रांतिकारी युवा भारत के क्रांतिकारी आंदोलन में सम्मिलित हुए। जिन्होंने देश को स्वाधीन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उस समय अंग्रेज गुरुकुल कांगड़ी को “क्रांतिकारियों की फैक्ट्री” कहकर पुकारा करते थे। गुरुकुल के ब्रह्मचारियों ने हमारे क्रांतिकारी आंदोलन के अनेक नेताओं का साथ देकर अपनी देशभक्ति का परिचय दिया था।
डॉ राकेश कुमार आर्य