मानव शरीर और कर्मेंद्रियों की स्थिति

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हमारे शरीर में कर्मेंद्रियों का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। ज्ञानेंद्रियों की भांति कर्मेंद्रियां भी पांच ही होती हैं। परमपिता परमात्मा की लीला को देखकर बड़ा आश्चर्य होता है कि उसने ज्ञान और कर्म दोनों का अद्भुत समन्वय इन इंद्रियों के माध्यम से हमारे शरीर में स्थापित किया है। आइए, कुछ विचार करते हैं :-

ज्ञानेंद्रियों की उत्पत्ति कैसे हुई?
उनके नाम क्या हैं?
तथा इनके हमारे शरीर में स्थान कहां-कहां हैं ?
उनकी क्रियाएं क्या क्या हैं?
इसको पहले कवित्व में निम्न प्रकार देखते हैं :-

पांचों भूतों को पृथक -पृथक,
रजगुणों को पा करके।
भई पांच कर्म इंद्रियां प्रकट,
अब उसे सुनो मन ला करके।

आकाश के प्रथम रजोगुण से,
वाकेंद्रिय प्रकट भई जानो।
जो जिह्वा पर करे निवास,
वाक उच्चारण ही क्रिया मानो।

वायु से हस्त इंद्रिय प्रकट हुई,
जो हाथ के ऊपर रहती है।
लेन-देन की क्रिया करें सभी,
समयानुसार वह करती है।।

फिर तेज के् रजोगुणों से,
पग इंद्रियों का प्रादुर्भाव हुआ।
रहती है पग के अंदर वह,
चलने की क्रिया स्वभाव हुआ।।

जल से उत्पन्न हुई उपस्थ ,
गुप्त इंद्रिय जो कहलाती हैं।
वह मूत्र त्याग की क्रिया करें,
मल त्याग क्रिया वह करती है।।

पृथ्वी से इंद्रिय गुदा हुई,
जो मल त्याग क्रिया करती है।
इस भांति समझ लो हर इंद्रिय,
अपने ही मार्ग में विचरती है।।

प्रश्नइन कर्मेंद्रियों में किस इंद्रिय का देवता कौन है?
उत्तर
वाकेंद्रीय पर है अग्नि देव ,
हाथों पर इंद्र विराज रहे।
पग में विष्णु है,
उपस्थ में श्री प्रजापति का राज रहे।।

मल इंद्रिय पर यमराज बसे,
ग्रंथों में यही बताया है।
तीनों शरीरों के अंदर इनकी रचना को गाया है।।

प्रश्नतीन शरीर कौन-कौन से हैं?
उत्तर
प्रथम देह स्थूल है
द्वित्तीय सूक्ष्म शरीर।
तृतीय कारण देह है,
वर्णित मुनिजन धीर।।

अर्थात स्थूल ,सूक्ष्म और कारण शरीर तीन प्रकार के होते हैं , दूसरे शब्दों में कहें तो एक शरीर में तीन शरीर रहते हैं।
यह भी सत्य है कि एक ही शरीर में कई कई जीव आत्माएं भी रहती हैं। इसका भी अग्रिम प्रस्तरों में विशेष रूप से उल्लेख करेंगे।

प्रश्नकारण शरीर क्या है जी?
उत्तर
कारण शरीर अज्ञान है जिसे चेतन का फरमाया है,
सच्चा स्वरूप अवश्य किया और जीव नाम का कहलाया है।
अर्थात कारण शरीर अज्ञान है, क्योंकि अज्ञान ही जन्म और मृत्यु का कारण है। अज्ञान से ही सत्य आत्मस्वरूप पर आवरण हो जाता है ।इसी अज्ञान ने चेतन को भ्रमित करके जीव भाव को प्राप्त कराया है।

प्रश्नसूक्ष्म शरीर क्या है जी ?
उत्तर
: ये पांच प्राण , तीन अंतःकरण क्रमश: (मन, बुद्धि, अहंकार, ) तथा दस (इंद्रियों पांच ज्ञानेंद्रिय पांच कर्मेंद्रियां) जब मिल जाती हैं।
18 तत्व मिल सूक्ष्म देह कहलाती हैं।
प्रश्न:पांच प्राण कौन-कौन से हैं?
उत्तर: प्राण, अपान , समान, व्यान ,उदान।
प्रश्न
पांच ज्ञानेंद्रियां कौन-कौन सी हैं?
उत्तरश्रोत्र, त्वचा, चक्षु, रसना ,नाक,
प्रश्न
अंतः करण किसको कहते हैं?
मन, बुद्धि ,अहंकार को अंतःकरण कहते हैं।
जो सूक्ष्म हैं और सूक्ष्म शरीर के साथ ही रहते हैं आत्मा से इनका बहुत ही नजदीकी संबंध है।
प्रश्नज्ञानेंद्रियों की उत्पत्ति किस प्रकार होती है?
उत्तर _पंच भूतों के पृथक पृथक सतोगुण अंश से ज्ञानेंद्रियों की उत्पत्ति होती है।
प्रश्न
पांचो प्राणों की उत्पत्ति कैसे हुई? इनके निवास स्थान व क्रियाएं क्या हैं?

पांचों भूतों के पुनः रजोगुण अंश मिलाए।
5 प्राणवायु भयो नाम कहूं विलगाये।।

प्राण अपान समान और व्यान उदान भी जान।
पांचों निज क्रिया करें भिन्न-भिन्न स्थान।।

श्वास लेने की क्रिया वह करें ताहि प्राण पहचान ।
प्राणवायु जो मुख्य है हृदय मध्य स्थान।।

सचमुच हम अपने ऋषि पूर्वजों के समक्ष नतमस्तक हैं। जिन्होंने विभिन्न कालों में हमारा मार्गदर्शन करते हुए उत्तम कोटि के ग्रंथ लिखकर हमें शरीर विज्ञान के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारियां दीं । यद्यपि सारा ज्ञान वेदों में समाविष्ट है परंतु बीज रूप में छुपे हुए उस ज्ञान को विज्ञान के माध्यम से विस्तार देकर हम जैसे सामान्य बुद्धि के लोगों के समक्ष प्रस्तुत करना ऋषियों का महान पुरुषार्थ रहा है। उनके उद्यम और पुरुषार्थ के समक्ष शीश झुकाना ही श्रेयस्कर अनुभव होता है।

देवेंद्र सिंह आर्य एडवोकेट
अध्यक्ष उगता भारत समाचार पत्र, ग्रेटर नोएडा
9811838317

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