- दिव्य अग्रवाल (लेखक व विचारक)
जिस प्रकार एक वट वृक्ष अपने समक्ष प्रकृति के प्रत्येक स्वरूप को देखता है , संघर्ष करता है और अनंत काल तक लोगो को छाया प्रदान करता है उसी प्रकार समाज में , राजनीति में भी कुछ ऐसे चेहरे होते हैं जो लम्बे समय तक वट वृक्ष की भूमिका का निर्वहन करते हैं । सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा के उन्ही चेहरों में से एक नाम उन्नाव सांसद एवं लोकसभा प्रत्याशी साक्षी जी महाराज का है । जिन्होंने अटल से आडवाणी तक , आडवाणी से लेकर अशोक सिंघल तक , उमा भारती से लेकर साध्वी ऋतम्भरा तक , कल्याण सिंह से लेकर राजनाथ सिंह तक और राजनाथ सिंह से लेकर योगी जी महाराज तक सबके साथ मिलकर भाजपा को मजबूत करने का कार्य किया । देश के प्रधानमंत्री मोदी जी के साथ मिलकर अपने क्षेत्र उन्नाव में विकास के साथ साथ लोगो का विश्वास भी जीता । वर्तमान समय में भाजपा के कईं बड़े नेताओं ने या तो राजनितिक संन्यास ले लिया या उनकी उदासीन कार्यशैली के कारण उन्हें टिकट नहीं मिला ऐसी चुनौतीपूर्ण परिस्थिति में भाजपा से निरंतर टिकट प्राप्त करना इस बात को बल देता है की साक्षी जी माहराज अपने लोकसभा क्षेत्र में लोकप्रिय भी हैं और कर्मठ भी । साक्षी जी माहराज उन्नाव से लेकर दिल्ली तक अपने कार्यकर्ताओं और आमजनमानस के लिए सुलभ हैं इसकी चर्चा दिल्ली की राजनीति में भी निरंतर बनी रहती है । इन सबके बावजूद भी कम मतदान का प्रभाव उन्नाव में देखने को मिलता है या नहीं यह विचारणीय होगा । क्योंकि अधिकतर सीटों पर देखा जा रहा है की मतदाता अपने प्रत्याशी की विजय को लेकर या तो अति आश्वस्त हैं या मतदान के प्रति सजग नहीं है। यह निश्चित है की कम मतदान किसी भी प्रकार से प्रत्याशी के हित में नहीं होता । साक्षी जी महाराज का जो श्री राम मंदिर अयोध्या जी आंदोलन में सहयोग रहा है वह भी अविस्मरणीय है जिसके कारण वर्तमान मुख्यमंत्री योगी जी महाराज स्वयं साक्षी जी महाराज के प्रति काफी सम्मान रखते हैं । निश्चित ही आज पूरा देश राममय है परन्तु इस राम मय काल खंड को सार्थक करने हेतु अनेको अनेको लोगो ने अपना सहयोग दिया है जिसमे एक मुख्य नाम साक्षी जी महाराज का भी है । साक्षी जी महाराज कईं बार सार्वजनिक मंच से यह बात कह देते हैं की हमारे जीवन का स्वप्न मोदी जी ने पूर्ण किया है इसलिए एक एक सांसद मोदी जी की शक्ति है । भाजपा के प्रत्येक सांसद की विजय मोदी जी की विजय है अब इन कथनों को उन्नाव की जनता कितना मान रखती है यह तो आने वाली १३ मई का मतदान ही निर्धारित कर पायेगा ।