गर्मी तेजी से बढ़ रही है। गर्मी बढ़ने पर शरीर में पानी की कमी हो सकती है। पानी शरीर का एक महत्वपूर्ण तत्व है। शरीर में 65% के करीब पानी होता है। शरीर के खून में 80 % पानी होता है। अतः शरीर में पानी की कमी होने पर शरीर की क्रियाएं शिथिल पड़ जाती हैं। अत्यधिक कमजोरी महसूस होती है। भूख में कमी आती है। दुधारू पशुओं का दूध कम हो जाता है। गाभिन पशुओं में गर्भपात हो जाता है। पशुओं में स्ट्रेस स्तर बढ़ता है जिससे प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। पशु पक्षियों को बुखार हो जाता है। समय पर पानी की पूर्ति न होने पर पशु निढाल हो जाता है और मृत्यु भी हो सकती है। इसलिए गर्मी से बचाव की व्यवस्था करना बहुत ही महत्वपूर्ण बिंदु है।
गर्मी के समय आपको क्या सावधानी रखनी है, यह प्रत्येक पशुपालक और आम व्यक्ति को इसकी जानकारी होनी चाहिए। तमाम ऐसे पशु है जो निराश्रित हैं उनके प्रति भी आपको दया का भाव रखना है। उनके लिए भी व्यवस्था करनी है। उनके लिए आप घर के बाहर पानी की व्यवस्था कर सकते हैं। पक्षियों के लिए छत पर पानी की व्यवस्था कर सकते हैं। जो भी पानी रखें उसको आप समय-समय पर बदलते रहे और पानी को छायादार स्थान पर ही रखें। गर्म पानी पशु पक्षियों को नुकसान कर सकता है ।
यदि पशु पक्षी बहुत हाँफ रहा हो, कमजोरी और थकान महसूस कर रहा हो, मुंह से लार टपक रही हो, उसके हृदय की गति बढ़ गई हो और वह निहाल पड़ गया हो तो यह लक्षण गर्मी से होने वाले हीट स्ट्रेस के लक्षण हो सकते है। तत्काल नजदीकी पशु चिकित्सा अधिकारी से संपर्क करें और इलाज कराये।
भार ढ़ोने वाले या काम करने वाले पशुओं को गर्मी के समय 12:00 बजे से 3:00 तक अवश्य आराम दें । 37 डिग्री से अधिक तापमान होने पर इस नियमों का पालन अवश्य करें अन्यथा पशुओं के प्रति क्रूरता का अपराध माना जाएगा।
अपने पालतू पशुओं को दिन में एक बार जरूर नहलाएं । छायादार स्थान पर ही रखें। गर्म हवा के सीधे संपर्क में आने से रोकने के लिए पर्दे लगाए। टीन शेड के घर बने हो तो उसे पर घास, पराली आदि डाल दें जिससे छत गर्म ना हो।
पालतू पशुओं को नियमित रूप से नमक, संतुलित पशु आहार मिनरल मिक्सर प्रति दिन दें। इससे दुधारू पशुओं के दूध में कमी नहीं आएगी। पशुओं में स्ट्रेस नहीं होगा। स्ट्रेस आने से प्रतिरोधक क्षमता में कमी आ जाती है और विभिन्न प्रकार की बीमारियां होती है।
जन सामान्य से अनुरोध है कि पशुओं के प्रति दया का भाव रखते हुए गर्मी और लू से बचाने के लिए उपरोक्त बताए गए उपायों को खुद करें और अन्य व्यक्तियों को जागरूक कर प्रेरित करें।
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