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इतिहास के पन्नों से

उगता भारत राष्ट्र मंदिर: हमारे देश के प्रसिद्ध दुर्ग और ऐतिहासिक स्थल

मेहरानगढ़ किला, राजस्थान

राजस्थान का जोधपुर शहर भारत के इतिहास में विशेष स्थान रखता है। यहीं पर स्थित दुर्ग को मेहरानगढ़ किला कहा जाता है। अब से लगभग 500 वर्ष पूर्व राव जोधा के द्वारा इसका निर्माण कराया गया था । राव जोधा के नाम से ही जोधपुर शहर स्थापित हुआ। बहुत अधिक ऊंचाई पर बने इस दुर्ग में कुल साथ द्वार हैं। इसके हर द्वार के साथ राजा की जीत का कोई न कोई रोमांचकारी किस्सा जुड़ा हुआ है। जब भी राजा कहीं किसी विशेष सैन्य अभियान में जीतकर लौटते थे, तभी एक द्वारा का निर्माण होता था।इस किले में जायापॉल गेट राजा मानसिंह ने बनवाया था. किले के भीतर मोती महल, शीश महल जैसे भवनों को बहुत ही भव्यता के साथ सजाया गया है। इस किले के भीतर एक म्यूजियम का भी संचालन होता है।यह राजस्थान का सबसे अच्छा म्यूजियम माना जाता है।

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ग्वालियर का किला, मध्य प्रदेश:

मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर कभी गौरवपूर्ण इतिहास है। इस शहर में स्थित दुर्ग का निर्माण राजा मानसिंह तोमर द्वारा करवाया गया था। यह उत्तर और मध्य भारत के सबसे सुरक्षित किलों में से एक हैं. सुंदर स्थापत्य कला, दीवारों और प्राचीरों पर उत्कृष्ट चित्रकारी, रंग-रोगन और शिल्पकारी के कारण यह किला अत्यंत सुंदर दिखाई देता है। इसका निर्माण भलावे पत्थर से गोपांचल पर्वत पर किया गया है । इस किले को देखने से पता चलता है कि हमारे आर्य हिंदू राजाओं के भीतर स्थापत्य कला के प्रति कितना लगाव था? इसकी खूबसूरती के साथ-साथ उत्कृष्ट चित्रकारी देखते ही बनती है। 15वीं शताब्दी में किले के भीतर बन गूजरी महल ऐसे ही खूबसूरत भवनों में से एक है। मानसिंह और गूजरी रानी मृगनयनी के प्रेम का संबंध किसी गूजरी भवन से है। किले की बाहरी दीवार लगभग 2 मील लंबाई की है और इसकी चौड़ाई 1 किलोमीटर से लेकर 200 मीटर तक है।

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चित्तौड़गढ़ का किला, राजस्थान

राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के लोगों की वीरता भारत के इतिहास का गौरव है। यहां स्थित दुर्ग ने अनेक कहानियों को जन्म दिया है और अनेक ऐसी रोमांचकारी घटनाओं को देखा है जिनको पढ़ सुनकर हर भारतीय का मस्तक ऊंचा हो जाता है। 700 एकड़ भूमि पर बना यह किला लगभग 500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसे बेराच नदी के किनारे पर बनाया गया है । इस किले से जुड़े महाराणा वंश के अनेक वीर पुरुषों, राजाओं, योद्धाओं के देशभक्ति के किस्से आज भी लोगों को देशभक्ति की भावना से भर देते हैं। 7वीं सदी से 16वीं सदी तक यह राजपूत वंश का महत्वतपूर्ण गढ़ था। इस किले की विशेषता इसके मजबूत प्रवेशद्वार, बुर्ज, महल, मंदिर, दुर्ग और जलाशय हैं जो भारत की वैदिक वास्तुकला के अनुपम नमूनों में सम्मिलित हैं। इस किले के सात प्रवेश द्वार हैं। पहला प्रवेश द्वार पैदल पोल के नाम से जाना जाता है जिसके बाद भैरव पोल, हनुमान पोल, गणेश पोल, जोली पोल, लक्ष्मण पोल और आखिर में राम पोल है जो 1459 में बनवाया गया था।

डॉ राकेश कुमार आर्य

उगता भारत राष्ट्र मंदिर से

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