भिक्षा फलीभूत*
स्टोरी -डॉ डी के गर्ग –५। ५ । २०२४
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चुनाव का बिगुल बज चुका है, नेताओं ने अपनी अपनी तरह से शतरंज की बिसात बिछा दी है,मुद्दे गर्म है, जनता और देश के विकास के लिए नेता अपने बिलों से निकलकर सड़क पर आ गए हैं और घर घर जाकर हाथ जोड़कर सेवा का मौका देने की प्रार्थना कर रहे है। सभी ईमानदारी के साथ दिन रात काम करने और भ्रष्टचार मुक्त देश के लिए अपना संकल्प दोहरा रहे है। हर कोई दलित,आदिवासी, ओबीसी,मजदूर,गरीब और किसान के साथ दिख रहा है और इनको मुफ्त में राशन पानी के साथ पैसे देने की भी बात बार बार दोहरा रहा है।
प्रत्याशी के साथी वोटर को ये भी समझा रहे हैं की साब का जीतना तो पक्का है क्योंकि ठाकुर ,दलित ,ओबीसी ,किसान और मजदूर पूरी तरह से इनके साथ में है,लड़ाई तो भारी मार्जिन से जीतने की है,और चुनाव जीतकर इनका मंत्री बनना भी पक्का है ,इसीलिए वोट बेकार ना करे सिर्फ नेताजी को देना है।
लेकिन बात यही खतम नही होती ,मंदिर ,मस्जिद,गुरुद्वारा और मजार पर नेता जी का चादर चढ़ाने का भी काम बदस्तूर जारी है।चुनाव जीतने के लिए कही कोई चूक की गुंजाइश नहीं छोड़ी जा रही है। अब हर नेता सेकुलर है ,जो नेता हिंदुओं को गाली देता था वो अब राम भक्त , देवी भक्त है और उसका परिवार सदियों से शिव की पूजा करता रहा है।
नेताजी मंदिर से पूजा करके ,माथे पर बड़ा सा तिलक लगाए ,हाथ में कलावा ,कंधे पर मंदिर से प्रसाद में मिली चुनरी गले में डाले बाहर निकल रहे हैं।उनके बाहर निकलने के साथ जय जय कार ,जिंदाबाद के नारे शुरु हो गए हैं। मंदिर के बाहर बैठा भिखारी वर्ग के लिए अभी अच्छा समय आ गया है। उन्होंने भी अपनी तरह से उचक-उचक कर अपना कटोरा आगे करके दुआए देना शुरु कर दिया है।
नेताजी सभी भिखारियों को नतमस्तक होकर 10/10 का नोट दे रहे हैं और सिर पर हाथ रखवाकर उनसे जीत का आशीर्वाद ले रहे है।
तभी एक व्यक्ति तेजी से आकर नेताजी के कान में कहता है की आचार संहिता लगी हुई है और 50000/ से ज्यादा कैश को जब्त करने के लिए चुनाव आयोग की टीम आस पास घूम रही है । बदनामी और परेशानी होने में देर नहीं लगेगी। ये सुनकर नेताजी के चहरे की रंगत में फर्क आ जाता है और आनन -फानन में अपना पूरा कैश बाना भिकारी के कंबल में डालकर वहा से तेजी से निकल जाते है ।
बाना भिकारी मुंह टेढ़ा करके ,जैसे की लकवा मार गया हो ,की आकृति बनाकर भीख मांगने में माहिर है । इसकी जायदा उम्र नही है ,पिछले साल से यहां मंदिर के बाहर बैठकर भीख मांग रहा है। बुरी संगत के कारण इसको गांजा और अन्य नशा करने की आदत हो गई थी जिस कारण पढ़ाई लिखाई सब छूट गई ।परिवार वालों ने सुधारने के लिए बहुत प्रयास किए , ओझा को दिखाया, पूजा पाठ भी की लेकिन कोई असर नही हुआ।अंत में इसको नशा मुक्ति अस्पताल में भर्ती कराया तो इसका उल्टा परिणाम हुआ। वह नशा बेचने वालों के चंगुल ने फसकर नशा बेचने के बिजनेस में आ गया। एक बार पुलिस ने पकड़ लिया। खूब फजीहत हुए। मार भी पड़ी और बदनामी भी हुई। रात को जेल में जब नशे की तालाब हुई तो परेशां पुलिस वालो ने ही स्वयं उसको नशा उपलब्ध कराया। कुछ दिन में ही जमानत लेकर जेल से बहार आया तो इसके बाद वह घर से ही भाग गया और यहां आकर भिखारियों के बीच बैठकर भीख मांगकर अपना गुजारा करने लगा।
भिखारियों की दुनिया भी अलग है।कोई मुंह टेढ़ा करके,कोई हाथ पैर से लंगड़ा होकर,कोई शरीर पर घाव आदि के दिखावे के साथ भीख मांगने में माहिर है। खाने पीने की कभी कोई कमी नहीं होती। हिंदी ,अंग्रेजी दोनों भाषाओ में बोलकर भीख मांग लेते है। शाम को ये सब इकट्ठा होकर नशा करते हैं और इनको कोई शराब की बॉटल दे जाए तो मिलकर पीते हैं। ये सब आपस में मित्र है ।लेकिन बैठने की जगह भी तय है ,इस पर कोई समझौता नहीं ।सबसे ताकतवर भिखारी सबसे आगे बैठता है।नए भिखारी को आसानी से बैठने की जगह नहीं मिलती ,सब मिलकर उसकी पिटाई तक कर डालते हैं।
यदा कदा पुलिस भी इनके फोटो लेती रहती है,लेकिन ये चेहरा उल्टा सीधा बनाकर पुलिस को चकमा दे डालते हैं।
यही बाना के साथ हुआ,उसको पुलिस ने तलाश किया लेकिन वह हाथ नही आया ।और भिखारी बनकर अपने दिन गुजारने लगा।
नेताजी ने बाना की झोली में 500 वाली चार गड्डियां डाल दी थी। बाना ने जल्दी से छिपा ली।और नेताजी के जाने के बाद इस पैसे को ठिकाने लगाने पर चिंतन शुरु कर दिया।
शुरु में सोचा की रात को अपने बैठने के स्थान पर नीचे गड्ढा करके दबाकर रख दे।इसलिए भिकारियों की शाम को होने वाली गांजा पार्टी में नही गया। आसपास के लोगों के हटने के बाद उसने एक छोटा गड्ढा खोद लिया और उसमे पैसे छिपा दिया।लेकिन एक भिकारी पीटर ने उसे गढ़ा खोदते हुए देख लिया और बाना से पूछ बैठा।परंतु बाना ने उसे टरका तो दिया परंतु बाना को पैसे चोरी होने का डर शुरु हो गया।
बाना पूरी रात नही सोया और पैसे की देखभाली करता रहा। सुबह वहा कुछ लोग भिखारियों को चाय बांटने आते थे लेकिन बाना चाय लेने भी नही गया।
एक और विचार भी आया की आगे वाले भिखारी से उसकी प्राइम लोकेशन वाली जगह कुछ पैसा देकर ले ले ,लेकिन बाद में भेद खुलने के डर से ये विचार त्याग दिया।
कई वर्षों में ये पहला दिन था की जब बाना ने नशा नहीं किया था। कमाल की बात ये की अपनी चनीटा के सामने उसको नशा करने की इच्छा नहीं हो रही थी। बाना के सामने पैसे ठिकाने लगाने का सबसे बड़ा सवाल खड़ा था। उसने सोचा कि किसी के पास रखवा दु,लेकिन वापसी नहीं मिलने का डर और कही ऐसा ना हो की पैसा चोरी का आरोप लगाकर कोई उल्टा उसको फसवा दे और पैसा हड़प जाए।इसी उहापोह में दो रातें और निकल गई ।पूरे दिन इसी कारण वह परेशान बैठा रहा।
एक विचार आया कि इस पैसे से सड़क पर गोल गप्पे की ठेली लगा ले ,लेकिन उसको मालूम हुआ कि ये दुकानदार पुलिस को रोजाना 500 रुपए देता है इसके अलावा कई और इंस्पेक्टर भी महीना वसूलते है,ये काम इतना आसान नहीं।
अगले दिन एक डॉक्टर आया उसने बाना को भीख दी तो वह उससे नर्स , फार्मा आदि का कोर्स की बात करने लगा। डॉक्टर ने उसको बताया की चार साल के कोर्स के बाद 15000 रूपये की नौकरी मिलेगी ।ये सुनकर उसने सोचा की चार साल में तो वो वह लाखों कमा लेगा और आज भी उसकी महीना की आमदनी 30000 तक हो जाती है। बिना किसी झंझट के ।
इसी विचार के साथ उसने परचून की दुकान का विचार भी छोड़ दिया ,किसी ने बताया की पहले रजिस्ट्रेशन करायो और लेबर लॉ,जीएसटी ,फूड डिपार्टमेंट सबसे निबटना पड़ेगा।
अब उसको पांच दिन हो गए थे,उसने शाम को महफिल छोड़ रखी थी। पैसे की सुरक्षा की चिंता में उसकी नीद गायब थी,भूख प्यास भी खतम,भीख लेने में कोई दिलचस्पी भी नही रही।
एक बार सोचा की इस पैसे को फेक दू ,लेकिन क्यों? फिर भीख मांगने का क्या मतलब?
बाना के साथियों का बाना पर जासूस होने का या किसी और गड़बड़ होने का शक बढ़ता जा रहा था। इससे उसकी परेशानी और बड़ रही थी।पूरा एक सप्ताह हो गया था।नीद गायब और नशा करने की आदत भी गायब
अब उसको भीखा मांगने और नशा करने में कोई रुचि नहीं थी। ओर सभी भिकारी उसको शक की निगाहों से देख रहे थे।उसकी छतपटाहट बढ़ती जा रही थी। एक सप्ताह से सोया भी नहीं था ,बार बार पैसे की सुरक्षा और उसके उपयोग को लेकर उसकी चिंता बढ़ती जा रही थी।जो उसके हावभाव और चेहरे पर आती जाती शिकन से स्पष्ट थी।
एक दिन शाम को चुपचाप उठा और उसी नेता के पास पहुंच गया ।उसने नेता के द्वारा उसे मंदिर के पास भिक्षा के रूप ने उसको दो लाख रुपए वापिस कर दिए और घर वापिस चल दिया।
वहा पहुंचकर सबसे पहले उसने पुलिस को सरेंडर कर दिया लेकिन उसके नशा छोड़ने की आदत सुनकर पुलिस ने उसे माफी दे दी।
अब वह एक अच्छे इंसान की तरह जीवन यापन करेगा ,कभी भी भिक्षा नहीं मांगेगा ,अपितु भिक्षावृति को रोकने के साथ साथ अपनी रुकी हुई पढ़ाई फिर से शुरु करेगा।
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