मुस्लिम प्रचारकों ने यह झूठ फैला रखा है की अल्लाह सातवें आसमान पर रहता है और वहीँ से जिब्राइल के द्वारा मुहम्मद को कुरान भेजा करता था लेकिन मुसलमानों के कुछ ऐसे फिरके हैं जैसे अलवी ,निजारी और इस्माइली मानते हैं की कुरान का काफी बड़ा हिस्सा अली ने बनाया है उनका यह दावा सही लगता है इसके कुछ कारण यह है
1 -मुहम्मद को उनके चाचा अबू तालिब ने पाला था अबू तालिब पढ़े लिखे थे उनकी लिखी किताब “दीवाने अबू तालिब – ” मौजूद है ,
2-बचपन में मुहम्मद अबुतालिब के घर में अली के साथ रहता था ,और अबू तालिब ने दौनों को लिखना सिखाया था , अली तोसीख गया लेकिन मुहम्मद अनपढ़ कैसे रह गया ?
3-इस्लाम के बाद मुहम्मद ने अधिकांश संधिपत्र अली से ही लिखवाये थे जैसे सन 628 की हुदैबिया की संधि
4-अली के द्वारा लिखी किताब “नहज अल बलाग – نَهْج ٱلْبَلَاغَة ” की शैली कुरान से मिलती है इस से शंका होती थी की कुरान अली ने बनायीं होगी लेकिन अब पूरा प्रमाण मिल गया है कि अल्लाह और कोई नहीं बल्कि अली ही था .
दिसंबर सन 630 हिजरी सन 8 को मुहम्मद ने मक्का से कुछ मील दूर ” तायफ़ – اَلطَّائِفُ, ,” नामकी एक बस्ती पर हमला किया था इस में अली भी शामिल थे ,मुहम्मद ने अपने लोगों को लड़ाई की रणनीति समझाने के लिए जमा किया और अली को साथ लेकर एक खाली घर में घुस गए और लोगों से प्रतीक्षा करेने को कहा यह इस हदीस में बताया गया है
“जाबिर बिन अब्दुल्लाह ने कहा कि ,अक्सर जब रसूल कोई महत्वपूर्ण आयत सुनाने वाले होते थे तो ,सब को बुला लेते थे .फिर अपने घर के एक गुप्त कमरे में अली को बुला लेते थे .जबीर ने कहा कि इसी तरह एक बार रसूल ने हमें बुलाया ,फिर कहा कि एक विशेष आयत सुनाना है .फिर रसूल अली को एक कमरे में ले गए .आर कहा कि इस आयत में काफी समय लग सकता है इसलिए अप लोग रुके रहें ,हमने चुप कर देखा कि अली ,रसूल से अल्लाह की तरह बातें कर रहा था .वास्तव में कमरे में रसूल और अली के आलावा कोई नहीं था .अलह कि तरह बातें करने वाला और कोई नहीं बल्कि रसूल का चचेरा भाई अली था
Narrated Jabir:
“The Messenger of Allah (ﷺ) called ‘Ali on the Day (of the battle) of At-Ta’if, and spoke privately with him, so the people said: ‘His private conversation with his cousin has grown lengthy.’ So the Messenger of Allah (ﷺ) said: ‘I did not speak privately with him, rather Allah spoke privately with him.'”
عَنْ جَابِرٍ، قَالَ دَعَا رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم عَلِيًّا يَوْمَ الطَّائِفِ فَانْتَجَاهُ فَقَالَ النَّاسُ لَقَدْ طَالَ نَجْوَاهُ مَعَ ابْنِ عَمِّهِ . فَقَالَ رَسُولُ اللَّهِ صلى الله عليه وسلم ” مَا انْتَجَيْتُهُ وَلَكِنَّ اللَّهَ انْتَجَاهُ ” . قَالَ أَبُو عِيسَى هَذَا حَدِيثٌ حَسَنٌ غَرِيبٌ لاَ نَعْرِفُهُ إِلاَّ مِنْ حَدِيثِ الأَجْلَحِ وَقَدْ رَوَاهُ غَيْرُ ابْنِ فُضَيْلٍ أَيْضًا عَنِ الأَجْلَحِ . وَمَعْنَى قَوْلِهِ ” وَلَكِنَّ اللَّهَ انْتَجَاهُ ” . يَقُولُ اللَّهُ أَمَرَنِي أَنْ أَنْتَجِيَ مَعَهُ .
जाबिर ने रिवायत किया:
“अल्लाह के दूत (ﷺ) ने अत-ताइफ़ के दिन (युद्ध के) अली को बुलाया, और उनसे निजी तौर पर बात की, तो लोगों ने कहा: ‘अपने चचेरे भाई के साथ उनकी निजी बातचीत लंबी हो गई है।’ तो अल्लाह के दूत (ﷺ) ने कहा: ‘मैंने उससे अकेले में बात नहीं की, बल्कि अल्लाह ने उससे अकेले में बात की।”
https://sunnah.com/tirmidhi:3726
Reference : Jami` at-Tirmidhi 3726
In-book reference : Book 49, Hadith 123
English translation : Vol. 1, Book 46, Hadith 3726
यह एक हदीस ही मुसलमानों के फर्जी अल्लाह का भंडा फोड़ने के लिए पर्याप्त है ,इस हदीस से साबित होता है की मुहम्मद पहले कुकर्मों को जायज बताने को अली से आयतें बनवा लेता था फिर उसे अल्लाह का कलाम बता कर कुरान में लिखवा देता था इसलिए कुरान को आसमानी किताब समझना मूर्खता है
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बृजनंदन शर्मा