वैदिक विवेक धारण करने वाला व्यक्ति किस प्रकार के जीवन का आनन्द लेता है?

Screenshot_20240423_210518_WhatsApp

वैदिक विवेक धारण करने वाला व्यक्ति किस प्रकार के जीवन का आनन्द लेता है?
कलियुग में अपनी सम्पदा और ज्ञान का प्रयोग कैसे करें?

अप्रक्षितं वसु बिभर्षि हस्तयोरषाळहं सहस्तन्वि श्रुतो दधे।
आवृतासोऽ वतासो न कतृभिस्तनूषु ते क्रतव इन्द्र भूरयः।।
ऋग्वेद मन्त्र 1.55.8

(अप्रक्षितम्) क्षय रहित, नाश न होने योग्य (वसु) सम्पदा (बिभर्षि) धारण करता है (हस्तयोः) हाथों में (अषाळहम्) हिंसित न होने योग्य, पराजित न होने योग्य (सहः) बल (तन्वि) शरीर में (श्रुतः) सुनने योग्य (दधे) धारण करता है (आवृतासः) प्रसन्नता से पूर्ण (अवतासः) संरक्षण से पूर्ण (न) जैसे (कतृभिः) कर्त्तव्यबद्ध तथा गतिशील (तनूषु) शरीरों में (ते) आपके (क्रतवः) ज्ञान तथा गतिविधियाँ
(इन्द्र) इन्द्रियों का नियंत्रक (भूरयः ) कीमती, मूल्यवान।

व्याख्या:-
वैदिक विवेक धारण करने वाला व्यक्ति किस प्रकार के जीवन का आनन्द लेता है?

पिछला मन्त्र (ऋग्वदे 1.55.7) हमें प्रेरित करता है कि हम समस्त ज्ञान वैदिक विवेक के साथ ही धारण करें, एक दाता बनकर और इन्द्रियों के नियंत्रक बनकर।
यह मन्त्र ऐसे व्यक्ति के जीवन की दृष्टि प्रस्तुत करता है जो वैदिक विवेक के साथ जीता है:-
(क) वह अपने हाथ में अनाशवान् सम्पदा धारण करता है।
(ख) वह अपने शरीर में अहिंसनीय और अपराजित बल को धारण करता है जो सुनने के योग्य है।
(ग) कर्त्तव्यबद्ध और सक्रिय व्यक्ति होने के नाते वह पूरी तरह संरक्षित व्यक्ति हर प्रकार से प्रसन्न होता है।
(घ) एक इन्द्र पुरुष बड़ा कीमती और अनमोल ज्ञान तथा गतिविधियाँ धारण करता है।

जीवन में सार्थकता: –
कलियुग में अपनी सम्पदा और ज्ञान का प्रयोग कैसे करें?

जब सम्पदा का प्रयोग दूसरों के कल्याण के लिए किया जाता है तो वह कभी नष्ट नहीं होती, बल्कि बढ़ती रहती है। अपने ज्ञान का प्रयोग करते हुए हमें इन्द्रियों और मन को अन्तर्मुखी बनाये रखना चाहिए अर्थात् दिव्यता पर एकाग्र और पूरी तरह नियंत्रण में। हमें अपनी इन्द्रियों का वेलगाम प्रयोग नहीं करना चाहिए। ऐसा ज्ञान निश्चित रूप से अहिंसनीय और अपराजेय होगा। इस प्रकार गौरवशाली भौतिक सम्पदा तथा ज्ञान हमें अपराधों और बीमारियों के इस अन्धकारमय युग अर्थात् कलियुग में भी पूरी तरह संरक्षित व्यक्ति बना सकता है।
 

आईये! ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च शक्ति परमात्मा के साथ दिव्य एकता की यात्रा पर आगे बढ़ें। हम समस्त पवित्र आत्माओं के लिए परमात्मा के इस सर्वोच्च ज्ञान की महान यात्रा के लिए शुभकामनाएँ देते हैं।

टीम
पवित्र वेद स्वाध्याय एवं अनुसंधान कार्यक्रम
द वैदिक टेंपल, मराठा हल्ली, बेंगलुरू, कर्नाटक
वाट्सएप नम्बर-0091 9968357171

Comment: