Dr DK Garg
बंसी के घर कई साल की पूजा पाठ के बाद बच्चे ने जन्म लिया लेकिन दुर्भाग्य से बच्चा सामान्य नहीं था।उसकी लंबी नाक थी,चार हाथ थे ,और बहूत मोटा था। इस प्रकार के असामान्य बच्चे ज्यादा दिन जीवित नहीं रहते ,और यदि जीवित रहते भी है तो अपंग की भांति ।
बंसी मजदूरी करता था। गांव की पोखर के पास एक झोपड़े में रहता था। जब मजदूरी पे काम नहीं मिलता था तो तालाब से सिंघाड़े निकाल कर बेच लेता ,कभी चारपाई की बुनाई या छान, बिटोरा बांधने का काम कर लेता था।
इस अपंग बच्चे के जन्म की खबर पूरे गांव में और आसपास के इलाके में फैल गई ।
दूर दूर से बच्चे को देखने के लिए आने लगे ,भीड़ जुटने लगी।गांव के पंडित ने इस बच्चे को गणेश का साक्षात अवतार ही बता दिया।और ये खबर दूर दूर तक फैल गई ,मीडिया में बच्चे की फोटो के साथ विश्लेषण सुरु हो गया ।
लेकिन डाक्टर लोग इसका खंडन करते रहे और उन्होंने ये भी कहा की इस विकृति की सर्जरी भी नही हो सकती ।
परन्तु पंडित और ज्योतिषी अपनी जिद पर आमादा थे ,उन्होंने पुराण और गीता का संदर्भ देते हुए कलियुग में ईश्वर के गणेश स्वरूप में अवतार लेने के सबूत दिए,किसी ने कल्कि अवतार की बात कही तो किसी ने कहा की रात को स्वप्न में गणेश आए और उन्होंने कहा की अब धरती पर पाप बढ़ रहे हैं ,इसलिए पाप खत्म करने के लिए अवतार लेना पड़ेगा ।इसी क्रम में आज गणेश भगवान प्रकट हो गए है।
दिन निकलने से पहले ही बंसी के घर भारी भीड़ बच्चे के दर्शन के लिए जमा होने लगती थी। बेचारा बंसी काफी परेशान था।बच्चे को बार बार बुखार और अपच की शिकायत हो रही थी।कभी भी दस्त लग जाते थे।इसको हैड़ भी घिसकर पिलाई लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ।
कई पंडित और ज्योतिषी बच्चे को गोद लेने के लिए भी कोशिश में लगे थे।वे बंसी को मुंहमांगी रकम देने को तैयार थे।और बंसी को अलग अलग तरीके से समझने की कोशिश भी करते थे।
बंसी को पैसे का लालच भी देते थे की तेरी किस्मत बदल देंगे ,घर ठीक से बनवा लेना ,तेरा कर्जा भी उतार जाएगा ,अन्यथा जिंदगी भर कर्ज के बोझ से दबा हुआ इसी झोपड़े में दफन हो जायेगा।इसके अलावा बंसी और समस्त इलाके पर गणेश भगवान के श्राप लगने का डर भी बताया और बच्चे के लिए महंगे इलाज की मंशा का प्रयोजन भी बताया और बात नहीं मानने पर भुगत लेने की धमकी आदि सभी तरीके अपनाए जा रहे थे।
परन्तु बंसी के बच्चे का इलाज करने वाला डाक्टर बंसी की इस प्रकार के लोगो से सावधान रहने और किसी भी अंधविश्वास से बचने की सलाह देता था।
उसका कहना था कि बच्चे को गणेश का अवतार बताना सभी झूठ और पाखंड का हिस्सा है।
ईश्वर कभी अवतार के रूप में जन्म नहीं लेता और वह सर्वशक्तिशाली है।यदि बच्चा अपंग है तो इसके कई कारण हो सकते है जैसे की गर्भ में दोषपूर्ण शरीर का निर्माण। आत्मा तो गर्भ में मूढ़ अवस्था में होती है और शरीर का निर्माण ईश्वर की व्यवस्था के अनुसार जीव के कर्मो का परिणाम है।इसमें बच्चे की मां का भी दोष नहीं है।
और जो गणेश के जन्म की कथा सुनाई जाती है वो भी अवैज्ञानिक और मनघड़ंत है।शिव को क्रोधी और मुर्ख बताने लिए वाममार्गियों ने और मुस्लिम परस्त पण्डो ने ऐसी गप कथाएं गढ़ दी है।यदि शिव ईश्वर है तो क्या अपने बच्चे को नहीं पहचान पाए और क्रोध में उसको गर्दन काट दी और दूसरी हत्या एक हाथी के बच्चे की भी कर दी।और तो और आठ साल के बच्चे का सिर हजार किलो के हाथी के बच्चे के सिर से जोड़ दिया,कितना असत्य है।
लेकिन प्रभावशाली लोगो इस डाक्टर को भी काबू करने का प्रयास कर रहे थे की वो बंसी को समझना बंद करे और बच्चे को गणेश का अवतार बताए।
बंसी के बच्चे को ले जाने के लिए एक नहीं ,एक दर्जन से ज्यादा ज्योतिषी और पंडे भरसक प्रयास कर रहे थे।
ज्योतिषाचार्य शेकर गिरी ने बंसी को बताया की ये बच्चा मूलों ने पैदा हुआ है,और उस समय ब्रहस्पति और शुक्र शनि के घर में बैठे हुए थे।इसलिए बच्चे को मंदिर ले जाकर पूजा करनी पड़ेगी अन्यथा देश पर भारी विपत्ति जैसे तूफान , अकाल,महामारी आ सकती हैं।देश की रक्षा के लिए गणेश भगवान के अवतार रूपी बच्चे को मंदिर को देना होगा।
इसी प्रकार पंडित शालक्य श्री ने बंसी को धमकाते हुए बोल दिया की यदि बच्चे को उसके असली घर गणेश मंदिर नहीं भेजा तो भारी पाप लगेगा और पूरा गांव इसका श्राप भुगतेगा।
इस तरह से उनको तर्क देकर बंसी को अपराध बोध कराने और बच्चे को उससे लेने का प्रयास चल रहा था।
बंसी अकेला कब तक इन लोगो का सामना करता जो अलग अलग ग्रुप में उसकें पास आते थे।उसने रिश्तेदार और मित्रो की मदद मांगी तो उन्होंने बंसी को ही गलत बोल दिया और गणेश के अवतार का उसके घर जन्म होने की बधाई देते हुए ,किसी अनिष्ट से बचने के लिए बाल गणेश को तुरंत मंदिर में पहुंचाने को कहा। और तो और प्रशासन के अधिकारी भी हाल में आए कुछ भूकंप के लिए बंसी को दोषी बताने लगे क्योंकि बंसी ने गणेश को कैद किया हुआ है।
अंततः बंसी ने हार मान ली और बच्चे की ज्योतिषाचार्य चुनूं पंडित को सॉप दिया।
बच्चे को लेकर उन्होंने एक पालकी में लिया दिया और आसपास के सभी क्षेत्रों में मुनादी करवा दी कि साक्षात अवतार गणेश जी का मंदिर में पदार्पण हो रहा है और जिसकी पालकी यात्रा धूमधाम से निकलेगी। सभी दर्शन कर पुण्य के भागी बने और अवतार गणेश जी के दर्शन का दुर्लभ समय ना गवांए।
भाग ,2
पंडितो ने शुभ मुहूर्त भी निकाल दिया।और नियत समय पर अनेकों बैंड बाजों के साथ पालकी यात्रा शुरू हुई ,
बंद बाजे के साथ साथ सैकड़ों महिला पुरुष फिल्मी धुनों पर बने गीतों पर नाच गाना कर रहे थे ।बच्चे के दोनों पैर पालकी से बाहर दिख रहे थे ,जिनको स्पर्श करके आशीर्वाद ले रहे थे और चढ़ावे में अमूल्य सोना ,रुपया पैसा,मेवा ,वस्त्र आदि पूरी श्रद्धा से चढ़ा रहे थे,इसके पीछे साथ की कोई न कोई मिन्नत भी मांग रहे थे जैसे कि किसी बीमारी से मुक्ति,सरकारी नौकरी और पद की लालसा,परीक्षा में पास होना,मुकदमा जीतना आदि।
धर्म और श्रद्धा का विषय था,बड़े बड़े धर्म गुरु भी बच्चे के रूप में गणेश भगवान के अवतार पर अपनी सहमति दे चुके थे ।और वे हजारों साल का इतिहास बताकर अपनी बात को मजबूती का रूप देने पर आमादा थे।
सर्दियों का मौसम था।बच्चे की भूख प्यास पर किसी ने ध्यान नहीं दिया , अंततः बच्चे को ज्वर ने जकड़ लिया । बच्चे को मूर्छा आने लगी ।हालत बिगड़ते देख आनन फानन में उसको बंसी की पत्नी को दे आए और चढ़ावे में मिले वस्त्र ,धनराशि आदि को अपने साथ ले गए।
बच्चे को मां ने गले ले लिपटा लिया ,बच्चे ने मां का दुग्ध पान किया और कुछ समय बाद उसके शरीर ने और हरकत करनी सुरु कर दी।
डाक्टर भी वहां अपने एक साथी के साथ आ गया था ,उसने बच्चे को देखा और बताया की सर्जरी द्वारा अतिरिक्त अंग दूर किए जा सकते है और यह कार्य सरकारी मदद से जल्दी ही करवा देगा ।इसके बाद बच्चा एक सामान्य बालक की भांति हो जायेगा।
बंसी जो कि बच्चे के जाने के गम में गुमसुम सा बैठा था,कुछ खा पी भी नहीं रहा था। अचानक घर से बाहर निकला और जोर से चीख चीख कर कहने लगा; सिद्ध अवतार,की जय,
सिद्ध अवतार की जय,
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