इस्लाम के आदर्श दुष्कर्म !
विश्व में जितने भी धर्म ,और महापुरुष हुए हैं ,सबने ही लोगों को सदाचार की शिक्षा दी है .और लोगों से अनैतिक कामों से दूर रहने की प्रेरणा दी है .यही नहीं सभी धर्म और सभी धर्म के महापुरुषों का सम्मान करने की शिक्षा भी दी है .लेकिन मुसलमान बलपूर्वक लोगों से इस्लाम को सर्वश्रेष्ठ धर्म और मुहम्मद को सर्वोतम ,आदर्श व्यक्ति मनवाने के लिए दूसरे धर्मों और दुसरे धर्म के महापुरुषों का अपमान करते रहते हैं .
लेकिन खुद मुहम्मद की पत्नी आयशा मुहम्मद को झूठा समझती थी .मुहम्मद के साथी मुहम्मद की पत्नी पर बुरी नजर रखते थे .और अपने हरेक कुकर्म को जायज करवाने के लिए तरकीबें सोचते रहते थे .मुहम्मद की प्रिय पत्नी आयशा बेशर्म होकर मुहम्मद के साथियों को सेक्स की तालीम देती थी .लेकिन फिर भी मुहम्मद लोगों से उसका अनुसरण करने के लिए कहता था .और यही बात उसने कुरान में भी लिख दी थी .
इस लेख में यही बात प्रमाण सहित विस्तार से दी जा रही है –
1 -मुसलमानों के लिए उत्तम आदर्श
निश्चय ही तुम लोगों के लिए रसूल का सुन्दर चरित्र एक आदर्श है .
“Indeed, you have in the Prophet a beautiful pattern of conduct”
“لَقَدْ كَانَ لَكُمْ فِي رَسُولِ اللَّهِ أُسْوَةٌ حَسَنَةٌ ” 33:21
Al-Qur’an, Surah Al-Ahzab, 33Ayah 21
2-आयशा मुहम्मद को झूठा मानती थी
एक बार किसी बात पर रसूल और आयशा में तकरार हो गयी .और फैसला करने के लिए आयशा ने अपने पिता अबूबकर को मुंसिफ बनाया .तब आयशा ने रसूल से कहा ,बोलो तुम झूठ नहीं बोलोगे और सिर्फ केवल सच ही कहोगे .इस पर अबूबकर ने आयशा को इतनी जोर से थप्पड़ मारी कि उसके मुंह से खून निकल पड़ा .
“ذات مرة كان هناك مشادة بين النبي وعائشة عندما وجدوا أبو بكر قاضيا. وقال حضرة عائشة إلى النبي : “أنت تتحدث ولكن لا يتكلمون إلا الحقيقة. في وقت واحد أعطى أبو بكر لها مثل صفعة أن الدم بدأ طين الخروج من فمها ”
Once there was an altercation between the Prophet and Ayesha when they found Abu Bakr as judge. Hazrat Ayesha said to the Prophet: ‘You speak but don’t speak except truth. At once Abu Bakr gave her such a slap that blood began to ooze out from her mouth’
Ihya Ulum-id-din by Imam Ghazzali, Volume 2 page 36
3-सहबियों की नजर मुहम्मद की पत्नी पर
वैसे तो मुसलमान मुहम्मद के सहबियों को भी अपना आदर्श मानते हैं .लेकिन वह सब चरित्रहीन थे .इसका प्रमाण इस हदीस से मिलता है .
कतदा ने कहा कि एक सहाबी ने कहा “,अगर रसूल मर जाये तो मैं उसकी पत्नी आयशा से शादी कर लूँगा “इसके बाद कुरान में यह आयत लिखी गयी थी “कि
रसूल की पत्नियाँ तुम्हारे लिए माता के समान हैं ”
“وقال قتادة : “قال رجل :” إذا كان رسول الله (ق) توفي، وأنا أرغب في الزواج “عائشة. وكشفت بالتالي الله ‘{ولا هو حق لكم ان كنتم ينبغي يؤذون رسول الله}’ ثم كشفت ‘{وأزواجه أمهاتهم}.
Qatada said: ‘A man said: ‘If Allah’s messenger (s) died, I would marry Ayesha’. Hence Allah revealed ‘{ Nor is it right for you that ye should annoy Allah’s Messenger}’ then revealed ‘{ and his wives are their mothers sura ahzab 33:6}’.
“وَأَزْوَاجُهُ أُمَّهَاتُهُمْ ” 33:6
कुरान की इस आयत की व्याख्या में “अस्यार अल तफ़सीर أيسر التفاسير لكلام العلي الكبير”में लिखा है कि जब रसूल बीमार थे तो “तल्हाطلحة بن عبيدالله” ने कहा अगर हम मर जाते हैं तो रसूल हमारे चाचा की बेटियों से शादी कर लेता है .लेकिन हमें अपने चाचा की लड़की से शादी करने से रोकता है “(आयशा तल्हा की चचेरी बहिन लगती थी )
Aysar al-Tafasir, Volume 4 page 1422:
this verse descended in honour of Talha who expressed his intention of marrying Ayesha in the eventuality of Rasulullah (s) dying”.
Talha said, “Muhammad refrains us from marrying our cousin’s, and yet marries our women when we die, after his death we shall marry his wives’ after this, the verse descended “You cannot marry the wives of Rasululla
h”لا يمكنك الزواج من زوجات رسول الله”.” तुम रसूल की पत्नी से शादी नहीं कर सकते “( तल्हा बिन उबैदुल्लाह अबू बकर का cousin था .उस से मुहम्मद ने यह कहा था .
Tafseer Ibn Katheer Volume 6 page 506 commentary of Surah Azhab,33:6
4-उमर ने फातिमा को धमकाया
(umar’s threat to bibi fatima )
इतिहास गवाह है कि मुसलमान सत्ता के भूखे होते हैं .और सता के लिए कोई भी अपराध कर सकते हैं .इसी तरह जब मुहम्मद के दामाद अली ने उमर को खलीफा मानने से इंकार कर दिया तो .उमर फातिमा (मुहम्मद की पुत्री )को धमकाने लगा .
“उमर अली के घर पर गया ,वहां तल्हा ,जुबैर और मुहाजिरों का पूरा गिरोह मौजूद था .उमर ने धमकी देकर कहा “अल्लाह की कसम अगर तुम लोग म्रेरे साथ बैयत ( वफ़ादारी का वचन ) नहीं करोगे तो मैं तुम्हारे पूरे घर वालों को जिन्दा जलवा दूंगा .यह सुन कर जुबैर तलवार लेकर बाहर निकला ,लेकिन गिर गया और तलवार भी हाथ से छुट गयी ,बाद में उमर के लोग उसे कैद कर के ले गए.”
حدثنا ابن حُمَيْدٍ قال حدثنا جرير عن مغيرة عن زِيَادِ بن كُلَيْبٍ قال أتى عمر بن الخطاب منزل علي وفيه طلحة والزبير ورجال من المهاجرين فقال والله لأحرقن عليكم أو لتخرجن إلى البيعة فخرج عليه الزبير مصلتا بالسيف فعثر فسقط السيف من يده فوثبوا عليه فأخذوه.
Umar came to the house of ali asws, when talha, zubair and a group of mohajareen was there in the house; umar said: by god! i will burn you people or come out for bayat; zubair came with sword but he fell and sword moved out of his hand; so people catch him and took him into custody
[tareekh tibri; tibri; vol 2, page 233; printed by dar ul kutb ilmia; beirut]
अब आपको बताया जा रहा है कि मुहम्मद के साथी कितने चालाक और दुराचारी थे ,और किस तरह से हरेक कुकर्म को जायज और वैध बना देते है .अगर यही काम कोई दुसरे धर्म का व्यक्ति करता तो मुसलमान धिक्कार की बरसात कर देते .लेकिन इस्लाम में हरेक ऐसा कुकर्म हलाल है .इसे पढ़ कर मुसलमानों को शर्म से डूब कर मर जाना चाहिए .इसके कुछ नमूने देखिये –
5-पत्नी से गुदामैथुन (Sodomy اللواط) हलाल है
हसन बिन सुफ़यान ने अपनी मसनद “तबरानी अल असवात “के अन्दर हकीम और नईम अल अस्तखरज में इसके बारे में हदीसों की एक श्रंखला पेश की है .जिसमे इब्ने उमर ने कहा है कि रसूल ने इस आयत में औरत के साथ उसकी गुदा (Anus شرج) में सम्भोग करने की इजाजत देदी है .और गुदा मैथुन (Sodomy ) को हलाल बताया है .
Abdullah Ibn Umar deemed sodomy to be Halaal
وأخرج الحسن بن سفيان في مسنده والطبراني في الأوسط والحاكم وأبو نعيم في المستخرج بسند حسن عن ابن عمر قال: إنما نزلت على رسول الله صلى الله عليه وسلم {نساؤكم حرث لكم...} الآية. رخصة في إتيان الدبر.
Hasan bin Sufiyan in his Musnad, Tabarani in Al-Awsat, Hakim and Abu Naeem in Al-Mastakhraj with a ‘Hasan’ chain of narration narrated from Ibn Umar who said: ‘This verse was revealed on Holy Prophet (s) in respect to permissibility of performing sex in the anus of a woman’
Tafseer Durre Manthur, Volume 1 page 638
6-वेश्यावृति हलाल है
(The Permissibility to pay a woman for sex)
दुर्र अल मुख़्तार में लिखा है कि यदि कोई व्यक्ति सूचित कटा है कि मैं पैसे देकर किसी औरत के साथ सम्भोग करता हूँ तो ,इस्लामी कानून के अनुसार उसका यह काम दंडनीय नहीं हो सकता है .
لو أن رجلا يبلغ امرأة انه دفع لها لممارسة الجنس ثم انه لا يمكن أن تخضع لأية طريقة عقوبة الإسلامية “.
” if a man informs a woman that he is paying her for sex then he cannot be subject to any manner of Islamic penalty.”
Dur al-Mukhtar, Volume 2, Page 474
7-माँ के साथ सम्भोग जायज है
(Permissibility of Having Sex with One’s Mother)
फतवा गाजी खान में उन बातों के बारे में कहा गया है जो हराम है .और जिन बातों के लिए इस्लामी कानून में किसी भी सजा का प्रावधान नहीं है वह इस प्रकार हैं ,अपनी पत्नी की बहिन से शादी करना ,अपनी माँ से शादी करना ,या ऐसी औरत से शादी करना जो पहले से ही विवाहिता हो .यह सब इस्लाम के अनुसार हलाल हैं .
“من الأشياء التي هي حرام ولكن لا يوجد له أي عقوبة الإسلامية، وتشمل هذه… تزوجت شقيقة الزوجة، أو أمها ، أو امرأة متزوجة بالفعل”
things which are haram but for which there is no Islamic penalty, these include… marrying your wife’s sister, or her mother, or a woman who is already married.
Fatawa Qadhi Khan, Volume 4, Page 820
इस्लाम की शक्षा के कारण आज मुसलमान राक्षस बन गए हैं .यहाँ तक उनकी औरतें भी यातो आतंकवादी बन जाती है ,या फिर लड़कियों से वेश्यावृति करवाती है .एक तरफ मुहम्मद लोगों को जिहाद के इए उकसाता रहता था ,तो दूसरी तरफ उसकी पत्नी आयशा मुहमद के साथियों को सेक्स के तरीके सिखाती रहती थी .जिसमे मुहमद भी साथ देता था .आप इन हदीसों को ध्यान से पढ़िए –
8-आयशा सहबियों को सेक्स सिखाती थी
(Ayesha would give sex advice to the Sahaba)
रसूल की पत्नी आयशा ने कहा कि एक आदमी रसूल के पास गया ,और उनसे पूछा कि मैं जब अपनी पत्नी के साथ सम्भोग करता हूँ तो स्खलित नहीं होता .क्या ऐसे सम्भोग के बाद स्नान करना जरुरी है ?उस समय वहां आयशा भी मौजूद थी .रसूल ने कहा कि जब भी मैं और ईमान वालों की माता ( आयशा ) सम्भोग करते हैं ,तो स्नान करते हैं.
“عائشة وذكرت زوجة للرسول الله (صلي الله عليه وسلم). وسأل شخص رسول الله (صلي الله عليه وسلم) حول الشخص الذي الجماع الجنسي مع زوجته وقطع المسافة (بدون النشوة) ما إذا كان الاستحمام واجب عليه. “كان يجلس عليه عائشة. قال رسول الله (صلي الله عليه وسلم) : أنا وانها (أم المؤمنين) تفعل ذلك ثم أخذ حمام “.
‘A’isha the wife of the Apostle of Allah (may peace be upon him) reported. A person asked the Messenger of Allah (may peace be upon him) about one who has sexual intercourse with his wife and parts away (without orgasm) whether bathing is obligatory for him. ‘A’isha was sitting by him. The Messenger of Allah (may peace be upon him) said: I and she (the Mother of the Faithful) do it and then take a bath”.
Sahih Muslim Book Haid 003, Number 0685
9-आयशा सेक्स गुरु थी
(.Ayesha was sex teacher to the Sahaba)
अबू मूसा ने कहा कि मुहाजिरों और अंसारों में बहस हो रही थी ,अंसारों ने कहा कि सम्भोग के बाद नहाना जरुरी है .चाहे वीर्य निकले या नहीं .एक मुहाजिर बोला आपकी बात ठीक है .तभी अबू मूसा उठा और आयशा के पास जाकर बोला ,मुझे आपसे एक राय चाहिए लेकिन मुझे शर्म आ रही है .आयशा ने कहा तुम बिना किसी शर्म के कहो क्या बात है .उसने आयशा से पूछा कि क्या सम्भोग के बाद नहाना जरुरी है ?आयशा ने कहा यदि कोई व्यक्ति औरत बीच में इस तरह घुसे कि जिससे उसका खतना वाला अंग और बाकी के चार अंग औरत के अंगों से स्पर्श करें तो स्नान करना जरुरी है
“عن أبي موسى :
نشبت هناك اختلاف في الرأي بين مجموعة من (المغتربين ومجموعة من أنصار (مساعدين) (ونقطة الخلاف كان) أن الأنصار قال : حمام (بسبب الجماع الجنسي) واجبا فقط، عندما يكون السائل المنوي . طفرات بها أو يقذف لكن قال : عندما يكون للرجل الجماع (مع امرأة)، وحمام واجبا (لا يهم ما إذا كان أو لم يكن هناك انبعاث المنوية أو القذف) وقال أبو موسى : حسنا ، أنا لك على تلبية . هذه (القضية) وقال (أبو موسى ، والراوي) : استيقظت (وذهب) لعائشة وتستأذن وحصل عليه ، وقلت لها : 0 المؤمنين، أريد أن . أسألك عن مسألة التي أشعر بالخجل وقالت : لا أخجل من يسألني عن ال الذي يمكنك أن تسأل والدتك ، الذي قدم لك الولادة، لأنني أنا أيضا والدتك وبناء على هذا قلت : ما ؟ يجعل الحمام يجب على الشخص أجابت : لديك تأتي عبر واحد مطلعة إن رسول الله (صلي الله عليه وسلم) قال : عند أي شخص يجلس وسط أربعة أجزاء (المرأة) ، والختان قطع تلامس بعضها البعض حمام يصبح إلزاميا.
Abu Musa reported:
There cropped up a difference of opinion between a group of Muhajirs (Emigrants and a group of Ansar (Helpers) (and the point of dispute was) that the Ansar said: The bath (because of sexual intercourse) becomes obligatory only-when the semen spurts out or ejaculates. But the Muhajirs said: When a man has sexual intercourse (with the woman), a bath becomes obligatory (no matter whether or not there is seminal emission or ejaculation). Abu Musa said: Well, I satisfy you on this (issue). He (Abu Musa, the narrator) said: I got up (and went) to ‘A’isha and sought her permission and it was granted, and I said to her: OMother of the Faithful, I want to ask you about a matter on which I feel shy. She said : Don’t feel shy of asking me about a thing which you can ask your mother, who gave you birth, for I am too your mother. Upon this I said: What makes a bath obligatory for a person? She replied: You have come across one well informed! The Messenger of Allah (may peace be upon him) said: When anyone sits amidst four parts (of the woman) and the circumcised parts touch each other a bath becomes obligatory.
Sahih Muslim Book 3, Number 0684:
मैं अपने विद्वान् पाठकों से अनुरोध करता हूँ कि वे निष्पक्ष हो कर इस लेख को पढ़ें और इसके विषय की गंभीरता को समझें .और बताएं कि मुसलमान किस बात के आधार पर इस्लाम को सवश्रेष्ठ धर्म कहते है .मुसलमान इसी लिए अपनी उन किताबों को छुपा देते है ,जिनमे उनके कुकर्मो का उल्लेख होता है .आज मुसलमान जिस इस्लाम की महानता का ढिंढोरा पीटते वह दिखावा है .और भोले भले लोग इनके जाल फस जाते हैं .आज भी मुसलमानों की असली किताबें उर्दू या अरबी में हैं .और अधिकांश लोग उनसे अनजान है .
और जो लोग खिसिया कर कमेन्ट के रूप में गालियाँ और अपशब्दों का प्रयोग करके इस्लाम की वकालत करते हैं ,और दूसरों के धर्मग्रंथों में कमियां निकालते है .उन से मेरा यही कहना है कि हिन्दू धर्म की कहानिया इतिहास नहीं हैं ,और केवल मिथक है .इन से आज तक समाज का कोई बुरा नहीं हुआ .लेकिन जब मुसलमान अपनी किताबों को सच्चा बताते हैं ,तो उसका जवाब देना जरुरी हो जाता है .क्योकि दुनिया का शायद ही कोई ऐसा कुकर्म ,अपराध ,और अनैतिक कार्य बचा होगा जो इस्लाम में जायज और हलाल न होगा .
दुष्कर्म करना और कराना यही इस्लाम है .मुसलमान जितना बड़ा होगा उतना ही दुश्चरित्र होगा .
(87/67)Dt 01/09/2011
brijnandan Sharma